Ghar Par Hari Matar Ugane Ka Aasan Tarika: अब बाजार से हरी मटर खरीदने की जरूरत नहीं। आप अपने घर की बालकनी, छत या छोटे से गमले में ताजी हरी मटर उगा सकते हैं। ये इतना आसान है कि बच्चे भी इसे कर सकते हैं। मटर ठंडी जलवायु की फसल है, और इसे अक्टूबर से जनवरी के बीच बोना सबसे अच्छा रहता है।
इस समय न तो ज्यादा गर्मी होती है और न ही ज्यादा ठंड। यही वह समय है जब मटर के बीज अच्छे से उगते हैं और जल्दी फलियां देते हैं। अगर आप अक्टूबर में बीज बोते हैं, तो दिसंबर से फरवरी तक ताजी मटर तोड़ सकते हैं। आइए, भाषा में समझते हैं कि घर पर मटर कैसे उगाएं।
मिट्टी को कैसे तैयार करें
मटर उगाने के लिए मिट्टी को बहुत ज्यादा खास करने की जरूरत नहीं, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। मिट्टी ढीली और हल्की होनी चाहिए, ताकि जड़ें आसानी से फैल सकें। अगर आपके पास बगीचा है, तो उसकी मिट्टी में गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट मिलाएं। इससे मिट्टी उपजाऊ बनेगी और बीज जल्दी अंकुरित होंगे। अगर बगीचा नहीं है, तो गमले, पुरानी बाल्टी या प्लास्टिक के डिब्बे में मटर उगा सकते हैं। बस ध्यान रखें कि गमले के नीचे पानी निकलने के लिए छेद हों, वरना ज्यादा पानी जड़ों को सड़ा सकता है।
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बीज कैसे चुनें और बोएं
मटर उगाने का पहला कदम है अच्छे बीज चुनना। बाजार से प्रमाणित हाइब्रिड या देशी किस्म के बीज लें। अगर आपके पास सूखी मटर है, तो वो भी काम कर सकती है, लेकिन अच्छी किस्म के बीज ज्यादा फलियां देंगे। बीजों को 10-12 घंटे पानी में भिगो दें। इससे वो जल्दी उगते हैं। मिट्टी को हल्का गीला करें, फिर उंगली से 1-2 इंच गहरा गड्ढा बनाकर 2-3 बीज डालें। ऊपर से हल्की मिट्टी डालकर दबा दें। गड्ढों के बीच थोड़ी दूरी रखें, ताकि पौधे अच्छे से फैल सकें।
पानी देने का सही तरीका
बीज बोने के बाद मिट्टी को हल्का पानी दें। इसके बाद हर 3-4 दिन में, जब मिट्टी ऊपर से सूखी लगे, तब थोड़ा पानी डालें। ज्यादा पानी देने से पौधे गल सकते हैं, इसलिए सावधानी बरतें। खासकर गमले में मटर उगाते वक्त पानी की मात्रा का ध्यान रखें, क्योंकि गमले में पानी जमा होने का खतरा ज्यादा होता है। सही पानी देने से पौधे स्वस्थ रहेंगे और जल्दी बढ़ेंगे।
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पौधों को सहारा देना
मटर के पौधे बेल की तरह फैलते हैं। जब वो बड़े होने लगते हैं, तो उनकी टहनियां इधर-उधर बिखर सकती हैं। अगर इन्हें सहारा न मिले, तो पौधे जमीन पर गिरकर सूख सकते हैं। इसलिए लकड़ी की छड़ियां, रस्सी या जाली का सहारा दें। आप बांस की पतली छड़ियां गाड़कर या छोटा सा मचान बनाकर पौधों को ऊपर चढ़ने में मदद कर सकते हैं। इससे पौधे मजबूत रहते हैं और ज्यादा फलियां लगती हैं।
पौधों की देखभाल
मटर के पौधों में आमतौर पर ज्यादा बीमारियाँ नहीं लगतीं, लेकिन अगर पत्तों पर कीड़े दिखें, तो उन्हें तुरंत हटाएं। नीम के पत्तों का पानी बनाकर छिड़कना एक अच्छा देसी उपाय है। ये जैविक है और मटर को खाने के लिए सुरक्षित रखता है। अगर पत्तियाँ पीली पड़ने लगें, तो मिट्टी में पोषण की कमी हो सकती है। ऐसी स्थिति में थोड़ा वर्मी कम्पोस्ट या जैविक खाद डालें। इससे पौधों को ताकत मिलेगी और वो स्वस्थ रहेंगे।
फलियां कब तोड़ें
बीज बोने के 60-80 दिन बाद पौधों पर हरी फलियां लगने लगती हैं। जब फलियां मोटी दिखें, लेकिन बहुत सख्त न हों, तब उन्हें तोड़ लें। इस समय मटर के दाने रसदार और मीठे होते हैं। ताजी मटर तोड़कर खाने का मजा ही अलग है। अगर आप इन आसान तरीकों को अपनाएंगे, तो घर पर ही बंपर मटर की फसल उगा सकते हैं। अपने नजदीकी कृषि केंद्र से सलाह लें और सही बीज व खाद का इस्तेमाल करें।
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