अदरक-हल्दी किसानों के लिए खुशखबरी, मजदूरों की जगह आई अदरक हार्वेस्टर मशीन, 95% खुदाई एक पास में

Turmeric Ginger Harvester Machine: भारत में अदरक और हल्दी की खेती लाखों किसानों की आजीविका का आधार है। ये दोनों राइजोम वाली फसलें मसाले, दवा और निर्यात के लिए हमेशा मुनाफा देती रही हैं। 2025 में अदरक का उत्पादन 10 लाख टन से ऊपर होने का अनुमान है, जबकि हल्दी का 12 लाख टन। लेकिन इन फसलों की खेती का सबसे कठिन चरण है – खुदाई। नरम मिट्टी में जड़ें उखाड़ना, उन्हें साफ करना और नुकसान से बचाना – ये सब हाथ से करने पर 10-15 मजदूरों को 2-3 दिन लग जाते हैं।

इससे लागत बढ़ती है, उपज का 10-15% नुकसान होता है, और किसान थकान से जूझते हैं। लेकिन अब ये समस्या पुरानी हो रही है। जैन इरिगेशन सिस्टम्स लिमिटेड ने एक ऐसी आधुनिक मशीन लॉन्च की है, जो एक बार में करीब 95% अदरक खुदाई का काम आसानी से कर देती है। आइए, इस क्रांतिकारी मशीन की पूरी जानकारी लें।

जैन इरिगेशन की अदरक हार्वेस्टर मशीन

जैन इरिगेशन, जो ड्रिप इरिगेशन और कृषि उपकरणों में अग्रणी है, ने हाल ही में अदरक और हल्दी जैसी जड़ वाली फसलों के लिए विशेष हार्वेस्टर मशीन विकसित की है। ये मशीन डीजल इंजन से चलती है और वॉकिंग ट्रैक्टर पर आधारित है। मुख्य फीचर्स:

  • दक्षता: 95% तक खुदाई एक पास में पूरी। मैनुअल तरीके से जहां 20-30% नुकसान होता है, यहां सिर्फ 5%।
  • क्षमता: 1 एकड़ में 4-6 घंटे में काम। 10 मजदूरों का काम एक मशीन से।
  • डिजाइन: क्रॉलर सिस्टम से मिट्टी में आसानी से चलती है। खुदाई के बाद चेन और ब्लेड से जड़ें अलग करती है, बिना नुकसान।
  • मल्टी यूज: अदरक सीजन के बाद क्रॉलर हटाकर टायर लगाएं, तो ये सामान्य ट्रैक्टर बन जाती है। आलू, गाजर, शकरकंद जैसी फसलों के लिए भी इस्तेमाल।

मशीन की कीमत ₹2-3 लाख के बीच है, और सब्सिडी (NHM योजना से 50%) मिलने पर और सस्ती। जैन की ये मशीन किसानों को मेहनत से आजादी दे रही है।

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भारत में अदरक-हल्दी खेती

भारत विश्व का सबसे बड़ा अदरक उत्पादक है – 2024-25 में 11 लाख टन से ज्यादा। केरल, असम, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश प्रमुख राज्य हैं। हल्दी में ईसान (आंध्र प्रदेश) 70% उत्पादन देता है। ये फसलें छोटे किसानों के लिए आदर्श हैं – 1 एकड़ से ₹1-2 लाख मुनाफा। लेकिन खुदाई में समस्या: मिट्टी गीली हो तो जड़ें टूटती हैं, सूखी हो तो मजदूरी बढ़ती है। 2025 में श्रमिकों की कमी से ये और गंभीर हो गई। जैन की मशीन ने इसे हल किया – 95% दक्षता से उपज बरकरार, लागत 30% कम।

मशीन कैसे काम करती है: स्टेप-बाय-स्टेप

  1. तैयारी: खेत में रोपाई के 8-9 महीने बाद (अदरक के लिए) मशीन को क्रॉलर मोड में सेट करें। डीजल इंजन स्टार्ट करें।
  2. खुदाई: मशीन को खेत में चलाएं। फ्रंट ब्लेड मिट्टी काटता है, चेन जड़ें ऊपर लाती है। कंपन से मिट्टी झड़ जाती है।
  3. साफ-सफाई: बैक एंड में स्क्रीन से साफ जड़ें बाहर आती हैं। नुकसान सिर्फ 5%।
  4. समाप्ति: एक पास में 95% काम। बाकी 5% हाथ से।

ये मशीन 7.7 kW डीजल से चलती है, और 1 लीटर डीजल से 0.5 एकड़ कवर। रखरखाव आसान – साल में 2 सर्विस।

फायदे: किसान की जेब और सेहत दोनों बचाएं

  • समय बचत: 2-3 दिन का काम 1 दिन में।
  • लागत कटौती: मजदूरी पर 40-50% बचत। 1 एकड़ पर ₹10,000-15,000 की बचत।
  • उपज बढ़ोतरी: नुकसान कम, बाजार मूल्य ज्यादा।
  • स्वास्थ्य: हाथ से खुदाई में पीठ दर्द, चोट – सब खत्म।
  • पर्यावरण: कम ईंधन, कम मिट्टी उलट-पुलट।

केरल के किसान राजेश कहते हैं, “पहले 20 मजदूर लगते थे, अब 2 लोग मशीन चलाते हैं। मुनाफा दोगुना हो गया।

छोटे खेत (1-2 एकड़) में मशीन महंगी लग सकती है, लेकिन सब्सिडी से ₹1 लाख में आ जाती है। साझा उपयोग (FPO से) करें। ट्रेनिंग के लिए जैन के सेंटर्स हैं। 2025 में PMKSY से अतिरिक्त फंडिंग।

अदरक-हल्दी की खेती अब आसान हो गई। जैन इरिगेशन की ये मशीन 95% दक्षता से किसानों को सशक्त बना रही है। 2025 में जब निर्यात बढ़ रहा है, ये मशीन मुनाफे का नया रास्ता खोलेगी। किसान भाइयों, स्थानीय डीलर से संपर्क करें। खेती में तकनीक अपनाओ, मेहनत कम करो।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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