किसान साथियों, गाभिन (गर्भवती) गाय और भैंस की देखभाल पूरे गर्भकाल में जरूरी है, लेकिन अंतिम तीन महीने (7वाँ-9वाँ महीना) सबसे महत्वपूर्ण हैं। इस दौरान बछड़े का 70% विकास होता है, और माँ का दूध उत्पादन क्षमता निर्धारित होती है। सही पोषण, साफ-सफाई, और चिकित्सकीय देखभाल से स्वस्थ बछड़ा, जटिलता-मुक्त प्रसव, और 20-30% अधिक दूध उत्पादन (10-15 लीटर/दिन) सुनिश्चित होता है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, और बिहार के पशुपालक इस वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अपनी आय दोगुनी कर रहे हैं। आइए जानें अंतिम तीन महीनों में क्या करें।
पोषण: बछड़े और दूध का आधार
गर्भावस्था के अंतिम चरण में बछड़े का वजन तेजी से बढ़ता है, जिसके लिए अतिरिक्त ऊर्जा जरूरी है। गाय-भैंस को रोजाना 2-3 किलो संतुलित दाना (20% प्रोटीन, 60% कार्बोहाइड्रेट) दें। इसमें गेहूं चोकर, मक्का, सोयाबीन खली, और मिनरल मिक्स (50 ग्राम/दिन) शामिल करें। हरा चारा (बरसीम, नेपियर घास) 15-20 किलो और सूखा चारा (भूसा) 5-7 किलो दें। इससे बछड़े का वजन 25-35 किलो (जन्म पर) और माँ का दूध उत्पादन 10-15 लीटर/दिन तक बढ़ता है। खुराक धीरे-धीरे बढ़ाएँ, ताकि पाचन तंत्र पर दबाव न पड़े।
मिनरल और विटामिन की भूमिका
कैल्शियम, फॉस्फोरस, और जिंक जैसे खनिज बछड़े की हड्डियों और अंगों के विकास के लिए जरूरी हैं। रोजाना 50 ग्राम मिनरल मिक्सचर (चेलेटेड) दाने में मिलाएँ। विटामिन A (रोग प्रतिरोधकता), D (हड्डियाँ), और E (मांसपेशियाँ) के लिए मल्टीविटामिन सिरप (10-15 मिली/दिन) या इंजेक्शन (पशु चिकित्सक के परामर्श से) दें। इससे प्रसव जटिलताएँ (डिस्टोसिया) 80% कम होती हैं, और माँ-बछड़ा दोनों स्वस्थ रहते हैं। मिनरल की कमी से कमजोर बछड़ा (20-25% मामलों में) या दूध उत्पादन में कमी (5-7 लीटर/दिन) हो सकती है।
साफ-सफाई और आराम
गाभिन पशु को स्वच्छ, सूखी, और शांत जगह पर रखें। बिछावन के लिए 4-6 इंच मोटा सूखा भूसा या घास उपयोग करें, जिसे हर 3-4 दिन बदलें। गोशाला में उचित वेंटिलेशन और 10-12 घंटे आराम सुनिश्चित करें। भारी काम (हल जोतना) या तनाव (शोर, भीड़) से बचाएँ। गंदगी से संक्रमण (मैस्टाइटिस, गर्भाशय炎) का खतरा बढ़ता है, जो दूध उत्पादन को 30-40% कम कर सकता है। पशु की त्वचा को हफ्ते में एक बार गुनगुने पानी से साफ करें।
वैक्सीनेशन और स्वास्थ्य जाँच
अंतिम तीन महीनों में टेटनस टॉक्सॉइड वैक्सीन (5 मिली, मांसपेशी में) लगवाएँ, जो माँ और बछड़े को क्लोस्ट्रीडियल संक्रमण से बचाती है। पशु चिकित्सक से FMD, HS, और Brucellosis वैक्सीन की स्थिति जाँचें। 8वें महीने में डी-वर्मिंग (एल्बेंडाजोल, 10 मिली/100 किलो) करवाएँ। प्रसव से 2-3 हफ्ते पहले पशु चिकित्सक से गर्भ जाँच करवाएँ, ताकि बछड़े की स्थिति और प्रसव की तैयारी सुनिश्चित हो। नियमित जांच से मृत जन्म (2-5% मामले) की संभावना कम होती है।
पानी और चारा प्रबंधन
साफ, ताजा पानी 24 घंटे उपलब्ध रखें; गाय-भैंस को रोज 60-80 लीटर पानी चाहिए। हरा चारा (15-20 किलो) जैसे बरसीम, मक्का, या लूसर्न पाचन और पोषण के लिए जरूरी है। साइलेज (5-7 किलो) जोड़ने से दूध में वसा (4-5%) बढ़ती है। चारे में नमक (30-50 ग्राम/दिन) मिलाएँ। अधिक पानी या खराब चारे से दस्त या अपच हो सकती है, जो बछड़े के विकास को प्रभावित करता है।
प्रसव की तैयारी
8वें महीने से पशु में बदलाव (कम खाना, बार-बार उठना-बैठना, पूंछ हिलाना) दिखते हैं। प्रसव से 10-15 दिन पहले दाना 1-2 किलो बढ़ाएँ। गोशाला में साफ बिछावन, आपातकालीन किट (रस्सी, सैनिटाइजर), और पशु चिकित्सक का नंबर तैयार रखें। जटिल प्रसव (5-10% मामले) में तुरंत चिकित्सक बुलाएँ। प्रसव के बाद माँ को गुनगुना पानी और गुड़-चना खिलाएँ, ताकि ऊर्जा बनी रहे।
मुनाफे की गणना
सही देखभाल से बछड़ा स्वस्थ (25-35 किलो, 10,000-15,000 रुपये मूल्य) और दूध उत्पादन 10-15 लीटर/दिन (50 रुपये/लीटर) होता है। प्रति गाय/भैंस रोज 500-750 रुपये आय, यानी 1.5-2.25 लाख रुपये/वर्ष। लागत (दाना, मिनरल, वैक्सीन) 30,000-40,000 रुपये/वर्ष है, जिससे शुद्ध मुनाफा 1-1.85 लाख रुपये/पशु/वर्ष होता है। स्वस्थ बछड़ा भविष्य में डेयरी का आधार बनता है।
पशुपालक भाइयो, गाभिन गाय-भैंस की अंतिम तीन महीने की देखभाल आपके डेयरी व्यवसाय की नींव है। पोषण, साफ-सफाई, और चिकित्सकीय देखभाल से स्वस्थ बछड़ा और भरपूर दूध सुनिश्चित करें। थोड़ी मेहनत और वैज्ञानिक तरीके अपनाकर आप अपनी आय दोगुनी कर सकते हैं। स्वस्थ पशु, समृद्ध किसान की पहचान है।
ये भी पढ़ें – ब्लैक बंगाल बकरी का पालन करें, होगा जबरदस्त लाभ, गाँव के गरीबों का एटीएम कही जाती है