Five Vegetable crop Cultivation in Summer: गर्मी का सीजन आते ही खेतों में नई फसल की तैयारी शुरू हो जाती है। जिन किसान भाइयों के पास सिंचाई की अच्छी व्यवस्था है, उनके लिए ये मौसम डबल मुनाफे का मौका लाता है। गेहूं, चना, मसूर की कटाई के बाद खेत खाली हो जाते हैं, तो तीसरी फसल के तौर पर मूंग, उड़द, सोयाबीन, भिंडी, बरबटी या कद्दू वर्ग की सब्जियाँ जैसे करेला, गिलकी, तोरई, ककड़ी और तरबूज की खेती कर सकते हैं।
सागर जिले के बिजोरा कृषि विज्ञान केंद्र की प्रभारी और वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आशीष त्रिपाठी कहते हैं कि अगर सही समय और सही विधि से बुवाई करें, तो कम पानी में भी बंपर उत्पादन मिल सकता है। तो चलिए, जानते हैं इन फसलों की बुवाई का सही समय और तरीका।
बुवाई का सही समय और तैयारी
डॉ. त्रिपाठी सलाह देते हैं कि मार्च से अप्रैल तक का समय इन फसलों की बुवाई के लिए मुफीद है। अगर अभी तक आपके खेत खाली नहीं हुए हैं, तो अगले 15-20 दिन में खाली होने की उम्मीद है। इस दौरान आप बीज की तैयारी शुरू कर सकते हैं। बीज को पॉलिथीन में खाद मिक्स करके डालें, छाया में रखें और हल्का पानी देते रहें।
15-20 दिन में पौधे तैयार हो जाएँगे। जब तक खेत खाली हों, तब तक ये पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाएँगे। इससे समय की बचत होगी। मूंग, उड़द और सोयाबीन की बुवाई सीधे खेत में भी की जा सकती है, लेकिन भिंडी, बरबटी और कद्दू वर्ग की सब्जियों के लिए नर्सरी तैयार करना फायदेमंद रहता है।
बुवाई की सही विधि
खेत में बुवाई के लिए पहले जमीन को अच्छे से जोत लें और समतल करें। डॉ. त्रिपाठी बताते हैं कि रोपाई के लिए गड्ढे बनाएँ और हर गड्ढे में आधा किलो सुपर फॉस्फेट, 100 ग्राम पोटाश और गोबर की खाद मिट्टी में मिक्स करके डालें। इसके बाद पौधों को इन गड्ढों में लगाएँ। मूंग, उड़द और सोयाबीन के लिए कतार से कतार की दूरी 25-30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10-15 सेंटीमीटर रखें। भिंडी और बरबटी के लिए 30-40 सेंटीमीटर की दूरी ठीक रहती है। कद्दू वर्ग की सब्जियों (करेला, गिलकी, तोरई, ककड़ी, तरबूज) के लिए 2-3 मीटर की दूरी पर मेड़ बनाएँ और हर मेड़ पर 60 सेंटीमीटर की दूरी पर 2-3 बीज डालें।
पानी की बचत के लिए ड्रिप और मल्चिंग
गर्मी में पानी की कमी बड़ी चुनौती है। ऐसे में ड्रिप सिस्टम और मल्चिंग का इस्तेमाल करें। बुवाई के बाद खेत में मल्चिंग कर दें, यानी पुआल या सूखी घास बिछा दें। इससे पानी कम भाप बनकर उड़ेगा और मिट्टी में नमी बनी रहेगी। ड्रिप सिस्टम से पानी सीधे जड़ों तक पहुँचता है, जिससे 30-50 फीसदी पानी की बचत होती है। मूंग और उड़द को 10-12 दिन के अंतराल पर पानी दें। भिंडी और बरबटी को हफ्ते में एक बार हल्की सिंचाई काफी है। कद्दू वर्ग की सब्जियों को शुरू में 5-7 दिन के अंतराल पर पानी दें और फल लगने पर 8-10 दिन में एक बार।
कीटों से बचाव का आसान तरीका
गर्मियों में रस चूसने वाली मक्खियाँ फसलों को नुकसान पहुँचा सकती हैं। इसके लिए डॉ. त्रिपाठी सलाह देते हैं कि खेत में 10-10 फीट की दूरी पर नीले और पीले रंग के प्रपंच (ट्रैप) लगाएँ। ये मक्खियाँ इन रंगों की तरफ आकर्षित होती हैं और चिपककर खत्म हो जाती हैं। इसके अलावा, नीम का तेल 5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। ये देसी तरीका कीटों को भगाने में कारगर है। अगर ज्यादा प्रकोप हो, तो इमिडाक्लोप्रिड 1.25 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें।
देसी नुस्खे से बढ़ाएँ पैदावार
खेती में देसी नुस्खे भी बड़ा काम करते हैं। बुवाई से पहले बीज को हल्के गुनगुने पानी में 4-5 घंटे भिगो दें, इससे अंकुरण जल्दी होगा। खेत में गोबर की खाद डालें और थोड़ी राख मिला दें, ये पोटाश का काम करेगी। फसल को सही समय पर पानी और खाद मिले, तो मूंग, उड़द, भिंडी और तरबूज से बंपर पैदावार मिलेगी। मार्च-अप्रैल में बुवाई करें, तो मई-जून में फसल तैयार हो जाएगी और बाज़ार में अच्छा दाम मिलेगा।
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