हमारे किसान भाई पशुपालन के लिए साल भर मेहनत करते हैं ताकि उनके पशुओं को अच्छा चारा मिले और दूध का उत्पादन बढ़े। लेकिन गर्मी का मौसम आते ही चारे की दिक्कत शुरू हो जाती है। बरसीम, जो सर्दियों में खूब लहलहाती है, गर्मी में मुरझा जाती है। मई-जून की तपती धूप में ये फसल पनप नहीं पाती। ऐसे में किसानों को गर्मी के अनुकूल चारा फसलों की जरूरत पड़ती है। आज हम बात करेंगे कि बरसीम गर्मी में क्यों फेल हो जाती है और इसके बजाय कौन सी चारा फसलें आपके पशुओं को तंदुरुस्त रख सकती हैं।
बरसीम क्यों नहीं चलती गर्मी में?
बरसीम एक ठंडे मौसम की फसल है, जो सर्दियों में अच्छी तरह बढ़ती है। जब सर्दी का तापमान 15-25 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है, तो बरसीम के पौधे खूब हरे-भरे रहते हैं। लेकिन जैसे ही गर्मी आती है और तापमान 30 डिग्री से ऊपर चला जाता है, बरसीम के पौधे कमजोर पड़ने लगते हैं। पत्तियाँ मुरझाने लगती हैं और पौधे धीरे-धीरे सूख जाते हैं। मई-जून की तेज धूप और गर्मी में बरसीम की खेती करना मुश्किल हो जाता है। इसलिए किसानों को गर्मी में ऐसी चारा फसलों की ओर रुख करना चाहिए, जो इस मौसम में भी अच्छा उत्पादन दें।
नेपियर घास
गर्मी में चारा फसलों में नेपियर घास किसानों का बड़ा सहारा है। ये हाइब्रिड घास तेजी से बढ़ती है और एक बार लगाने के बाद कई बार कटाई देती है। प्रति हेक्टेयर 400 से 500 क्विंटल तक हरा चारा मिल सकता है, जो पशुओं के लिए बहुत पौष्टिक होता है। नेपियर घास में प्रोटीन की मात्रा अच्छी होती है, जो गायों और भैंसों के दूध उत्पादन को बढ़ाती है। इसे लगाने के लिए खेत को अच्छे से तैयार करें और गोबर की खाद डालें। गर्मी में पानी की कमी न हो, इसके लिए ड्रिप सिंचाई का इंतजाम करें। ये घास गर्मी और सूखे को भी अच्छे से झेल लेती है।
चारा ज्वार
ज्वार की चारा फसल गर्मी में किसानों की पहली पसंद है। ये फसल 60-70 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है, यानी कम समय में आपको भरपूर हरा चारा मिलता है। ज्वार की खासियत है कि ये कम पानी और सूखे को भी सहन कर लेती है। इसे हरे चारे के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं या साइलेज बनाकर पशुओं को बाद में खिला सकते हैं। ज्वार बोने से पहले खेत में जैविक खाद डालें और बीजों को बीजोपचार करें ताकि अंकुरण अच्छा हो। ये फसल पशुओं के लिए सुपाच्य होती है और उनकी सेहत को दुरुस्त रखती है।
चारा बाजरा
अगर आपके इलाके में पानी की कमी है, तो चारा बाजरा आपके लिए बढ़िया विकल्प है। ये फसल कम पानी में भी अच्छा उत्पादन देती है और तेजी से बढ़ती है। बाजरे का चारा पशुओं के लिए पौष्टिक और आसानी से पचने वाला होता है। इसे बोने के लिए खेत को अच्छे से जोतें और गोबर की सड़ी खाद मिलाएँ। बाजरा गर्मी की तेज धूप को आसानी से सहन कर लेता है और पशुओं को भरपूर चारा देता है। कई किसान इसे ज्वार के साथ मिलाकर भी बोते हैं ताकि चारे की मात्रा और गुणवत्ता दोनों बढ़े।
लोबिया
लोबिया एक ऐसी चारा फसल है, जो न सिर्फ पशुओं को प्रोटीन देती है, बल्कि मिट्टी की ताकत भी बढ़ाती है। ये दाल वर्ग की फसल है, जो गर्मी में अच्छी तरह पनपती है। लोबिया को आप अकेले बो सकते हैं या ज्वार और बाजरे के साथ मिश्रित खेती कर सकते हैं। इससे चारे की गुणवत्ता बढ़ती है और पशुओं को संतुलित आहार मिलता है। लोबिया की खेती से मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा भी बढ़ती है, जो अगली फसल के लिए फायदेमंद होती है। इसे बोने से पहले खेत में जैविक खाद डालें और समय पर सिंचाई करें।
सनई
सनई एक ऐसी फसल है, जो गर्मी में चारे और हरी खाद दोनों के लिए इस्तेमाल की जा सकती है। ये तेजी से बढ़ती है और पशुओं के लिए पौष्टिक चारा देती है। साथ ही, इसे मिट्टी में मिलाकर हरी खाद के रूप में इस्तेमाल करने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। सनई की खेती के लिए खेत को अच्छे से तैयार करें और बीजों को बीजोपचार करें। ये फसल गर्मी में कम पानी में भी अच्छा उत्पादन देती है और पशुपालकों के लिए फायदेमंद साबित होती है।
चारा फसलों की खेती का देसी तरीका
गर्मी में चारा फसलों की खेती के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। सबसे पहले खेत को अच्छे से जोतें और गोबर की सड़ी खाद या जैविक खाद डालें। इससे मिट्टी में पोषण बढ़ता है और फसल अच्छी होती है। गर्मी में पानी की कमी न हो, इसके लिए ड्रिप या फव्वारा सिंचाई का इंतजाम करें। बीज बोने से पहले बीजोपचार करें ताकि अंकुरण अच्छा हो और रोगों से बचाव हो। कुछ किसान नीम की खली का घोल खेत में डालते हैं, जिससे चारे की पौष्टिकता बढ़ती है और मिट्टी स्वस्थ रहती है।
किसानों के अनुभव
हमारे गाँवों के किसान अपने अनुभव से चारा खेती को और बेहतर बनाते हैं। कई किसान ज्वार और लोबिया को मिलाकर बोते हैं, जिससे चारे की मात्रा और पौष्टिकता दोनों बढ़ती है। कुछ किसान नेपियर घास के साथ बरसीम का साइलेज मिलाकर पशुओं को गर्मी में संतुलित आहार देते हैं। इससे पशुओं की सेहत अच्छी रहती है और दूध उत्पादन में कमी नहीं आती। ये देसी नुस्खे न सिर्फ सस्ते हैं, बल्कि पशुपालकों के लिए बहुत कारगर भी हैं।
गर्मी में चारा, पशुओं की सेहत का आधार
गर्मी में बरसीम की खेती करना मुश्किल है, लेकिन नेपियर घास, ज्वार, बाजरा, लोबिया और सनई जैसे विकल्प आपके पशुओं को भरपूर चारा दे सकते हैं। ये फसलें न सिर्फ गर्मी में अच्छा उत्पादन देती हैं, बल्कि पशुओं को पौष्टिक और संतुलित आहार भी देती हैं। सही फसल और देसी तरीकों को अपनाकर आप अपने पशुओं की सेहत को बनाए रख सकते हैं और दूध उत्पादन बढ़ा सकते हैं। तो इस गर्मी में इन चारा फसलों को आजमाएँ और अपने पशुपालन को और फायदेमंद बनाएँ।
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