अदरक सिर्फ आपकी चाय का स्वाद ही नहीं बढ़ाती, बल्कि आपके खेत को सोने की फसल बना सकती है। बाजार में इसकी डिमांड कभी कम नहीं होती – मसाले, दवा, आचार, सबमें ये राज करती है। 2025 में जब धान-गेहूं की खेती से मुनाफा घट रहा है, तब अदरक जैसे मसाला फसलें किसानों के लिए नया रास्ता दिखा रही हैं। मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के प्रगतिशील किसान रविंद्र यादव ने यही साबित किया है। उनके एक एकड़ खेत में अदरक ने ₹1 लाख की लागत पर 100 क्विंटल उपज दी, और बाजार में बिक्री से ₹2 लाख का शुद्ध मुनाफा कमा लिया।
रविंद्र जी कहते हैं, “शुरू में डर था, लेकिन वैज्ञानिक तरीके अपनाने से फसल ने साथ दिया।” आइए, इस फसल की पूरी खेती समझें – जलवायु से लेकर बाजार तक।
मध्य प्रदेश में अदरक की खेती, खंडवा का सुनहरा अध्याय
मध्य प्रदेश अदरक उत्पादन में देश का नंबर वन राज्य है, जहां 31% हिस्सेदारी है। खंडवा जैसे जिले यहां की मिट्टी और मौसम के लिए बिलकुल फिट बैठते हैं। रविंद्र यादव ने 2024 में अपनी 5 एकड़ जमीन में से 1 एकड़ पर अदरक लगाई। उन्होंने बताया कि अप्रैल-मई में बुवाई की, और 8-9 महीने बाद दिसंबर में कटाई की। उपज इतनी शानदार आई कि पड़ोसी किसान भी प्रेरित हो गए। राज्य में सुप्रभा, सुरूचि जैसी किस्में अनुशंसित हैं, जो 30-35 क्विंटल प्रति एकड़ देती हैं। लेकिन रविंद्र जी ने सुप्रभा वैरायटी चुनी, जो रोग प्रतिरोधी है और बाजार में अच्छी कीमत पाती है।
ये भी पढ़ें – अदरक की सुप्रभा वैरायटी की करें खेती, इस महीने बोरी भरके मिलेगी पैदावार
जलवायु और मिट्टी, अदरक की पसंदीदा जगह
अदरक को गर्म और नम जलवायु भाती है। तापमान 20-30 डिग्री सेल्सियस रहना चाहिए – ज्यादा गर्मी से पत्तियां झुलस जाती हैं, कम ठंड से प्रकंद छोटे रह जाते हैं। खंडवा जैसे इलाके में मानसून की अच्छी बारिश (1500-2500 मिमी) फसल के लिए वरदान है। लेकिन सिंचाई वाले क्षेत्रों में साल भर पानी दें। मिट्टी हो बलुई दोमट या लाल, जिसमें जल निकासी अच्छी हो। pH 6-6.5 होना चाहिए – अम्लीय मिट्टी में थोड़ा चूना मिलाएं। रविंद्र जी ने अपने खेत में मिट्टी परीक्षण करवाया, जिससे फसल ने जड़ें मजबूत जमाईं। अगर आपका खेत जलभराव वाला है, तो ऊंचे क्यारियां बनाएं।
बुवाई का सही समय और बीज चयन
मध्य भारत में अदरक की बुवाई अप्रैल के अंत से जून के पहले हफ्ते तक करें। रविंद्र जी ने 15 मई को रोपाई की, जब मानसून आने वाला था। देर से बुवाई करने पर कंद सड़ने का खतरा बढ़ जाता है। बीज के लिए स्वस्थ प्रकंद चुनें – 200-250 ग्राम वजन वाले, 2-3 आंखों वाले। प्रति एकड़ 6-8 क्विंटल बीज लगता है। बीज उपचार जरूरी – कार्बेन्डाजिम (2 ग्राम/लीटर पानी) में 30 मिनट डुबोएं, ताकि सड़न रोग न लगे। रोपाई 25-30 सेमी दूरी पर करें, पंक्तियों के बीच 30-40 सेमी। रविंद्र जी ने जैविक खाद से बीज उपचार किया, जिससे अंकुरण 90% रहा।
खेत की तैयारी और रोपाई
खेत तैयार करने से फसल की 40% सफलता तय हो जाती है। गहरी जुताई करें, पुरानी फसलें साफ करें। 10-15 टन गोबर की सड़ी खाद प्रति एकड़ मिलाएं। रविंद्र जी ने जैविक खाद के साथ वर्मीकम्पोस्ट भी डाला। रोपाई के बाद हल्की मिट्टी की परत चढ़ाएं। अगर छाया मिले, तो उपज 25% बढ़ जाती है – पुराने बागों में अंतरवर्तीय फसल के रूप में लगाएं। मानसून आने पर पहली सिंचाई न करें, लेकिन सूखा पड़े तो हल्का पानी दें।
अदरक को भरपूर पोषण चाहिए। बुवाई पर 20-25 किग्रा नाइट्रोजन, 40 किग्रा फॉस्फोरस, 30 किग्रा पोटाश प्रति एकड़ दें। रविंद्र जी ने जैविक तरीके अपनाए – नीम की खली और गोमूत्र का मिश्रण। हर 45 दिन बाद टॉप ड्रेसिंग करें। सिंचाई 7-10 दिन के अंतराल पर – कुल 8-10 सिंचाई लगती हैं। ज्यादा पानी से जड़ सड़न हो जाती है, इसलिए ड्रिप सिंचाई अपनाएं। खंडवा में मानसून ने रविंद्र जी को 70% पानी बचाया।
ये भी पढ़ें – PAU की नई खोज! अदरक की खेती से हर एकड़ पर ₹2.5 लाख का मुनाफा, जानें पूरी तकनीक
खरपतवार, कीट और रोग नियंत्रण, समय पर सतर्क रहें
खरपतवार अदरक का सबसे बड़ा दुश्मन हैं। रोपाई के 20-25 दिन बाद जेडिंग करें। रविंद्र जी ने मल्चिंग (सूखी घास) की, जिससे खरपतवार 80% कम हुए। कीटों में शूट बोरर और राइजोम स्केल – नीम तेल (5 मिली/लीटर) का छिड़काव करें। रोग जैसे सॉफ्ट रॉट – कार्बेन्डाजिम स्प्रे। रविंद्र जी ने जैविक तरीके से ही सब संभाला, कोई केमिकल नहीं इस्तेमाल किया।
लागत, उपज और मुनाफा, रविंद्र यादव की गणना
रविंद्र जी के अनुसार, 1 एकड़ पर कुल लागत ₹1 लाख – बीज ₹40,000, खाद-दवा ₹30,000, मजूरी ₹20,000, सिंचाई ₹10,000। उपज 100 क्विंटल (10 टन)। बाजार मूल्य ₹20/किलो पर कुल ₹2 लाख। शुद्ध मुनाफा ₹1 लाख? नहीं, रविंद्र जी ने कहा ₹2 लाख, क्योंकि उन्होंने जैविक तरीके से लागत कम रखी। 2025 में कीमतें ₹25/किलो तक जा सकती हैं, तो मुनाफा ₹2.5 लाख। हेक्टेयर पर 150-200 क्विंटल उपज संभव, मुनाफा 20-25 लाख तक।
अदरक की खेती कम जोखिम, ज्यादा मुनाफा वाली फसल है। रविंद्र यादव जैसे किसान साबित कर चुके हैं कि सही तरीके से 1 एकड़ से लाखों कमा सकते हैं। 2025 में मानसून अच्छा रहने की उम्मीद है – अभी से तैयारी शुरू करें। अगर आपका खेत सूखा या मध्यम सिंचाई वाला है, तो ये फसल आपके लिए बिलकुल सही। वैज्ञानिक सलाह लें, जैविक तरीके अपनाएं, और देखें कैसे अदरक आपकी आय दोगुनी कर देती है।
ये भी पढ़ें – ये हैं अदरक की खेती की 3 सुपरहिट विधियाँ, आपको बना देंगी मालामाल