जुलाई का महीना गन्ना किसानों के लिए बेहद खास होता है। इस समय गन्ने की फसल तेजी से बढ़ती है और पोरी बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। लेकिन यही समय है जब मिली बग, टिड्डा, और आर्मी वर्म जैसे कीट गन्ने पर हमला करते हैं। खासकर मिली बग गन्ने की नरम पोरी को निशाना बनाता है, जिससे फसल को भारी नुकसान हो सकता है। उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान की वैज्ञानिक डॉ. नीलम कुरील बताती हैं कि अगर समय पर इन कीटों का नियंत्रण न किया जाए, तो गन्ने की पैदावार और गुणवत्ता दोनों प्रभावित हो सकती हैं। आइए, जानते हैं मिली बग और अन्य कीटों से गन्ने को कैसे बचाया जाए।
मिली बग: गन्ने का छिपा दुश्मन
मिली बग एक रस चूसने वाला कीट है, जो गन्ने की नरम पोरी और गांठों पर चिपककर रस चूसता है। इससे पौधा कमजोर हो जाता है, पत्तियाँ काली पड़ने लगती हैं, और प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया बाधित होती है। अगर इसका समय पर नियंत्रण न किया जाए, तो पौधा पूरी तरह नष्ट हो सकता है। जुलाई में पोरी बनने की शुरुआत के साथ ही मिली बग का प्रकोप बढ़ता है। यह कीट गन्ने की गांठों पर सफेद, चिपचिपा पदार्थ छोड़ता है, जिससे फसल की गुणवत्ता भी कम हो जाती है। डॉ. कुरील के अनुसार, इस कीट की वजह से गन्ने की पैदावार में 20-30% तक की कमी आ सकती है।
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अन्य कीटों का खतरा
मिली बग के अलावा, जुलाई में टिड्डा और आर्मी वर्म जैसे पत्ती कुतरने वाले कीट भी गन्ने को नुकसान पहुँचाते हैं। ये कीट पत्तियों को खाकर पौधे की बढ़त रोकते हैं। खासकर खरीफ सीजन में नमी और गर्मी के कारण ये कीट तेजी से फैलते हैं। अगर खेत में जलभराव हो, तो कीटों का प्रकोप और बढ़ जाता है। इसलिए किसानों को नियमित निगरानी और समय पर उपाय करने की जरूरत है।
मिली बग से बचाव के उपाय
मिली बग और अन्य कीटों से फसल को बचाने के लिए कीटनाशकों का सही समय पर छिड़काव जरूरी है। डॉ. नीलम कुरील सलाह देती हैं कि किसान खेत की निगरानी करें और गन्ने के पौधों पर सफेद चिपचिपे कीट या काली पत्तियों के लक्षण देखते ही तुरंत कदम उठाएँ। इसके लिए क्लोरोपायरीफॉस 20% ईसी (5 लीटर प्रति हेक्टेयर) का घोल बनाकर छिड़काव करें। दूसरा विकल्प रॉकेट (750 मिली प्रति हेक्टेयर) का घोल है, जो मिली बग को प्रभावी ढंग से मारता है। इसके अलावा, इमिडाक्लोप्रिड नामक कीटनाशक (0.5 मिली/लीटर पानी) का छिड़काव भी कारगर है। ये कीटनाशक फसल को 20-25 दिन तक कीटों से सुरक्षित रखते हैं।
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बारिश के बाद दोबारा छिड़काव
अगर छिड़काव के बाद बारिश हो जाए और खेत में फिर से मिली बग दिखें, तो 20-25 दिन बाद दोबारा इनमें से किसी एक कीटनाशक का छिड़काव करें। छिड़काव सुबह या शाम के समय करें, जब कीट ज्यादा सक्रिय होते हैं। कीटनाशकों की संतुलित मात्रा का उपयोग करें, ताकि पर्यावरण को नुकसान न हो। खेत में जलभराव से बचें और मिट्टी की जाँच करवाएँ। गन्ने की स्वस्थ बढ़त के लिए जैविक खाद और उर्वरकों का भी सही इस्तेमाल करें।
किसानों के लिए जरूरी सलाह
किसान भाइयों, जुलाई में गन्ने की फसल की नियमित निगरानी करें। मिली बग, टिड्डा, या आर्मी वर्म के लक्षण दिखते ही तुरंत अपने नजदीकी गन्ना शोध केंद्र या कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से संपर्क करें। कीटनाशकों का उपयोग विशेषज्ञों की सलाह से करें और खेत में साफ-सफाई रखें। गन्ने की उन्नत किस्में, जैसे Co-0238 या Co-0118, अपनाएँ, जो कीटों के प्रति कुछ हद तक प्रतिरोधी हैं। ज्यादा जानकारी के लिए उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान की वेबसाइट (upcaneresearch.in) पर जाएँ। समय पर कदम उठाकर आप अपनी फसल को नुकसान से बचा सकते हैं।
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