Furrow irrigation : खेती में पानी का सही इस्तेमाल करना जितना जरूरी है, उतना ही मुश्किल भी। खासकर गाँव में, जहाँ पानी की कमी रहती हो, वहाँ फर्रो सिंचाई तकनीक एक वरदान की तरह काम करती है। ये तरीका पुराने जमाने का है, लेकिन आज भी उतना ही कारगर है। इसमें खेत को छोटे-छोटे हिस्सों में बाँटकर पानी दिया जाता है, ताकि हर कोने तक पानी पहुँचे और बर्बादी न हो। इससे फसल को पूरा पोषण मिलता है और मेहनत का फल भी बढ़िया निकलता है। आइए, इसे समझें कि ये तकनीक क्या है और कैसे काम करती है।
फर्रो सिंचाई का आसान मतलब
फर्रो सिंचाई का मतलब है खेत में पानी को कूँडों या छोटी-छोटी नालियों के जरिए बाँटना। खेत को ढलान के हिसाब से थोड़ा ऊँचा-नीचा करके तैयार करते हैं, फिर पानी को एक हिस्से से दूसरे हिस्से में बहने देते हैं। ये तरीका गाँव के खेतों के लिए बहुत बढ़िया है, क्यूँकि इसमें न तो महँगी मशीनों की जरूरत पड़ती है और न ही ज्यादा बिजली की। बस थोड़ी मेहनत और समझ से आप अपने खेत में पानी का पूरा फायदा उठा सकते हैं। गाँव में बड़े बुजुर्ग भी इसी तरह पानी देते थे, लेकिन अब इसे नया नाम मिल गया है।
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खेत को तैयार करने का तरीका
इस तकनीक को अपनाने के लिए सबसे पहले खेत को सही तरीके से तैयार करना पड़ता है। खेत में हल्का ढलान होना चाहिए, ताकि पानी अपने आप एक हिस्से से दूसरे हिस्से में जाए। इसके लिए खेत को छोटे-छोटे टुकड़ों में बाँट लें, हर टुकड़े के चारों तरफ मेड़ बना दें। ये मेड़ पानी को रोकती है, ताकि वो बेकार न बहे। गाँव में मिट्टी को गोबर की खाद से भुरभुरा कर लें, इससे पानी जमीन में अच्छे से समा जाता है। ढलान ज्यादा हो तो मेड़ को थोड़ा ऊँचा करें, ये देसी जुगाड़ आपके खेत को सूखने से बचाएगा।
पानी देने का सही तरीका
अब बात करते हैं पानी देने की। फर्रो सिंचाई (Furrow irrigation) में पानी को ऊपर वाले हिस्से से छोड़ते हैं, फिर वो धीरे-धीरे नीचे की तरफ बहता है। हर हिस्से में पानी तब तक भरें, जब तक मिट्टी अच्छे से गीली न हो जाए। अगर खेत में धान, गेहूँ या मक्का जैसी फसल हो, तो पानी को हिसाब से दें, ज्यादा न बहने दें। गाँव में नहर या कुएँ का पानी इस्तेमाल करते हैं, तो पहले एक नली से पानी को कूँड में डालें। पुराने लोग कहते थे कि पानी को पौधे की जड़ तक पहुँचाना है, ऊपर-ऊपर बहाने से फायदा कम होता है। ये तकनीक उसी बात को सच करती है।
फायदे जो गाँव वालों को पसंद आएँगे
फर्रो सिंचाई का सबसे बड़ा फायदा है पानी की बचत। जहाँ दूसरी तकनीकों में पानी बेकार चला जाता है, वहाँ ये तरीका हर बूँद को काम में लाता है। गाँव में पानी की किल्लत हो, तो ये तकनीक फसल को बचा लेती है। इससे मिट्टी भी कम कटती है और खेत सालों तक उपजाऊ बना रहता है। धान, गन्ना या सब्जियों की खेती में ये तरीका आजमाएँ, फसल हरी-भरी रहेगी और पैदावार बढ़ेगी। एक बीघे में अगर सही से करें, तो 20-30 प्रतिशत पानी बच सकता है, और कमाई भी बढ़ सकती है। गाँव का ये पुराना तरीका आज भी नया लगता है।
देसी नुस्खे से और बेहतर बनाएँ
गाँव में इसे और बढ़िया करने के लिए कुछ देसी नुस्खे आजमा सकते हैं। खेत में पानी देने से पहले थोड़ा नीम का खाद डाल दें, इससे कीड़े कम लगेंगे और मिट्टी को ताकत मिलेगी। अगर ढलान ठीक करने के लिए मिट्टी कम पड़े, तो पास के तालाब की गाद लाकर मेड़ बनाएँ। पानी को साफ रखने के लिए नहर से आने वाली घास को पहले हटा लें, वरना वो कूँडों में अटक सकती है। गाँव के लोग एक-दूसरे की मदद से खेत तैयार करें, तो मेहनत भी बँट जाएगी और काम जल्दी हो जाएगा। ये सब करने से फर्रो सिंचाई और असरदार बनेगी।
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