Subsidy On Vermicmpost: किसान भाइयों, आजकल जैविक खेती का डंका हर तरफ बज रहा है। रासायनिक खादों से मिट्टी की ताकत कम हो रही है, लेकिन वर्मी कम्पोस्ट यानी केंचुआ खाद आपके खेतों को फिर से जिंदा कर सकती है। ये मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है, फसलों को ताकत देती है और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचाती। राज्य सरकार भी जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंचुआ खाद यूनिट लगाने में किसानों की मदद कर रही है। सब्सिडी, ट्रेनिंग और आसान तरीकों के साथ वर्मी कम्पोस्ट आपके लिए कम लागत में बड़ा मुनाफा ला सकता है। तो चलिए, जानते हैं कि वर्मी कम्पोस्ट कैसे आपके खेतों और जेब के लिए वरदान बन सकता है।
वर्मी कम्पोस्ट
केंचुआ खाद मिट्टी के लिए किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं। ये गोबर, पत्तियों और जैविक कचरे को केंचुओं की मदद से सड़ाकर बनाई जाती है। इसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश और ढेर सारे सूक्ष्म पोषक तत्व होते हैं, जो फसलों को ताकत देते हैं। रासायनिक खादों के मुकाबले ये मिट्टी को नरम और भुरभुरा रखती है, जिससे जड़ें मजबूत होती हैं और पैदावार बढ़ती है। सबसे बड़ी बात, ये पर्यावरण के लिए बिल्कुल सुरक्षित है। चाहे आप धान, गेहूं, सब्जी या फल उगाएं, वर्मी कम्पोस्ट हर फसल की गुणवत्ता और स्वाद को बढ़ाता है।
सरकार की सब्सिडी
राज्य सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए हर जिले में पक्का वर्मी कम्पोस्ट यूनिट लगाने की योजना चला रही है। जैविक खेती प्रोत्साहन योजना के तहत किसानों को वर्मी कम्पोस्ट यूनिट बनाने के लिए 50% तक सब्सिडी मिल रही है। एक पक्का यूनिट बनाने के लिए 5000 रुपये प्रति यूनिट की दर से अधिकतम 3 यूनिट के लिए 15000 रुपये तक का अनुदान मिलता है। गया जिले में 2024-25 के लिए 779 यूनिट लगाने का लक्ष्य था, जिसमें से 41 यूनिट पहले ही बन चुके हैं। इस योजना का फायदा लेने के लिए रजिस्टर्ड किसानों को डीबीटी पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। सरकार जल्द ही पोर्टल खोलेगी, तो अपने नजदीकी कृषि केंद्र से संपर्क में रहें।
पक्का वर्मी कम्पोस्ट यूनिट कैसे बनाएं
वर्मी कम्पोस्ट यूनिट बनाने के लिए सरकार ने कुछ नियम तय किए हैं, ताकि ये लंबे समय तक चले और ज्यादा खाद बने। यूनिट का वर्मी बेड 10 फीट लंबा, 3 फीट चौड़ा और 2.5 फीट गहरा होना चाहिए, जिसकी क्षमता 75 घनफीट हो। दीवारें कम से कम 5 इंच मोटी बनाएं, ताकि ये मजबूत रहे। यूनिट को बारिश से बचाने के लिए छप्पर से ढकें और फर्श को ईंटों से पक्का करें। ये ढांचा केंचुओं को आरामदायक माहौल देता है, जिससे खाद जल्दी और अच्छी बनती है। अगर आपके पास 2-3 मवेशी हैं, तो उनके गोबर से ही आप आसानी से वर्मी कम्पोस्ट बना सकते हैं।
वर्मी कम्पोस्ट बनाने का तरीका
वर्मी कम्पोस्ट बनाना कोई रॉकेट साइंस नहीं है। इसके लिए गोबर, सूखी पत्तियां, फसल का अवशेष या रसोई का जैविक कचरा लें। इन सबको एक गड्ढे या वर्मी बेड में डालें और उसमें केंचुए (जैसे आइसेनिया फेटिडा प्रजाति) छोड़ दें। केंचुए इन कचरों को खाकर 60-90 दिन में शानदार खाद बना देते हैं। ध्यान रखें कि बेड में नमी बनी रहे, लेकिन पानी ज्यादा न भरे। हर 15-20 दिन में सामग्री को हल्का पलटें, ताकि हवा मिले। 2-3 महीने में खाद तैयार हो जाएगी, जिसे आप खेत में डाल सकते हैं या बेचकर कमाई कर सकते हैं।
वर्मी कम्पोस्ट के फायदे
केंचुआ खाद मिट्टी को ताकत देने का देसी नुस्खा है। ये मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है, जिससे फसलों की पैदावार और गुणवत्ता में इजाफा होता है। इसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो पौधों को शुरू से ताकत देते हैं। रासायनिक खादों के उलट, ये मिट्टी को बंजर नहीं बनाती और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाती। वर्मी कम्पोस्ट से उगी फसलें सेहत के लिए भी फायदेमंद होती हैं। साथ ही, इसे बेचकर किसान अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं, क्योंकि बाजार में जैविक खाद की माँग बढ़ रही है।
किसान भाइयों, वर्मी कम्पोस्ट आपके खेतों और जेब के लिए डबल फायदा है। अगर आपके पास 2-3 मवेशी हैं, तो गोबर से शुरू करें। छोटे स्तर पर एक यूनिट बनाकर देखें, और फिर बढ़ाएं। सरकार की 50% सब्सिडी का फायदा उठाने के लिए अपने नजदीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें और डीबीटी पोर्टल पर आवेदन करें। यूनिट बनाते समय छप्पर और पक्का फर्श जरूर बनाएं, ताकि केंचुए बारिश और गर्मी में सुरक्षित रहें। वर्मी कम्पोस्ट को खेत में डालने के साथ-साथ बाजार में बेचें, क्योंकि जैविक खेती की डिमांड हर दिन बढ़ रही है।
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