झारखंड के कोडरमा जिले के जनजातीय किसान भाइयों के लिए खुशखबरी है। सरकार ने “धरती अब्बा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान” के तहत एक ऐसी योजना शुरू की है, जो खेती और मत्स्य पालन को नया रंग देगी। इस योजना के जरिए जनजातीय परिवारों को तालाब निर्माण, मछली पालन के यंत्र, और कई आधुनिक उपकरण 90% अनुदान पर मिलेंगे। यानी, 25 लाख रुपये तक के उपकरण के लिए आपको सिर्फ ढाई लाख रुपये देने होंगे। कोडरमा के दो प्रखंडों के 12 गाँवों को इस योजना के लिए चुना गया है। आइए, जानते हैं कि ये योजना क्या है, कौन इसका फायदा ले सकता है, और कैसे आवेदन करना है।
योजना का मकसद और फायदा
“धरती अब्बा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान” को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के साथ जोड़ा गया है। इसका मकसद है जनजातीय समुदायों की जिंदगी को बेहतर बनाना। इस योजना से कोडरमा के जनजातीय किसानों को मत्स्य पालन और खेती में नई तकनीकों का लाभ मिलेगा। 90% अनुदान का मतलब है कि सरकार 60% केंद्र और 40% राज्य के हिस्से से खर्च उठाएगी, और आपको सिर्फ 10% देना होगा। इससे न सिर्फ़ खेती और मछली पालन की लागत कम होगी, बल्कि कमाई भी बढ़ेगी। कई किसानों ने ऐसी योजनाओं से अपने खेतों और तालाबों को मुनाफे में बदला है, और अब कोडरमा के किसानों की बारी है।
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किन गाँवों को मिलेगा लाभ
कोडरमा जिले के डोमचांच और मरकच्चो प्रखंड के 12 गाँव इस योजना के लिए चुने गए हैं। डोमचांच का शेरसिंघा गाँव और मरकच्चो प्रखंड के असनातरी, बनूमुरहा, डगरंवा, बंदरचुकवा, कटियों, नौडीहा, परसाबाद, पिचरी, बरियाडीह, सिमरकुंडी, और मरकच्चो गाँव के अनुसूचित जनजाति के लोग इस योजना का फायदा उठा सकते हैं। अगर आप इन गाँवों में रहते हैं और जनजातीय समुदाय से हैं, तो ये आपके लिए सुनहरा मौका है। जिला मत्स्य पदाधिकारी ने बताया कि ये योजना खास तौर पर उन किसानों के लिए है, जो मत्स्य पालन या खेती से अपनी आजीविका बढ़ाना चाहते हैं।
90% अनुदान पर क्या-क्या मिलेगा
इस योजना में कई तरह के उपकरण और सुविधाएँ दी जा रही हैं। आप नए तालाब बना सकते हैं, बायो फ्लॉक तालाब या ग्रो आउट तालाब का निर्माण कर सकते हैं। इसके अलावा बैकयार्ड और मीडियम स्केल ऑर्नामेंटल फिश रियरिंग यूनिट, जलाशय में केज, और पेन कल्चर की सुविधा भी मिलेगी। अगर आप मछली पालन का सामान ले जाना चाहते हैं, तो रेफ्रिजरेटेड वाहन, इंसुलेटेड वाहन, आइस बॉक्स के साथ मोटरसाइकिल या साइकिल, और 10 टन क्षमता वाला शीत गृह भी मिलेगा। मिनी फिश फीड मिल और फिश कियोस्क जैसी चीजें भी इस योजना में शामिल हैं। ये सारी सुविधाएँ 90% अनुदान पर मिलेंगी, यानी आपकी जेब पर बोझ बहुत कम होगा।
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आवेदन करने का आसान तरीका
इस योजना का लाभ लेने के लिए आपको जिला मत्स्य कार्यालय जाना होगा। वहाँ से आप मुफ्त में आवेदन फॉर्म ले सकते हैं। अपने आधार कार्ड, जमीन की रसीद, बैंक पासबुक की कॉपी, और एक एक्टिव मोबाइल नंबर तैयार रखें। फॉर्म भरकर जमा करने के बाद आपकी जानकारी और जमीन की जाँच होगी। अगर सब ठीक रहा, तो आपको उपकरण सस्ते दाम पर मिल जाएँगे। अगर आपको फॉर्म भरने में दिक्कत हो, तो जिला मत्स्य पदाधिकारी या स्थानीय कृषि केंद्र से मदद ले सकते हैं। कोडरमा के मत्स्य विभाग के अधिकारी इस योजना को जल्दी और पारदर्शी तरीके से लागू करने के लिए तैयार हैं।
क्यों जरूरी है ये योजना
कोडरमा जैसे जनजातीय बहुल इलाकों में पानी, बिजली, और आजीविका के साधन सीमित हैं। ये योजना न सिर्फ़ मत्स्य पालन को बढ़ावा देगी, बल्कि जनजातीय परिवारों को आत्मनिर्भर बनाएगी। 90% अनुदान से छोटे किसानों का खर्चा कम होगा, और मछली पालन जैसे नए काम से उनकी कमाई बढ़ेगी। सही उपकरणों के इस्तेमाल से फसल और मछली की क्वालिटी बेहतर होगी, जिससे मंडी में अच्छा दाम मिलेगा। सरकार का मकसद है कि जनजातीय समुदाय मुख्यधारा में आए और उनकी जिंदगी में स्थायी बदलाव आए। तो देर न करें, अपने नजदीकी मत्स्य कार्यालय से संपर्क करें और इस योजना का फायदा उठाएँ।
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