गोल्डन एकर अगेती पत्ता गोभी की खेती, 60 दिन में बंपर मुनाफे का जबरदस्त तरीका

 किसान भाइयों, गोल्डन एकर (Golden Acre) पत्ता गोभी की खेती किसानों के लिए एक ऐसा विकल्प है, जो कम समय में अधिक लाभ दे सकती है। यह खास किस्म की पत्ता गोभी केवल 60 से 70 दिन में तैयार हो जाती है और इसका उत्पादन भी भरपूर होता है। गर्मी सहन करने की क्षमता, कम देखभाल में अच्छी पैदावार और बाजार में बढ़ती मांग इसे किसानों के लिए लाभकारी बनाती है। इस लेख में जानें इसकी बुवाई, देखभाल, रोग नियंत्रण, कटाई और मुनाफे से जुड़ी पूरी जानकारी।

गोल्डन एकर पत्ता गोभी की विशेषताएं

गोल्डन एकर किस्म की सबसे बड़ी विशेषता इसका जल्दी तैयार होना है। सिर्फ 60-70 दिनों में यह फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है, जिससे किसानों को कम समय में आय प्राप्त होती है। इसके सिर गोल, मध्यम आकार के और हरे-भरे होते हैं। यह किस्म गर्म मौसम को झेलने में सक्षम है, जिससे जुलाई-अगस्त की गर्मी में भी इसकी खेती संभव है। यह मैदानी क्षेत्रों की नम मिट्टी से लेकर पहाड़ी ढलानों की ठंडी जलवायु तक सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है।

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बुवाई का सही समय और तरीका

गोल्डन एकर पत्ता गोभी की बुवाई के लिए जुलाई से अगस्त का समय सर्वोत्तम होता है, जब बारिश की शुरुआत हो जाती है। सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करें और मिट्टी को भुरभुरी बनाएं। पुराने खरपतवार और कचरे को हटा दें। बीजों को एक घंटे तक पानी में भिगोकर बोना चाहिए ताकि अंकुरण तेज हो और पौधे मजबूत बनें। बीजों को 2-3 सेंटीमीटर गहराई पर और 15-20 सेंटीमीटर की दूरी पर बोएं। नमी बनी रहे इसके लिए हल्की सिंचाई करें।

देहात में किसान पारंपरिक तरीकों से नीम की पत्तियों के साथ बीज मिलाकर बुवाई करते हैं, जो कीड़ों से रक्षा में मदद करता है। बुवाई के बाद पहली 10–15 दिन पौधों की देखरेख अत्यंत जरूरी होती है।

पौधों की देखभाल कैसे करें

पौधों की सही ग्रोथ के लिए मिट्टी की सफाई और खाद का प्रयोग जरूरी है। खरपतवार समय-समय पर हटाएं ताकि पोषक तत्वों की कमी न हो। खेत को कुदाली से हल्का ढीला करते रहना चाहिए, जिससे जड़ों को हवा मिलती रहे। अगर गर्मी अधिक हो तो पौधों को छांव देने के लिए आसपास पेड़ लगाए जा सकते हैं या जूट की चटाई लगाई जा सकती है। हर 15 दिन पर गोबर की सड़ी खाद डालें, जो पत्तों को हरा और सिर को मजबूत बनाएगी।

अगर मिट्टी में नमी कम हो जाए तो सुबह और शाम हल्की सिंचाई करें। ध्यान रहे कि खेत में पानी ज्यादा देर तक जमा न हो, नहीं तो जड़ सड़ने की संभावना होती है।

कीट और रोग नियंत्रण कैसे करें

बारिश के मौसम में पत्ता गोभी पर कीटों का प्रकोप बढ़ सकता है। कैटरपिलर, एफिड्स और अन्य कीट पत्तियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके लिए देहाती नुस्खों का सहारा लिया जा सकता है। नीम के पत्तों को पानी में उबालकर उसका छिड़काव करें। यह जैविक उपाय कीट नियंत्रण में प्रभावी होता है। अगर कीट अधिक हों तो बाजार से जैविक कीटनाशक लें। केमिकल आधारित दवाओं से बचना चाहिए क्योंकि ये मिट्टी और फसल दोनों को नुकसान पहुंचा सकती हैं।

फसल पर नजर बनाए रखें। यदि पत्तियां पीली हो रही हों, छेद दिखें या सिर छोटा हो रहा हो, तो तुरंत उपाय करें।

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कटाई और भंडारण का उपाय

जब सिर हरे, गोल और कसावयुक्त हो जाएं, तब कटाई का समय समझें। आमतौर पर 60-70 दिन बाद फसल तैयार हो जाती है। सुबह के समय कटाई करना बेहतर होता है ताकि धूप से सिर की गुणवत्ता न घटे। कटाई के बाद सिरों को छांव में सुखाएं और फिर भंडारण के लिए जूट की बोरियों में रखें। स्टोर करने के लिए सूखी और हवादार जगह चुनें। भूसे की परत लगाकर सिरों को सुरक्षित रखा जा सकता है, जिससे वे ज्यादा समय तक ताजगी बनाए रखते हैं।

उपयुक्त  मिट्टी और उत्पादन

यह किस्म मैदानी और पहाड़ी दोनों क्षेत्रों में सफल होती है। मैदानी इलाकों में जहां बरसात के कारण मिट्टी नम रहती है, वहां इसकी ग्रोथ अच्छी होती है। पहाड़ी क्षेत्रों में भी यह ठंडी जलवायु में अच्छा उत्पादन देती है। चिकनी मिट्टी में यह सबसे अच्छी होती है, लेकिन उचित प्रबंधन के साथ रेतीली मिट्टी में भी इसकी खेती की जा सकती है।

एक एकड़ में यदि अच्छी देखभाल की जाए तो 15-20 टन तक उत्पादन संभव है। बाजार में पत्ता गोभी की मांग हमेशा बनी रहती है, खासकर त्योहारों के सीजन में। यदि जुलाई में बुवाई की जाए तो सितंबर-अक्टूबर में फसल तैयार होकर त्योहारों से पहले बेची जा सकती है, जब दाम अधिक मिलते हैं। किसानों को स्थानीय मंडी, हाट या सहकारी समितियों के माध्यम से सीधे बिक्री करनी चाहिए, जिससे उन्हें अच्छा मूल्य मिल सके।

बीज कहां से प्राप्त करें

गोल्डन एकर के बीज पाने के लिए कई विकल्प हैं। देहाती इलाकों में नजदीकी कृषि मंडी या स्थानीय बीज दुकानों पर जाकर प्रमाणित बीज खरीदें, जहां किसानों के लिए हाइब्रिड और देसी किस्में मिलती हैं। बड़े शहरों में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे अमेज़न पर Ol Seed या UGAOO जैसे ब्रांड्स के 50-60 बीजों के पैक उपलब्ध हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) या राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के केंद्रों से भी मौसम और मिट्टी के हिसाब से सही बीज मिल सकते हैं

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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