अब गर्मी में भी लहलहाएगा बरसीम चारा, इस नई किस्म ने उड़ा दी किसानों की नींद! एक एकड़ में उत्पादन होगा 60 टन तक

Garmi Vali Barseem: किसान भाईयों, बरसीम, जिसे मिस्र का क्लोवर भी कहते हैं, पशुपालकों के लिए चारे का राजा है। गर्मी में जब चारा मिलना मुश्किल हो जाता है, तब बीएल 42 और जे एच बी 146 (बंडल बरसीम-2) जैसी उन्नत किस्में किसानों का सहारा बनती हैं। बीएल 42, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) की देन, और जे एच बी 146, IGFRI झांसी द्वारा विकसित, गर्मी में भी कटाई और बंपर चारा उत्पादन के लिए मशहूर हैं। बीएल 42 प्रति एकड़ 52 टन तक और जे एच बी 146 36-40 टन हरा चारा दे सकती है। इस लेख में हम गर्मी में इनकी खेती के आसान तरीके बताएंगे, ताकि आपका खेत मई-जून में भी हरा-भरा रहे।

चारे का चैंपियन: बीएल 42 और जे एच बी 146 की ताकत

बीएल 42 एक तेजी से बढ़ने वाली किस्म है, जो 40 दिन में पहली कटाई देती है और मई-जून तक हरा चारा उपलब्ध कराती है। इसके पौधे 50-60 सेंटीमीटर ऊंचे, रसीले, और स्टेम रॉट जैसे रोगों के प्रति प्रतिरोधी हैं। दूसरी ओर, जे एच बी 146, जिसे बंडल बरसीम-2 भी कहते हैं, 20% प्रोटीन युक्त चारा देता है। इसके पौधे 55-65 सेंटीमीटर ऊंचे, गहरे हरे, और रूट रॉट व स्टेम रॉट के प्रति सहनशील हैं। दोनों किस्में गर्मी सहन कर सकती हैं और 35 डिग्री सेल्सियस तक अच्छा प्रदर्शन करती हैं। X पर पशुपालकों ने बताया कि इन किस्मों ने गर्मी में भी उनके पशुओं को पौष्टिक चारा दिया है।

मिट्टी और मौसम

इन किस्मों की खेती के लिए दोमट या चिकनी दोमट मिट्टी सबसे अच्छी है, जिसमें जल धारण क्षमता अधिक हो। मिट्टी का पीएच 6.5 से 7.5 होना चाहिए। पंजाब और हरियाणा की भारी मिट्टी इसके लिए आदर्श है, लेकिन रेतीली मिट्टी में बार-बार सिंचाई करनी पड़ती है। बीएल 42 और जे एच बी 146 गर्मी में 25-35 डिग्री सेल्सियस तापमान में अच्छी बढ़त करते हैं। गर्मी के लिए मार्च-अप्रैल में बुवाई करें, ताकि मई-जून में कटाई हो सके। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में ड्रिप सिंचाई का उपयोग करें। अपने नजदीकी कृषि केंद्र पर मिट्टी की जाँच करवाएं, ताकि पोषक तत्वों की कमी का पता लगे।

बुवाई

खेत की तैयारी के लिए गहरी जुताई करें और मिट्टी को भुरभुरा बनाएं। प्रति हेक्टेयर 10-12 टन गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट डालें। खेत को समतल कर 1.5 मीटर चौड़ी क्यारियां बनाएं। बीएल 42 के लिए 8-10 किलो और जे एच बी 146 के लिए 10-12 किलो बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त हैं। बीज को राइजोबियम कल्चर (10% गुड़ के घोल में मिलाकर) से उपचारित करें। बीज को 4-5 सेंटीमीटर गहरे पानी में छिटक विधि से बोएं। कतारों में 30 सेंटीमीटर की दूरी रखें। गर्मी में बुवाई मार्च के पहले या दूसरे सप्ताह में करें। बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें, ताकि अंकुरण तेज हो।

उर्वरक से बंपर चारा

गर्मी में अच्छी पैदावार के लिए संतुलित उर्वरक जरूरी हैं। प्रति हेक्टेयर 20 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस, और 40 किलो पोटाश डालें। बुवाई के समय यूरिया (44 किलो), DAP (130 किलो), और MOP (67 किलो) की पहली खुराक डालें। जैविक खेती के लिए नीम की खली (500 किलो प्रति हेक्टेयर) और राइजोबियम (10 किलो) डालें। अगर मिट्टी में जस्ता की कमी हो, तो 20 किलो जिंक सल्फेट डालें। उर्वरक डालने के बाद हल्की सिंचाई करें, ताकि पोषक तत्व जड़ों तक पहुंचें। गर्मी में नाइट्रोजन की अतिरिक्त खुराक (20 किलो) पहली कटाई के बाद डालें। अपने क्षेत्र के कृषि सलाहकार से उर्वरक योजना बनवाएं।

सिंचाई और खरपतवार

गर्मी में बीएल 42 और जे एच बी 146 को नियमित सिंचाई चाहिए। बुवाई के बाद पहली सिंचाई तुरंत करें। मार्च-अप्रैल में हर 5-7 दिन और मई में हर 4-5 दिन में सिंचाई करें। ड्रिप सिंचाई से पानी की बचत होती है। खरपतवार, जैसे चिकोरी, चारे की गुणवत्ता कम कर सकते हैं। बुवाई के 15-20 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई करें। पेंडीमेथालिन (1 लीटर प्रति 200 लीटर पानी) का छिड़काव बुवाई के 72 घंटे बाद करें। जैविक खेती में मल्चिंग और बार-बार गुड़ाई करें। खरपतवार नियंत्रण से गर्मी में भी चारा लहलहाता है।

कीट और रोग से चारे को बचाएं

बीएल 42 और जे एच बी 146 स्टेम रॉट और रूट रॉट के प्रति प्रतिरोधी हैं, लेकिन एफिड्स और कटवर्म का खतरा रहता है। एफिड्स के लिए इमिडाक्लोप्रिड (0.5 मिली प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें। कटवर्म के लिए क्लोरपाइरीफॉस (2 मिली प्रति लीटर पानी) का उपयोग करें। नीम तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) का छिड़काव कीटों और कवकों से बचाव करता है। गर्मी में जलभराव से बचें, ताकि रोग न हों। नियमित खेत की निगरानी करें और अपने कृषि सलाहकार से संपर्क रखें। स्वस्थ पौधे गर्मी में भी कटाई सुनिश्चित करते हैं।

कटाई

बीएल 42 की पहली कटाई बुवाई के 40 दिन बाद और जे एच बी 146 की 45-50 दिन बाद शुरू होती है। गर्मी में हर 25-30 दिन बाद कटाई करें। पौधों को जमीन से 7-8 सेंटीमीटर ऊपर काटें, ताकि दोबारा बढ़त हो। बीएल 42 प्रति एकड़ 52 टन और जे एच बी 146 36-40 टन हरा चारा देता है। कटाई सुबह करें और चारे को तुरंत पशुओं को खिलाएं या साइलेज बनाएं। गर्मी में 4-5 कटाइयां संभव हैं। चारे को 20% मक्का के साथ मिलाकर साइलेज बनाएं, जो पशुओं के दूध उत्पादन को बढ़ाता है।

गर्मी में मुनाफे की बरसात

इन किस्मों की खेती की लागत प्रति हेक्टेयर 40,000-50,000 रुपये है, जिसमें बीज (8,000 रुपये), उर्वरक (12,000 रुपये), सिंचाई (10,000 रुपये), और मजदूरी (15,000 रुपये) शामिल हैं। बीएल 42 से 130 टन और जे एच बी 146 से 90-100 टन हरा चारा प्रति हेक्टेयर मिलता है, जिसे 2-3 रुपये प्रति किलो बेचा जा सकता है। इससे 2.5-3.5 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। इन किस्मों के फायदे और गर्मी में खेती के टिप्स शेयर करें, ताकि पशुपालक प्रेरित हों।

आज बोएं गर्मी में कमाएं

बीएल 42 और जे एच बी 146 बरसीम की खेती गर्मी में भी पशुपालकों और किसानों के लिए वरदान है। इनकी तेज बढ़त, गर्मी सहनशीलता, और बंपर चारा उत्पादन आपके खेत को हरा सोना देता है। चाहे आप पंजाब के उपजाऊ खेतों में हों या राजस्थान की गर्मी में, ये किस्में आपके पशुओं को पौष्टिक चारा और आपको मुनाफा देंगी। अपने नजदीकी कृषि केंद्र से प्रमाणित बीज लें, जैविक तरीके अपनाएं, और गर्मी में भी खेती का जादू दिखाएं। आज ही बीएल 42 और जे एच बी 146 की खेती शुरू करें, और मई-जून में मुनाफे की फसल काटें!

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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