Garlic farming in October: भारत के किसान भाई जानते हैं कि रबी सीजन में ऐसी फसलें चुननी चाहिए जो कम पानी में ज्यादा पैदावार दें और बाजार में अच्छी कीमत लाएं। लहसुन ऐसी ही एक फसल है, जो मसालों और दवाओं में इस्तेमाल होती है और साल भर डिमांड बनी रहती है। अक्टूबर का महीना लहसुन की बुवाई के लिए सबसे सही समय माना जाता है, क्योंकि ठंडी हवाओं से कंद मजबूत बनते हैं।
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में किसान इस फसल से तगड़ी कमाई कर रहे हैं। कृषि विशेषज्ञों की सलाह है कि सही किस्म चुनकर 150-160 दिनों में ही फसल तैयार हो जाती है, और प्रति हेक्टेयर 100 क्विंटल से ज्यादा उपज आसानी से मिल सकती है। आइए, जानते हैं ऐसी ही पांच लोकप्रिय किस्मों के बारे में, जो छोटे-बड़े किसानों के लिए वरदान साबित हो रही हैं।
यमुना सफेद 2 (जी-50)
यमुना सफेद 2 या जी-50 लहसुन की एक उन्नत किस्म है, जो किसानों के बीच खासी मशहूर है। इसके कंद सफेद और चमकदार होते हैं, जिनका आकार मध्यम रहता है। यह किस्म 165 से 170 दिनों में पककर तैयार हो जाती है, और प्रति हेक्टेयर 130 से 140 क्विंटल तक पैदावार देती है। खास बात यह है कि यह रोगों से लड़ने की अच्छी ताकत रखती है, जिससे किसानों को कीटनाशकों पर कम खर्च करना पड़ता है। ठंडे इलाकों में यह किस्म बिल्कुल फिट बैठती है, और बाजार में इसकी मांग हमेशा ऊंची रहती है। किसान बताते हैं कि जी-50 से उनकी आय पिछले साल दोगुनी हो गई।
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टाइप 56-4
टाइप 56-4 लहसुन की वह किस्म है, जो देर से पकती है लेकिन बदले में भरपूर फसल देती है। इसके कंद बड़े और भारी होते हैं, जो भंडारण के लिए भी मजबूत रहते हैं। बुवाई के 170 से 180 दिनों बाद यह तैयार होती है, और प्रति हेक्टेयर 120 से 135 क्विंटल तक उपज मिल सकती है। यह किस्म सूखे सहन करने वाली है, इसलिए कम सिंचाई वाले इलाकों में किसान इसे पसंद करते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि सही खाद और दूरी बनाकर बोने से इसकी पैदावार और बढ़ जाती है।
सोलन
सोलन लहसुन की किस्म पहाड़ी क्षेत्रों के किसानों के लिए बनी है। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में यह खूब उगाई जाती है। इसके कंद छोटे लेकिन सुगंधित होते हैं, जो मसाला उद्योग में खासी पसंद की जाती है। यह 160 से 165 दिनों में तैयार हो जाती है, और प्रति हेक्टेयर 110 से 125 क्विंटल पैदावार देती है। ठंडी जलवायु में यह तेजी से बढ़ती है और फफूंद जैसे रोगों से बची रहती है। किसान इसकी आसान देखभाल और अच्छे दाम की वजह से इसे अपनाने लगे हैं।
जी-282
जी-282 लहसुन की हाइब्रिड किस्म है, जो तेजी से लोकप्रिय हो रही है। इसके कंद गहरे लाल रंग के और मजबूत होते हैं, जिनका वजन अच्छा रहता है। बुवाई के 155 से 160 दिनों में फसल कटाई लायक हो जाती है, और प्रति हेक्टेयर 140 से 150 क्विंटल तक उपज संभव है। यह किस्म कीटों के खिलाफ मजबूत है, इसलिए मैदानी इलाकों में किसान इसे ट्रायल कर रहे हैं। बाजार में इसकी चमक और गुणवत्ता की वजह से ऊंची कीमत मिलती है।
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एग्रीफाउंड सफेद (जी-41)
एग्रीफाउंड सफेद या जी-41 लहसुन की पुरानी लेकिन सबसे भरोसेमंद किस्म है। इसके कंद सफेद, चिकने और बड़े होते हैं, जो भंडारण में लंबे समय तक ताजा रहते हैं। यह 160 दिनों में तैयार हो जाती है, और प्रति हेक्टेयर 100 से 120 क्विंटल पैदावार देती है। कम पानी और मिट्टी की जरूरत होने से छोटे किसान इसे आसानी से उगा पाते हैं। यह किस्म रोग प्रतिरोधी है और शुरुआती किसानों के लिए बेस्ट चॉइस है।
लहसुन की सफल खेती के लिए आसान टिप्स
लहसुन की खेती के लिए अक्टूबर में बुवाई करें, जब तापमान 20-25 डिग्री रहता है। अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी चुनें और सड़ी गोबर की खाद मिलाएं। कंदों को 5-7 सेंटीमीटर की गहराई पर 10-15 सेंटीमीटर की दूरी पर बोएं। 4-5 सिंचाई ही काफी हैं, और खरपतवार हटाने का ध्यान रखें। अगर फफूंद लगे, तो नीम का घोल छिड़कें। इन टिप्स से किसान न केवल पैदावार बढ़ा सकेंगे, बल्कि मुनाफा भी कई गुना कर सकेंगे। लहसुन की खेती से न सिर्फ जेब भरेगी, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद बनेगी।
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