गेहूँ में पानी कब दें? ठंडी हवाओं के बीच ये 6 सिंचाइयाँ छोड़ दीं तो 8 क्विंटल का नुकसान, अभी से प्लान करें

Gehu Mein Pani Kab Dein: उत्तर भारत के खेतों में गेहूँ की फसल अब हरी चादर बिछाए खड़ी है। हर तरफ बस एक ही सवाल – “भाई, पानी कब देना है?” क्योंकि पिछले साल यही गलती सबसे ज्यादा हुई। बहुत से किसानों ने सोचा “बारिश हो ही जाएगी” या “पानी बचाना है” और एक-दो सिंचाई छोड़ दी। नतीजा? कल्ले तो निकले, लेकिन बालियाँ छोटी, दाने हल्के, वजन कम – 4 से 8 क्विंटल प्रति एकड़ तक का सीधा नुकसान।

गेहूँ की फसल पानी की भाषा समझती है। सही समय पर सही मात्रा में पानी मिला तो 22-26 क्विंटल प्रति एकड़ आसानी से। गलत समय या कमी हुई तो 15-16 क्विंटल पर ही फसल रुक जाती है। कृषि विश्वविद्यालयों, ICAR और लाखों सफल किसानों का आजमाया हुआ है।

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गेहूँ की 6 सिंचाइयों का पूरा कैलेंडर (उत्तर भारत के मैदानों के लिए)

1. पहली सिंचाई – 20-25 दिन बाद (ताजमूल अवस्था / Crown Root Initiation – CRI)

बुआई के ठीक 20-25 दिन बाद पहला पानी जरूर दें। इस समय पौधे की मुख्य जड़ें (क्राउन रूट) बन रही होती हैं। पानी न मिला तो जड़ें कमजोर रह जाती हैं, पूरा सीजन पौधा कमजोर चलता है। लक्षण: पत्तियाँ सुबह-सुबह हल्की मुरझाई हुई दिखें तो तुरंत पानी दें। नोट: देर रात या सुबह जल्दी पानी न दें, दोपहर 11 बजे से शाम 4 बजे तक सबसे अच्छा समय।

2. दूसरी सिंचाई – 40-50 दिन बाद (कल्ले निकलते समय – Tillering Stage)

ये सबसे महत्वपूर्ण सिंचाई है। इस समय कल्ले निकल रहे होते हैं। पानी की कमी हुई तो सिर्फ 4-6 कल्ले निकलेंगे। सही समय पर पानी देने से 14-18 तक कल्ले निकल आते हैं। लक्षण: जब खेत में पौधों के नीचे से छोटी-छोटी शाखाएँ (कल्ले) निकलने लगें। इस सिंचाई को कभी मिस न करें – यही फसल की नींव तय करती है।

3. तीसरी सिंचाई – 60-65 दिन बाद (गाँठ बनने का समय – Late Tillering / Jointing)

अब पौधा ऊँचाई ले रहा है, गाँठें बन रही हैं। पानी न मिला तो पौधा छोटा रह जाता है, बालियाँ कम बनती हैं। इस समय हल्का पानी दें, ज्यादा पानी से ठंडक बढ़ती है और रतुआ रोग लग सकता है।

4. चौथी सिंचाई – 80-85 दिन बाद (पुष्पावस्था / बाली निकलने का समय – Flowering / SAN)

ये जीवन-मरण का सवाल है! इस समय फूल आ रहे होते हैं। पानी की कमी हुई तो फूल झड़ जाते हैं, बालियाँ खाली रह जाती हैं। सही समय पर पानी देने से हर बाली में 40-50 दाने तक भर जाते हैं। लक्षण: जब बालियाँ ऊपर से निकलने लगें और फूल दिखने लगें। इस सिंचाई को कभी न छोड़ें – नुकसान सबसे ज्यादा यहीं होता है।

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5. पाँचवी सिंचाई – 100-105 दिन बाद (दुग्धावस्था – Milk Stage)

अब दाने में दूध भर रहा होता है। इस समय पानी से दाने मोटे, चमकदार और भारी बनते हैं। पानी न मिला तो दाने सिकुड़ जाते हैं, वजन बहुत कम हो जाता है। लक्षण: बाली को दबाने पर दाना से सफेद दूध निकले।

6. छठी सिंचाई – 115-120 दिन बाद (दाना पकने की शुरुआत – Dough Stage)

आखिरी पानी। इससे दाने में स्टार्च भरता है, चमक आती है, वजन बढ़ता है। लक्षण: दाने को दबाने पर दूध की बजाय आटा सा निकले। इसके बाद पानी बंद कर दें, नहीं तो कटाई में देरी होगी और दाने पर कालापन आ सकता है।

तीन सिंचाई कभी न छोड़ें

  1. पहली (20-25 दिन) – जड़ों के लिए
  2. चौथी (80-85 दिन) – फूलों के लिए
  3. पाँचवी (100-105 दिन) – दाने भरने के लिए

इन तीन को भूल गए तो फसल आधी रह जाएगी।

अतिरिक्त जरूरी सलाह

अगर आसमान से बारिश हो जाए तो अगली सिंचाई को 8-10 दिन टाल दें, ज्यादा पानी से फसल डूब न जाए। खेत में पानी रुके नहीं, नालियां साफ रखें ताकि निकासी आसान हो। ठंड या कोहरे वाले दिनों में हल्का पानी ही दें, भारी सिंचाई से फफूंदी का डर रहता है। अगर आपके पास ड्रिप या स्प्रिंकलर है तो इस्तेमाल करें, पानी बचेगा और फसल एकसमान बढ़ेगी। मिट्टी की जांच जरूर करवाएं, पोटाश या जिंक की कमी हो तो खाद उसी हिसाब से डालें।

भाइयों, गेहूं में पानी का सही बंदोबस्त ही पैदावार का राज है। इन छह सिंचाइयों को अपना लीजिए, और देखिए कैसे एक एकड़ से 25 क्विंटल निकल आते हैं।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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