गेहूं के बीज बोने से पहले ये 12 बातें याद रखिए, जानिए वैज्ञानिक बुवाई का फॉर्मूला!

उत्तर भारत के मैदानों में नवंबर की ठंडी हवाएँ चलने लगी हैं। खेतों में हल की आवाज गूंज रही है। गेहूं – रबी की सबसे बड़ी फसल, जिस पर लाखों किसानों की आजीविका और देश की खाद्य सुरक्षा टिकी है। लेकिन ये सफलता की कहानी कहाँ से शुरू होती है? जवाब है – अच्छे अंकुरण से। अगर बीज मिट्टी में दमदार तरीके से अंकुरित नहीं हुआ, तो पूरी फसल का खेल बिगड़ जाता है। पूसा कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर (डॉ.) एस. के. सिंह कहते हैं – “बुवाई से पहले की तैयारी ही फसल की 50% सफलता तय करती है।” आइए, 2025 की बुवाई से पहले हर जरूरी बात को एक-एक कर समझें।

तापमान का जादू, 20-25°C में जागता है बीज

गेहूं का बीज बहुत नाजुक होता है। इसे न ज्यादा गर्मी पसंद, न ज्यादा ठंड। अंकुरण के लिए सबसे अच्छा तापमान 20 से 25 डिग्री सेल्सियस है। इस साल नवंबर में अभी तक तापमान 22-26°C के आसपास चल रहा है, जो बिलकुल अनुकूल है। लेकिन अगर रात का तापमान 15°C से नीचे चला जाए, तो अंकुरण धीमा पड़ जाता है। वैज्ञानिक कहते हैं – दिन-रात के तापमान में 5-7 डिग्री का अंतर पौधों को मजबूत बनाता है। इसलिए 1 से 15 नवंबर तक बुवाई करने का समय सबसे सही है। इस साल मौसम थोड़ा गरम है, तो 20-25 नवंबर तक भी बुवाई की जा सकती है, लेकिन इसके बाद उपज में 1-2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की कमी आ सकती है।

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मिट्टी में नमी, न ज्यादा गीली, न सूखी

बीज अंकुरित होने के लिए पानी पीता है – इसे इम्बिबिशन कहते हैं। लेकिन पानी ज्यादा हुआ तो सांस रुक जाती है, बीज सड़ जाता है। पानी कम हुआ तो अंकुरण रुक जाता है। इसलिए बुवाई से 2-3 दिन पहले हल्की सिंचाई करें। मिट्टी ऐसी होनी चाहिए कि मुट्ठी में दबाने पर गीली मिट्टी बने, लेकिन पानी न निकले। अगर खेत में जलभराव की समस्या है, तो बेड प्लांटिंग करें – ऊंचे क्यारों पर बुवाई। इससे जड़ें सांस लेती रहती हैं।

ऑक्सीजन और मिट्टी की सांस

अंकुरण के दौरान बीज को ऑक्सीजन चाहिए। इसलिए खेत की गहरी जुताई जरूरी है। अगर मिट्टी सख्त है, तो जुताई के बाद लेजर लेवलिंग करवाएं। इससे पानी एक समान बंटता है, और जड़ें गहराई तक जा पाती हैं। दोमट मिट्टी गेहूं के लिए सबसे अच्छी है। pH 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। अगर मिट्टी अम्लीय है (pH < 6), तो चूना डालें। अगर क्षारीय है (pH > 8), तो जिप्सम या सल्फर का इस्तेमाल करें।

बीज की गहराई, 3 से 5 सेमी का सुनहरा नियम

बीज को न ज्यादा ऊपर, न ज्यादा नीचे। 3 से 5 सेमी की गहराई पर बोएं। अगर ऊपर बोया तो बीज सूख जाएगा। नीचे बोया तो अंकुर को बाहर आने में देर लगेगी। एक समान गहराई से सभी पौधे एक साथ निकलते हैं, जिससे फसल एकरूप रहती है। सीड ड्रिल का इस्तेमाल करें – ये गहराई और दूरी दोनों सही रखती है।

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बीज का चयन, 85% अंकुरण दर वाला प्रमाणित बीज

सस्ता बीज मत लीजिए। प्रमाणित बीज ही लें, जिसकी अंकुरण दर 85% या अधिक हो। उत्तर भारत के लिए अनुशंसित किस्में – HD 2967, HD 3086, WH 1105, DBW 187। ये रस्ट, ब्लाइट और कीट प्रतिरोधी हैं। बीज उपचार जरूरी है। थिरम (3 ग्राम/किग्रा) या टेबुकोनाज़ोल (1.25 ग्राम/किग्रा) से उपचार करें। जैव उर्वरक जैसे एज़ोटोबैक्टर और PSB भी मिलाएं – इससे जड़ें मजबूत होती हैं।

मिट्टी परीक्षण, फसल की नींव

बुवाई से पहले मृदा परीक्षण करवाएं। N, P, K, Zn की कमी पता चल जाएगी। सामान्यतः गेहूं को 120 किग्रा नाइट्रोजन, 60 किग्रा फॉस्फोरस, 40 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर चाहिए। आधा नाइट्रोजन बुवाई के समय, बाकी दो बार में। गोबर की सड़ी खाद (10 टन/हेक्टेयर) डालें – मिट्टी की जलधारण क्षमता बढ़ेगी।

पहले गहरी जुताई करें, फिर 2-3 क्रॉस कल्टीवेटर चलाएं। लेजर लेवलिंग से खेत समतल हो जाएगा। जलभराव वाले खेत में बेड प्लांटिंग करें। अंतिम जुताई से पहले ग्लाइफोसेट (1% घोल) का छिड़काव करें – खरपतवार की जड़ें मर जाएंगी।

उत्तर भारत में 1 से 15 नवंबर आदर्श समय है। इस साल तापमान थोड़ा ऊंचा है, इसलिए 20-25 नवंबर तक भी बुवाई की जा सकती है। देर से बुवाई में बीज दर 20-25% बढ़ाएं (125 किग्रा/हेक्टेयर)। पंक्तियों की दूरी 20-22 सेमी रखें।

सिंचाई, पहला पानी CRI पर

बुवाई के समय मिट्टी में नमी होनी चाहिए। पहला पानी बुवाई के 20-25 दिन बाद (CRI स्टेज) डालें। पानी की कमी हो तो स्प्रिंकलर इस्तेमाल करें।

बुवाई के 25-30 दिन बाद खरपतवार सबसे खतरनाक होते हैं। पेंडीमेथालिन या क्लोडिनाफॉप का छिड़काव करें। कीटों में एफिड्स, टर्माइट पर नजर रखें। सरसों को ट्रैप क्रॉप के रूप में बोएं।

ट्रैक्टर, सीड ड्रिल, स्प्रेयर – सब चेक करें। एक दिन की देरी से अंकुरण असमान हो सकता है।

किसान भाइयों के लिए ख़ास सलाह

गेहूं की सफलता बीज, मिट्टी, पानी और समय के सही मेल से बनती है। प्रो. एस.के. सिंह की सलाह है – “वैज्ञानिक तरीके अपनाओ, प्रकृति का साथ लो, फसल खुद ब खुद लहलहाएगी।” इस साल 2025 में अगर आप इन 12 बातों का पालन करेंगे, तो न सिर्फ अंकुरण शानदार होगा, बल्कि उपज भी 50-55 क्विंटल/हेक्टेयर तक जा सकती है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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