देश के मछली पालकों के चेहरों पर खुशी की लहर है। सरकार ने जीएसटी रेट में बड़ा बदलाव कर मछली और झींगा पालन को सस्ता और मुनाफे का धंधा बना दिया है। अब मछली के तेल, अर्क, और तैयार-संरक्षित उत्पादों पर जीएसटी 12-18% से घटाकर 5% कर दिया गया है। यह कदम न सिर्फ घरेलू बाजार को मजबूती देगा, बल्कि एक्सपोर्ट मार्केट को भी नई दिशा देगा। करीब तीन करोड़ लोग, जो मछली पालन, पकड़ने, और इससे जुड़े कामों से अपनी रोजी-रोटी चला रहे हैं, इस राहत का सीधा लाभ उठा सकेंगे। यह बदलाव 22 सितंबर 2025 से लागू होगा, जो तालाबों और मछुआरों की जिंदगी में नई उम्मीद जगाएगा। सरकार का यह फैसला मछली पालन को आधुनिक और लाभकारी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
अमेरिकी चुनौती का जवाब, निर्यात को नई उड़ान
हाल के दिनों में अमेरिका ने झींगा पर 50% टैरिफ लगा दिया, जो हमारे मछुआरों और निर्यातकों के लिए चिंता का कारण बन गया था। लेकिन सरकार का यह जीएसटी में बदलाव उसकी भरपाई का रास्ता खोलेगा। कम टैक्स से मछली और झींगा उत्पाद सस्ते होंगे, जिससे विदेशी बाजार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ेगी। संरक्षित मछली, झींगा, और मोलस्क पर 5% जीएसटी से वैश्विक प्रतिस्पर्धा मजबूत होगी। साथ ही, घरेलू उपभोक्ताओं को सुरक्षित और स्वच्छ सीफूड आसानी से मिलेगा। यह बदलाव मछली पालकों की मेहनत को मुनाफे में बदलने का सुनहरा मौका है, और आने वाले समय में यह सेक्टर देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है।
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उपकरण सस्ते, लागत कम, किसानों की जेब में राहत
एक्वाकल्चर और हैचरी के लिए जरूरी डीजल इंजन, पंप, एरेटर, और स्प्रिंकलर पर अब 12-18% की जगह सिर्फ 5% जीएसटी लगेगा। तालाब की तैयारी और पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए अमोनिया और सूक्ष्म पोषक तत्वों पर भी टैक्स 12-18% से घटाकर 5% किया गया है। मछली पकड़ने की रॉड, लैंडिंग नेट, बटरफ्लाई नेट, और गियर पर 12% से 5% की कटौती से छोटे मछुआरे, खेल मछली पकड़ने वाले, और एक्वाकल्चर से जुड़े लोग राहत की सांस लेंगे। खाद्य प्रसंस्करण में जॉब वर्क और कम्पोस्टिंग मशीनों पर भी 5% टैक्स से लागत में कमी आएगी, जो पर्यावरण अनुकूल तालाब प्रबंधन को बढ़ावा देगा। यह सब मिलकर मछली पालकों की जेब पर बोझ कम करेगा और उनके मुनाफे को बढ़ाएगा।
झींगा पालक और अनुभवी डॉ. मनोज कुमार शर्मा का मानना है कि यह कदम सीफूड के घरेलू बाजार को विस्तार देने वाला है। मौजूदा समय में, जब झींगा निर्यात पर दबाव है, यह फैसला मछुआरों के लिए वरदान साबित होगा। डॉ. शर्मा कहते हैं कि कम लागत और ज्यादा मुनाफे से छोटे-बड़े सभी पालक लाभान्वित होंगे। यह बदलाव मछली पालन को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है। आने वाले दिनों में अगर सरकार सब्सिडी और प्रशिक्षण भी दे, तो यह सेक्टर लाखों लोगों के लिए रोजगार का स्रोत बन सकता है।
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स्थानीय मछुआरों को फायदा
यह बदलाव खासकर उन छोटे मछुआरों के लिए वरदान है, जो पारंपरिक तरीके से मछली पकड़ते और पालते हैं। सस्ते नेट और गियर से उनकी मेहनत आसान होगी, और कम लागत से वे अपनी आजीविका को मजबूत कर सकेंगे। ग्रामीण इलाकों में तालाबों में मछली पालन को बढ़ावा मिलेगा, जो गाँव की अर्थव्यवस्था को गति देगा। महिलाएं भी इस सेक्टर में हिस्सा ले सकती हैं, खासकर प्रसंस्करण और पैकेजिंग के काम में। सरकार अगर ट्रेनिंग कैंप लगाए, तो यह बदलाव और प्रभावी होगा।
जीएसटी में यह कमी लंबे समय तक मछली और झींगा पालन को फायदा पहुंचाएगी। सस्ते उपकरण और कम इनपुट लागत से पैदावार बढ़ेगी, और निर्यात से विदेशी मुद्रा आएगी। घरेलू बाजार में मछली और झींगा की मांग बढ़ेगी, जो स्थानीय बाजारों को भी समृद्ध करेगा। अगर मछुआरे आधुनिक तकनीक अपनाएं, जैसे बायोफ्लोक सिस्टम या रिसाइकिलिंग पंप, तो उनकी आय दोगुनी हो सकती है। यह सेक्टर न सिर्फ रोजगार देगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान करेगा, क्योंकि कम्पोस्टिंग और जैविक खाद से तालाब स्वस्थ रहेंगे।
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