Field Pea And Garden Pea Farming: भारत के कई हिस्सों में किसान अब पारंपरिक फसलों के साथ-साथ मटर की खेती को भी अपनाने लगे हैं। खासकर छत्तीसगढ़ जैसे इलाकों में, जहाँ किसान इस फसल को बोकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। मटर की मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है, चाहे वो सब्जी के रूप में हो या दाल के लिए। इसकी खेती न सिर्फ़ आसान है, बल्कि कम समय में अच्छी कमाई भी देती है। दो खास किस्में, फील्ड पी और गार्डन पी, किसानों के बीच खूब लोकप्रिय हो रही हैं। आइए जानते हैं कि इन किस्मों की खेती कैसे करें और किन बातों का ध्यान रखें।
फील्ड पी और गार्डन पी
कृषि विशेषज्ञ संजय यादव के मुताबिक, मटर की दो मुख्य किस्में हैं जो भारतीय किसान बोते हैं। पहली है फील्ड पी, जिसे ज्यादातर दाल बनाने के लिए उगाया जाता है। इसकी खासियत है कि ये कम समय में तैयार हो जाती है और खाद की जरूरत भी कम पड़ती है। दूसरी है गार्डन पी, जिसे हरी फलियों के रूप में सब्जी के लिए इस्तेमाल किया जाता है। लोग इसे कच्चा खाना भी पसंद करते हैं। दोनों ही किस्में बाजार में अच्छा दाम दिलाती हैं, खासकर तब जब ऑफ-सीजन में मटर की कीमत 70 से 100 रुपये प्रति किलो तक पहुँच जाती है।
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बुवाई का सही समय
मटर की बुवाई के लिए सितंबर का महीना सबसे अच्छा माना जाता है। अगर इस समय बीज बोए जाएं, तो 60 से 65 दिन में फसल तैयार हो जाती है। एक एकड़ में बुवाई के लिए करीब 35 से 40 किलोग्राम बीज चाहिए। मटर एक दलहनी फसल है, जिसकी जड़ों में खास गांठें होती हैं। ये गांठें हवा से नाइट्रोजन को मिट्टी में जमा करती हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। इससे न सिर्फ़ मटर की फसल अच्छी होती है, बल्कि अगली फसल को भी फायदा मिलता है। किसान अगर इसे अपने फसल चक्र में शामिल करें, तो मिट्टी लंबे समय तक उपजाऊ बनी रहती है।
लोकप्रिय किस्में जो देती हैं शानदार पैदावार
मटर की कुछ किस्में किसानों के बीच खास तौर पर पसंद की जाती हैं। इनमें अर्किल और जीएस-10 सबसे ज्यादा मशहूर हैं। अर्किल की फलियां और दाने सब्जी के लिए बेहतरीन होते हैं। वहीं, जीएस-10 से एक हेक्टेयर में 130 से 135 क्विंटल तक फलियां मिल सकती हैं। इन किस्मों की खास बात ये है कि ये कम समय में अच्छी पैदावार देती हैं और बाजार में इनकी मांग भी अच्छी रहती है। किसान इनका इस्तेमाल न सिर्फ़ सब्जी के लिए करते हैं, बल्कि इन्हें कच्चा बेचकर भी अच्छी कमाई करते हैं।
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रोगों से बचाव और कीट प्रबंधन
मटर की फसल में रोगों का खतरा कम होता है, लेकिन कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी हैं। कभी-कभी पाउडरी मिल्ड्यू जैसा रोग फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके लिए किसान फफूंदनाशी दवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा, लीफ माइनर और फली छेदक जैसे कीट भी फसल को प्रभावित कर सकते हैं। इनसे बचने के लिए सही समय पर उपयुक्त कीटनाशकों का छिड़काव करना चाहिए। अगर किसान सही समय पर इनका प्रबंधन करें, तो फसल को नुकसान होने की संभावना बहुत कम हो जाती है।
मटर की खेती से मुनाफा
मटर की खेती किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। कम लागत और कम समय में ये फसल अच्छा मुनाफा देती है। खासकर ऑफ-सीजन में, जब मटर की कीमतें आसमान छूती हैं, किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं। साथ ही, ये फसल मिट्टी को भी बेहतर बनाती है, जिससे लंबे समय तक खेती की उत्पादकता बनी रहती है। अगर किसान सही किस्मों का चयन करें और एक्सपर्ट की सलाह मानें, तो मटर की खेती उनके लिए एक सुनहरा अवसर बन सकती है।
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