सिर्फ 70 दिनों में दोगुनी होगी किसानों की कमाई! गन्ने के साथ उगाइए ये चमत्कारी फसल

लखीमपुर खीरी, जिसे लोग ‘चीनी का कटोरा’ कहते हैं, वहां के किसान भाई अब सिर्फ गन्ने की खेती तक सीमित नहीं रहे। गन्ना तो बरसों से उनकी कमाई का बड़ा जरिया रहा, लेकिन अब वो नई राह पकड़ रहे हैं। खेतों में अब गन्ने के साथ-साथ उड़द की फसल भी लहलहा रही है। ये छोटी सी दाल बड़ा कमाल कर रही है। कम लागत, कम मेहनत, और 70 दिन में तैयार होकर अच्छा मुनाफा दे रही है। आइये जानते हैं कि लखीमपुर के किसान भाई उड़द की खेती की ओर क्यों झुक रहे हैं और ये उनके लिए कितना फायदेमंद साबित हो रहा है।

उड़द की खेती का बढ़ता रुझान

लखीमपुर में रबी की फसलें अब पक चुकी हैं। गेहूं, सरसों, और दूसरी फसलों की कटाई के बाद खेत खाली पड़े हैं। ऐसे में किसान भाई खाली जमीन का सही इस्तेमाल करने के लिए उड़द की खेती की ओर बढ़ रहे हैं। ये फसल न सिर्फ जल्दी तैयार होती है, बल्कि मिट्टी को भी ताकत देती है। उड़द की जड़ें मिट्टी में नाइट्रोजन छोड़ती हैं, जिससे अगली फसल के लिए खेत और उपजाऊ बनता है। यानी, ये फसल न सिर्फ जेब भर रही है, बल्कि खेत की सेहत भी सुधार रही है।

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लखीमपुर के किसान रामू भाई, जो पिछले कुछ सालों से उड़द की खेती कर रहे हैं, बताते हैं कि ये फसल उनकी जिंदगी बदल रही है। उन्होंने इस बार अपने दो बीघा खेत में उड़द बोया। रामू भाई का कहना है कि एक बीघा में उड़द बोने में 4-5 हजार रुपये का खर्च आता है। लेकिन जब फसल तैयार होती है, तो 25 से 30 हजार रुपये तक की कमाई हो जाती है। यानी, छोटा सा निवेश और दुगना-तिगुना मुनाफा। और सबसे बड़ी बात, ये फसल 70-75 दिन में पककर तैयार हो जाती है, तो किसान को जल्दी पैसे मिल जाते हैं।

बाजार में उड़द की बढ़ती मांग

आजकल बाजार में उड़द की दाल की मांग बढ़ रही है। चाहे गांव हो या शहर, लोग उड़द की दाल की रोटी, इडली, या फिर दाल मखनी बड़े चाव से खाते हैं। बाजार में इसकी कीमत 100 से 140 रुपये प्रति किलो तक जा रही है। ऐसे में छोटे किसान भाई, जिनके पास ज्यादा जमीन नहीं है, वो भी उड़द की खेती से अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं। लखीमपुर के बाजारों में उड़द की फसल आसानी से बिक जाती है, और बड़े व्यापारी भी इसे खरीदने के लिए तैयार रहते हैं।

उड़द की खेती क्यों है आसान?

उड़द की खेती का एक बड़ा फायदा ये है कि इसे ज्यादा पानी की जरूरत नहीं पड़ती। लखीमपुर की मिट्टी, जो गन्ने के लिए मशहूर है, उड़द के लिए भी एकदम मुफीद है। ये फसल अलग-अलग तरह की मिट्टी में आसानी से उग जाती है। बारिश का मौसम हो या गर्मी, उड़द की फसल बिना ज्यादा देखभाल के लहलहा उठती है। कीटों से बचाने के लिए भी ज्यादा कीटनाशक नहीं लगते, जिससे खेती का खर्चा और कम हो जाता है। यही वजह है कि गन्ने जैसी भारी लागत वाली फसल के साथ उड़द की खेती किसानों की पसंद बन रही है।

लखीमपुर के किसान अब समझ गए हैं कि सिर्फ गन्ने पर निर्भर रहना ठीक नहीं। गन्ने की खेती में समय ज्यादा लगता है, और मिलों से पैसे मिलने में भी देरी होती है। लेकिन उड़द की फसल जल्दी तैयार होती है, और बाजार में बिकने में कोई दिक्कत नहीं। ये फसल छोटे और बड़े, दोनों तरह के किसानों के लिए फायदेमंद है। साथ ही, ये पर्यावरण के लिए भी अच्छी है, क्योंकि रासायनिक खाद और कीटनाशकों की जरूरत कम पड़ती है। लखीमपुर के किसान भाइयों ने उड़द की खेती को अपनाकर एक नया रास्ता चुना है, जो उनकी जेब और खेत, दोनों को मजबूत कर रहा है।

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  • Shashikant

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