बैल से खेती करने पर सरकार दे रही ₹30,000 रूपये, ऐसे करें ऑनलाइन आवेदन

हमारे प्यारे किसान भाइयों-बहनों, राजस्थान की धरती फिर से पुराने दिनों की ओर लौट रही है। अब खेतों में बैलों की घुंघरुओं की मधुर आवाज गूँजेगी। सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। जो किसान बैलों से खेती करेंगे, उन्हें हर साल 30 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इतना ही नहीं, गोबर गैस प्लांट लगाने के लिए भी सब्सिडी मिलेगी।

मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की सोच है कि गोवंश को सम्मान मिले और सीमांत किसानों की जेब भरे। इसीलिए कृषि विभाग ने कमर कस ली है। ऑनलाइन आवेदन शुरू हो गए हैं। आप राज किसान साथी पोर्टल या मोबाइल ऐप से आसानी से अप्लाई कर सकते हैं। तो आइए, जानते हैं कि ये योजना क्या है और इसे कैसे हासिल करें।

योजना का पूरा हिसाब-किताब

इस योजना से किसानों को बड़ा फायदा होने वाला है। आवेदन करने के बाद 40 दिनों में सब काम निपट जाएगा। पहले 10 दिन में आपके कागजों की जाँच होगी। फिर अगले 10 दिन में प्रशासनिक मंजूरी मिलेगी। इसके बाद 20 दिन में खेत में जाकर बैलों से खेती की पड़ताल होगी। सब ठीक रहा, तो 30 हजार रुपये सीधे आपके खाते में आ जाएँगे।

गोबर गैस प्लांट के लिए भी अलग से सब्सिडी मिलेगी, जिससे जैविक खाद और रसोई का खर्चा दोनों बचेंगे। कितने किसानों को ये फायदा मिलेगा, ये तय नहीं है। जितने पात्र होंगे, सबको मौका मिलेगा। बस पहले आओ-पहले पाओ का नियम है। तो जल्दी से तैयारी कर लें, ये मौका हाथ से न जाने दें।

कौन ले सकता है फायदा

इस योजना का लाभ वही किसान भाई-बहन उठा सकते हैं, जिनके पास कुछ शर्तें पूरी हों। सबसे पहले तो आपके पास एक जोड़ी बैल होने चाहिए, जो खेती के काम में लगे हों। लघु या सीमांत किसान का तहसीलदार से लिया प्रमाण पत्र दिखाना होगा। बैलों का पशु बीमा होना जरूरी है, और उनकी उम्र 15 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

मंदिर की जमीन के पुजारी भी अप्लाई कर सकते हैं। जनजातीय इलाकों में वनाधिकार पट्टे वाले किसान भी शामिल हो सकते हैं। ये योजना सबके लिए खुली है, बस मेहनत और लगन चाहिए। बैलों से खेती का पुराना तरीका फिर से लौटेगा, और गोवंश की सेवा भी होगी।

आवेदन का आसान तरीका

आवेदन करना बिल्कुल आसान है। आप ई-मित्र पर जाकर या खुद राज किसान साथी पोर्टल पर अप्लाई कर सकते हैं। इसके लिए आधार कार्ड और जन आधार कार्ड जरूरी हैं। जमाबंदी की नकल चाहिए, जो 6 महीने से पुरानी न हो। वनाधिकार पट्टे की कॉपी भी लगानी होगी। अगर जमीन अपने नाम पर न हो, तो नेशनल शेयर धारक का प्रमाण पत्र दे सकते हैं। बैलों के साथ अपनी फोटो, पशु बीमा पॉलिसी, और स्वास्थ्य प्रमाण पत्र अपलोड करना होगा। साथ में 100 रुपये के नॉन-ज्यूडिशियल स्टांप पर शपथ पत्र भी देना पड़ेगा। सब कागज तैयार रखें, ताकि आवेदन में कोई दिक्कत न आए।

पैसा कैसे मिलेगा

आवेदन के बाद अधिकारी आपके कागज ऑनलाइन चेक करेंगे। पहले आओ-पहले पाओ के हिसाब से काम होगा। 10 दिन में प्रशासनिक मंजूरी मिलेगी, जिसकी खबर आपको मोबाइल पर मिल जाएगी। फिर पटवारी और पशुपालन विभाग के लोग खेत पर जाकर बैलों से खेती देखेंगे। सब सही रहा, तो 20 दिन में वित्तीय मंजूरी हो जाएगी। 30 हजार रुपये सीधे बैंक खाते में आएँगे। गोबर गैस प्लांट की सब्सिडी अलग से मिलेगी। ये योजना न सिर्फ पैसे देगी, बल्कि प्राकृतिक खेती और गोवंश को बढ़ावा देगी। तो देर न करें, अपने बैलों को तैयार करें और इस सुनहरे मौके को पकड़ लें।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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