बरसात-बाढ़ के बाद बकरियों में फैलती हैं बीमारियां, अभी लगवा लें ये टीके

पशुपालक भाइयों के लिए भेड़-बकरियां सिर्फ आजीविका नहीं, बल्कि परिवार का हिस्सा हैं। लेकिन बरसात और बाढ़ का मौसम इनके लिए मुसीबत लाता है। पानी भरे खेतों और गीले बाड़ों में भेड़-बकरियों को खुरपका, चेचक, और गलघोंटू जैसी जानलेवा बीमारियां घेर लेती हैं। कई बार इन बीमारियों से पशुओं की मौत तक हो जाती है। सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च ऑन गोएट्स (CIRG) के विशेषज्ञ डॉ. अशोक कुमार कहते हैं कि थोड़ी सी सावधानी और सही समय पर टीकाकरण से इन बीमारियों को रोका जा सकता है। अगर आपने अभी तक टीका नहीं लगवाया, तो आज ही अपने पशुओं को सुरक्षित करें।

बरसात में बीमारियों का खतरा

बरसात और बाढ़ के बाद गीलेपन और कीचड़ के कारण भेड़-बकरियों में संक्रमण तेजी से फैलता है। खुरपका, बकरी चेचक, और पीपीआर (बकरी प्लेग) जैसी बीमारियां पशुओं को कमजोर कर देती हैं। गलघोंटू और इन्टेरोटोक्समिया जैसी बीमारियां तो जान तक ले सकती हैं। गीले बाड़ों में कुकडिया और अन्य परजीवी (पैरासाइट) भी बढ़ जाते हैं, जो पशुओं का खून चूसकर उन्हें कमजोर करते हैं। अगर समय पर टीकाकरण और दवाइयां दी जाएं, तो इन खतरों से बचा जा सकता है। हमारे गाँव में जैसे बारिश में बच्चों को सर्दी से बचाते हैं, वैसे ही पशुओं को भी थोड़ी देखभाल की जरूरत है।

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टीकाकरण पशुओं की रक्षा का ढाल

पशुओं को बीमारियों से बचाने का सबसे अच्छा तरीका है सही समय पर टीकाकरण। CIRG के विशेषज्ञ डॉ. अशोक कुमार के अनुसार, हर बीमारी के लिए अलग-अलग टीके और समय निर्धारित हैं। खुरपका का टीका 3-4 महीने की उम्र में लगवाएं, फिर 3-4 हफ्ते बाद बूस्टर डोज दें। इसके बाद हर 6 महीने में टीका दोहराएं। बकरी चेचक का टीका 3-5 महीने की उम्र में लगता है, और हर साल बूस्टर डोज जरूरी है। गलघोंटू का टीका 3 महीने की उम्र में और बूस्टर 23-30 दिन बाद लगवाएं। पीपीआर का टीका 3 महीने की उम्र में लगता है और 3 साल बाद दोहराना चाहिए। इन्टेरोटोक्समिया के लिए 3-4 महीने में पहला टीका और हर साल दो बूस्टर डोज दें।

परजीवियों से बचाव का देसी नुस्खा

बरसात में कुकडिया और अन्य परजीवियों का खतरा बढ़ जाता है। कुकडिया रोग से बचाने के लिए 2-3 महीने की उम्र में दवा पिलाएं और 3-5 दिन तक दोहराएं। 6 महीने की उम्र में फिर से दवा दें। डिवार्मिंग (कृमिनाशक) दवा बरसात शुरू होने और खत्म होने पर सभी पशुओं को दें। डिपिंग (नहलाने की दवा) सर्दियों की शुरुआत और अंत में करें, ताकि जूं और चमड़ी के रोग दूर रहें। नीम का तेल और कपूर का मिश्रण भी देसी नुस्खे के रूप में परजीवियों को भगाने में कारगर है। इसे पानी में मिलाकर पशुओं की चमड़ी पर लगाएं। यह तरीका सस्ता और पर्यावरण के लिए सुरक्षित है।

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कुछ बीमारियां, जैसे ब्रुसेलोसिस और जोहनीज (जेडी), झुंड में तेजी से फैलती हैं। इनके लिए 6 महीने और 12 महीने की उम्र में जांच कराएं। अगर कोई पशु संक्रमित हो, तो उसे तुरंत झुंड से अलग करें। ब्रुसेलोसिस से संक्रमित पशु को गहरे गड्ढे में दफनाना जरूरी है, ताकि बीमारी न फैले। अपने नजदीकी पशु चिकित्सालय में नियमित जांच करवाएं और पशुओं के बाड़े को साफ और सूखा रखें। गीलेपन से बचाने के लिए बाड़े में तिरपाल या छप्पर डालें। यह छोटी-छोटी सावधानियां आपके पशुओं को स्वस्थ रखेंगी।

पशुओं की देखभाल के लिए सुझाव

बरसात में पशुओं को गीलेपन से बचाने के लिए बाड़े को ऊंचा और सूखा रखें। चारा साफ और सूखा दें, ताकि फफूंद न लगे। गाँव में कई बार पशुपालक गोमूत्र और हल्दी का मिश्रण बनाकर पशुओं के बाड़े में छिड़कते हैं, जो कीटाणुओं को दूर रखता है। बकरियों को बारिश में ज्यादा देर बाहर न चराएं, क्योंकि गीली घास खाने से पेट की बीमारियां हो सकती हैं। अगर पशु कमजोर दिखे, तो नजदीकी पशु चिकित्सक से संपर्क करें। ये देसी नुस्खे और सावधानियां आपके पशुओं को बीमारियों से बचाएंगी।

पशुओं के टीकाकरण की लागत ज्यादा नहीं है। खुरपका और पीपीआर जैसे टीकों की कीमत 10-20 रुपये प्रति डोज है, जो सरकारी पशु चिकित्सालयों में मुफ्त या कम कीमत पर मिलते हैं। राष्ट्रीय पशुधन मिशन और राष्ट्रीय गोपाल रत्न योजना के तहत टीकाकरण और दवाओं पर सब्सिडी मिल सकती है। अपने नजदीकी पशुपालन विभाग या ग्राम पंचायत से संपर्क करें और इन योजनाओं की जानकारी लें। CIRG और भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) की ट्रेनिंग में हिस्सा लें, ताकि आप टीकाकरण और पशु देखभाल की नई तकनीकों को सीख सकें।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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