गर्मी में कीजिए इन 4 प्रकार के चारे की बुआई, कभी नही होगी चारे की कमी, दूध उत्पादन भी होगा जबरदस्त

प्यारे किसान और पशुपालक भाइयों, आपके खेतों की हरियाली और पशुओं की ताकत ही आपका गर्व है। गर्मी का मौसम आते ही पशुओं के लिए हरा चारा ढूँढना टेढ़ी खीर हो जाता है, लेकिन कुछ खास फसलें उगाकर आप इस परेशानी को दूर कर सकते हैं। मक्का, सूडान घास, सोरघम (ज्वार), लुसीन, और बरसीम ऐसी प्रजातियाँ हैं, जो गर्मी में आसानी से उगती हैं और कम समय में तैयार हो जाती हैं। ये हरा चारा पशुओं के लिए पौष्टिक है, उनकी सेहत को चमकाता है, और दूध की पैदावार भी बढ़ाता है। आइए, इनकी खेती का देसी तरीका जानते हैं।

गर्मी में हरे चारे की जरूरत

गर्मी में सूखा भूसा या घास पशुओं को कमजोर कर देता है। हरा चारा प्रोटीन, विटामिन, और मिनरल्स का खजाना है, जो गाय, भैंस, और बकरी को तंदुरुस्त रखता है। ये फसलें न सिर्फ पशुओं को ताकत देती हैं, बल्कि दूध में मलाई और मात्रा भी बढ़ाती हैं। ये 30-60 दिन में तैयार हो जाती हैं, तो गर्मी में चारे का टोटा नहीं पड़ता।

खेत तैयार करने का देसी ढंग

इन फसलों के लिए दोमट या बलुई मिट्टी सबसे बढ़िया है। खेत को हल से 2-3 बार जोतें, ताकि मिट्टी ढीली और भुरभुरी हो जाए। प्रति हेक्टेयर 5-7 टन गोबर की सड़ी खाद डालें। गर्मी में नमी बनाए रखने के लिए क्यारियाँ बनाएँ। मार्च के आखिर से मई तक खेत तैयार करें। पानी की निकासी का ध्यान रखें, वरना जड़ें सड़ सकती हैं। ये सस्ता और आसान तरीका है।

हरे चारे की प्रजातियाँ और बुवाई

  1. मक्का (Maize): प्रति हेक्टेयर 40-50 किलो बीज लें। कतार से कतार 45 सेमी और पौधे से पौधे 20 सेमी की दूरी रखें। 45-60 दिन में तैयार। ‘अफ्रीकन टॉल’ किस्म गर्मी में शानदार है।
  2. सूडान घास (Sudan Grass): 25-30 किलो बीज प्रति हेक्टेयर। 30-40 सेमी कतार दूरी। 30-40 दिन में कटाई। ये तेज बढ़ती है और बार-बार काटी जा सकती है।
  3. सोरघम/ज्वार (Sorghum): 10-15 किलो बीज। कतार 45 सेमी। 50-60 दिन में तैयार। ‘MP चरी’ किस्म पशुओं को भाती है।
  4. लुसीन (Lucerne): 15-20 किलो बीज। 30 सेमी कतार। 40-50 दिन में पहली कटाई। ये सालभर चारा देती है।

बीज, खाद और पानी का इंतजाम

बीज गाँव की दुकानों, कृषि केंद्र, या ऑनलाइन इंडिया मार्ट से 50-100 रुपये किलो मिलते हैं। सरकारी नर्सरी से सस्ते में लें। बीज ताजा और कीट-मुक्त हो। छोटे खेत के लिए 5-10 किलो से शुरू करें। बुवाई से पहले 20 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फॉस्फोरस डालें। गोबर की खाद जरूर मिलाएँ। गर्मी में हफ्ते में 2-3 बार हल्की सिंचाई करें। ड्रिप सिस्टम से पानी और खाद बचेंगे। नमी बनाए रखने के लिए पुआल डालें। फसल बढ़ने पर गोबर का घोल डालें, तो पत्तियाँ हरी-भरी रहेंगी। ज्यादा पानी से बचें।

देखभाल और कटाई का तरीका

खरपतवार के लिए 20-25 दिन बाद गुड़ाई करें। सुंडी लगे, तो नीम का तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) छिड़कें। मक्का और ज्वार को 1-1.5 फीट पर काटें। सूडान घास और लुसीन की 2-3 कटाई हो सकती है। बरसीम को जमीन से 5-7 सेमी ऊपर काटें। सुबह काटें, ताकि चारा ताजा रहे।

पशुओं को फायदा

ये हरा चारा पशुओं को ताकत देता है। मक्का और ज्वार से दूध में मलाई बढ़ती है। लुसीन और बरसीम प्रोटीन से भरपूर हैं, जो सेहत चमकाते हैं। सूडान घास हल्की और पौष्टिक है। दूध की पैदावार 20-30% तक बढ़ सकती है।

खर्चा और कमाई का हिसाब

प्रति हेक्टेयर 10,000-15,000 रुपये (बीज, खाद, पानी) लगते हैं। एक हेक्टेयर से 50-70 टन हरा चारा मिलता है। बेचें तो 2-3 रुपये किलो के हिसाब से 1-2 लाख रुपये की कमाई। पशुओं को खिलाएँ, तो दूध से 50,000-1 लाख अतिरिक्त फायदा। ये सौदा हर तरह से फायदेमंद है। तो, पशुपालक भाइयों, गर्मी में अपने खेतों को हरे चारे से भर दें। पशुओं की सेहत और जेब दोनों संवरेंगी।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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