Garmi mein mung ki kheti : किसान भाइयों, हमारे यहाँ अप्रैल में गेहूं की कटाई के बाद खेत खाली हो जाते हैं, और यह पछेती मूंग की खेती का सुनहरा मौका है। मूंग कम पानी में उगती है और 60-70 दिन में तैयार हो जाती है। अपने इलाके में इसे बोकर कम लागत में बंपर मुनाफा कमा सकते हैं। यह मिट्टी को नाइट्रोजन भी देती है, जो अगली फसल को फायदा पहुँचाती है। आइए, अपनी सहज भाषा में समझें कि गेहूं कटाई के बाद पछेती मूंग की खेती कैसे करें।
मूंग का जादू : कम मेहनत, बढ़िया कमाई
हमारे यहाँ पछेती मूंग इसलिए खास है, क्यूँकि यह गर्मी में कम पानी से अच्छी पैदावार देती है। अपने खेतों में इसे अप्रैल के आखिर से मई तक बोया जा सकता है। बाजार में मूंग 70-100 रुपये किलो बिकती है, और एक बीघे से 2-3 क्विंटल तक पैदा हो सकती है। इससे 14,000-30,000 रुपये की कमाई हो सकती है। हमारे यहाँ यह दाल के लिए यूज़ होती है और हरे चारे के रूप में पशुओं को भी खिलाई जा सकती है। यह छोटी अवधि की फसल खेत को खाली नहीं रहने देती और जेब को भारी बनाती है।
खेत को संवारें आसान तैयारी का रास्ता
अपने खेतों में गेहूं कटाई के बाद तुरंत तैयारी शुरू करें। मिट्टी को हल्का जोतें या जीरो टिलेज तकनीक अपनाएँ, जिससे समय और पानी की बचत हो। अपने आसपास प्रति बीघा 2-3 टन गोबर की सड़ी खाद डालें। अगर मिट्टी सूखी हो, तो एक हल्की सिंचाई करें। मूंग को दोमट या रेतीली मिट्टी पसंद है, जो गेहूं के बाद आमतौर पर तैयार रहती है। हमारे यहाँ यह तैयारी 500-700 रुपये में हो जाती है। गेहूं की पराली को हटाने की ज़रूरत नहीं, यह मिट्टी को ढककर नमी बनाए रखती है। यह ढंग खेत को जल्दी बोने लायक बनाता है।
पछेती मूंग की किस्में : सही चुनाव की ताकत
अपने इलाके में पछेती मूंग की अच्छी किस्में चुनना ज़रूरी है। पी.डी.एम. 11 कम पानी में अच्छी पैदावार देती है। पी.डी.एम. 139 (सम्राट) गर्मी सहन करने में माहिर है और फलियाँ जल्दी देती है। आई.पी.एम. 2-14 और आई.पी.एम. 410-3 (शिखा) बीमारियों से लड़ने में मज़बूत हैं। टी.जे.एम-3 तेजी से बढ़ती है और दाने भारी होते हैं। आई.पी.एम. 512-1 (सूर्या) गर्मी और सूखे में भी बढ़िया फलती है। हमारे यहाँ ये किस्में 200-300 रुपये किलो मिलती हैं। इनका सही चुनाव पैदावार को बढ़ाता है और मुनाफा बढ़ाने में मदद करता है।
बीज बोने की कला सही समय का फायदा
मूंग के अच्छे बीज जैसे पूसा विशाल, पंत मूंग-5 या स्थानीय किस्म चुनें। अपने इलाके में अप्रैल के आखिर से मई तक बुआई करें। प्रति बीघा 4-5 किलो बीज (200-300 रुपये किलो) लें। बीज को 2-3 सेमी गहरा और 25-30 सेमी की दूरी पर कतारों में बोएँ। अगर पानी कम है, तो ड्रिल मशीन से बोएँ, यह बीज को सही गहराई पर डालती है। हमारे यहाँ बुआई के बाद हल्की सिंचाई करें, ताकि अंकुरण तेज हो। 7-10 दिन में पौधे निकल आते हैं। यह तरीका कम पानी में भी बुआई को सफल बनाता है और फसल को मजबूत शुरूआत देता है।
देखभाल का मंत्र
अपने खेतों में मूंग को ज्यादा पानी की ज़रूरत नहीं। बुआई के बाद पहली सिंचाई करें, फिर 15-20 दिन बाद दूसरी। हमारे यहाँ कुल 2-3 सिंचाई काफी हैं। नीम का पानी (1 किलो पत्तियाँ 10 लीटर पानी में) हर 15 दिन में छिड़कें, यह तना मक्खी और अन्य कीटों से बचाता है। खरपतवार को हाथ से हटाएँ या पहली सिंचाई के बाद हल्की निराई करें। अपने आसपास जैविक खाद (1 किलो वर्मीकम्पोस्ट प्रति बीघा) डालें। यह देखभाल मूंग को हरा-भरा रखती है और फलियों को भारी बनाती है, वो भी कम पानी में।
कमाई का हिसाब
एक बीघे से 2-3 क्विंटल मूंग मिल सकती है। अपने इलाके में यह 70-100 रुपये किलो बिकती है, यानी 14,000-30,000 रुपये की कमाई। बीज, खाद और मेहनत का खर्च 1,000-1,500 रुपये पड़ता है। हमारे यहाँ शुद्ध मुनाफा 12,500-28,500 रुपये तक हो सकता है। हरा चारा बेचें, तो 2,000-3,000 रुपये अतिरिक्त मिल सकते हैं। यह फसल 60-70 दिन में तैयार होती है, जिसे स्थानीय मंडी या दुकानों में बेच सकते हैं। यह कम पानी में बंपर मुनाफे का आसान रास्ता है।
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