Vijay Rupani: गुजरात में विजय रूपानी ने शुरू की थी ये खास योजना, अब 14 जिलों के 1.5 लाख किसानों को मिल रहा बंपर लाभ

Vijay Rupani: गुजरात के खेतों में आज नई उम्मीद की फसल लहलहा रही है तो, और इसका बड़ा श्रेय जाता है कृषि विविधीकरण योजना को। इस योजना ने किसानों, खासकर आदिवासी इलाकों के वनबंधु किसानों की जिंदगी बदल दी है। आज अहमदाबाद में हुए दुखद एअर इंडिया विमान हादसे में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपानी जी का निधन हो गया। वह 2016 से 2021 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे और उनके नेतृत्व में शुरू हुई यह योजना आज भी हजारों किसानों के लिए मुनाफे का जरिया बनी हुई है।

विजय रूपानी का योगदान

विजय रूपानी जी का नाम गुजरात के किसानों के बीच बहुत सम्मान से लिया जाता है। उन्होंने अपने कार्यकाल में खेती को न सिर्फ टिकाऊ बनाया, बल्कि इसे मुनाफे का धंधा भी बनाया। 2021 में शुरू हुई कृषि विविधीकरण योजना को उन्होंने आदिवासी इलाकों के किसानों के लिए एक गेमचेंजर बनाया। इस योजना ने गुजरात के 14 आदिवासी जिलों में करीब डेढ़ लाख किसानों को नई दिशा दी। उनके नेतृत्व में खेती में नए-नए प्रयोग हुए, जिससे किसानों को बाजार में अच्छी कीमत और सम्मान दोनों मिले।

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कृषि विविधीकरण योजना की खासियत

यह योजना गुजरात के आदिवासी किसानों के लिए वरदान साबित हुई है। इसके तहत सरकार किसानों को खाद और बीज के लिए बड़ी आर्थिक मदद देती है। हर किसान को 45 किलो यूरिया, 50 किलो एनपीके, और 50 किलो अमोनियम सल्फेट जैसी खाद मुफ्त या कम दाम पर दी जाती है। इस मदद से किसान अपनी फसलों को बेहतर तरीके से उगा सकते हैं। योजना का मकसद है कि किसान एक ही फसल, जैसे धान या गेहूँ, पर निर्भर न रहें। इसके बजाय, वे अलग-अलग फसलों की खेती करें, जिससे मिट्टी की सेहत बनी रहे और पानी का कम इस्तेमाल हो।

फसल चक्र का फायदा

कृषि विविधीकरण योजना का सबसे बड़ा फायदा है फसल चक्र। अगर किसान हर साल एक ही फसल उगाते हैं, तो मिट्टी की उर्वरता कम होती जाती है। लेकिन इस योजना के तहत किसानों को मक्का, बाजरा, दालें, और तिलहन जैसी फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इससे मिट्टी को पोषण मिलता है और फसल की पैदावार भी बढ़ती है। साथ ही, पानी की खपत कम होती है, जो गुजरात जैसे सूखे इलाकों के लिए बहुत जरूरी है। इस योजना से किसानों की लागत कम हुई और मुनाफा बढ़ा।

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आदिवासी किसानों की उन्नति

गुजरात के आदिवासी इलाकों में रहने वाले वनबंधु किसान इस योजना से सबसे ज्यादा फायदा उठा रहे हैं। सरकार ने इन किसानों को न सिर्फ खाद-बीज की मदद दी, बल्कि उन्हें नई तकनीकों और बाजार की जानकारी भी दी। अब ये किसान नकदी फसलों, जैसे मूँगफली, कपास, और सब्जियों की खेती कर रहे हैं, जिनकी बाजार में अच्छी डिमांड है। इससे उनकी आमदनी कई गुना बढ़ गई है। आज गुजरात के आदिवासी किसान नई उम्मीद के साथ खेती कर रहे हैं और अपने बच्चों के लिए बेहतर भविष्य बना रहे हैं।

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना का हिस्सा

कृषि विविधीकरण योजना को केंद्र सरकार की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के तहत चलाया जाता है। इसका मकसद पूरे देश में खेती को टिकाऊ और लाभकारी बनाना है। खासकर उन राज्यों में, जहाँ धान जैसी ज्यादा पानी खाने वाली फसलों की खेती होती है, वहाँ वैकल्पिक फसलों को बढ़ावा दिया जाता है। गुजरात में इस योजना ने तंबाकू की खेती करने वाले किसानों को भी दूसरी फसलों की ओर मोड़ा है। इससे न सिर्फ उनकी कमाई बढ़ी, बल्कि पर्यावरण को भी फायदा हुआ।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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