Papaya Farming Subsidy: किसान भाइयों, पारंपरिक अनाजों से हटकर बागवानी फसलें आपकी कमाई को नई उड़ान दे सकती हैं, और पपीता इसमें सबसे आगे है। 2022 की संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन की रिपोर्ट बताती है कि वैश्विक पपीता उत्पादन में भारत का हिस्सा 38 प्रतिशत है, और बिहार इस दौड़ में तेजी से शामिल हो रहा है।
बिहार सरकार की एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत पपीते की खेती पर 75 प्रतिशत यानी 45,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की सब्सिडी मिल रही है। चाहे आप पटना के छोटे किसान हों या वैशाली के बड़े बागवान, यह योजना और पपीते की खेती आपके खेत को मुनाफे का खजाना बना सकती है। आइए, सब्सिडी, आवेदन, और खेती के गुर सीखें।
बिहार में पपीता: मुनाफे का सुनहरा फल
पपीता न सिर्फ पोषक तत्वों से भरपूर है, बल्कि बाजार में इसकी मांग सालभर रहती है। बिहार में दोमट मिट्टी और गर्म जलवायु पपीते की खेती के लिए आदर्श है। 2022 में भारत ने 30 लाख टन पपीता उत्पादन किया, जिसमें आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, और बिहार जैसे राज्य अग्रणी हैं। बिहार सरकार की सब्सिडी योजना छोटे किसानों को इस फसल की ओर आकर्षित कर रही है।
प्रति हेक्टेयर 60,000 रुपये की लागत में से 45,000 रुपये सरकार दे रही है, यानी आपका खर्च सिर्फ 15,000 रुपये। वैशाली के एक किसान ने इस सब्सिडी से 0.5 हेक्टेयर में पपीता लगाया और एक साल में 1.2 लाख रुपये का मुनाफा कमाया। यह फसल आपकी जेब और खेत दोनों को हरा रखेगी।
सब्सिडी के लिए आसान आवेदन
बिहार सरकार ने सब्सिडी लेने की प्रक्रिया को सरल बनाया है। अपने मोबाइल या कंप्यूटर से horticulture.bihar.gov.in पर जाएँ। होम पेज पर “योजनाएँ” विकल्प चुनें और “पपीता विकास योजना” पर क्लिक करें। इसके बाद डीबीटी रजिस्ट्रेशन नंबर डालें। अगर आप डीबीटी में रजिस्टर्ड नहीं हैं, तो पहले dbtagriculture.bihar.gov.in पर रजिस्ट्रेशन करें। आवेदन फॉर्म में आधार नंबर, बैंक खाता विवरण, और जमीन के कागजात जैसे दस्तावेज अपलोड करें। फॉर्म भरने के बाद सबमिट करें। सब्सिडी का पैसा सीधे आपके बैंक खाते में आएगा। ज्यादा जानकारी के लिए अपने जिले के बागवानी कार्यालय से संपर्क करें। मुजफ्फरपुर के एक किसान ने ऑनलाइन आवेदन कर 15 दिनों में सब्सिडी पाई। यह प्रक्रिया आपकी मेहनत को आसान बनाएगी।
खेत की तैयारी और सही मिट्टी
पपीते की खेती के लिए सही मिट्टी और तापमान जरूरी हैं। 10 से 26 डिग्री सेल्सियस तापमान आदर्श है, लेकिन बिहार के 40 डिग्री तक के गर्म इलाकों में भी यह फसल लहलहाती है। मिट्टी का पीएच 6.5 से 7.5 होना चाहिए, और हल्की दोमट या जल निकासी वाली मिट्टी सबसे अच्छी है। खेत की गहरी जुताई करें और प्रति हेक्टेयर 10-15 टन सड़ी गोबर खाद डालें। गड्ढे 2×2 फीट के खोदें, जिनमें 1.8×1.8 मीटर की दूरी हो। उच्च घनत्व बुवाई के लिए पूसा नन्हा जैसी किस्मों के साथ 1.2×1.2 मीटर दूरी रखें। बेतिया के एक किसान ने दोमट मिट्टी में हाइब्रिड किस्म लगाई और 30 टन प्रति हेक्टेयर पैदावार पाई। सही तैयारी आपकी फसल को बंपर बनाएगी।
उत्तम किस्में
पपीते की कई किस्में बाजार में उपलब्ध हैं, जो बिहार की जलवायु में शानदार प्रदर्शन करती हैं। पपेन उत्पादन के लिए सीओ-2, सीओ-5, और सीओ-7 मशहूर हैं, जो औद्योगिक मांग पूरी करती हैं। टेबल वैरायटी में कूर्ग हनीड्यू, पूसा नन्हा, सूर्या, पूसा मेजेस्टी, रेड लेडी, और रेड ग्लो खूब चलती हैं। रेड लेडी और सूर्या मीठे और रसीले फल देती हैं, जो मंडी में 30-40 रुपये प्रति किलो बिकते हैं।
प्रति हेक्टेयर देसी किस्मों के लिए 500 ग्राम बीज और हाइब्रिड के लिए 300 ग्राम बीज काफी हैं। बीज को 0.1% मरक्यूरिक एसेटेट से उपचारित करें और नर्सरी में क्यारियों या पॉलीथिन बैग में पौध तैयार करें। दरभंगा के एक बागवान ने रेड लेडी लगाकर 35 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन पाया। सही किस्म आपका मुनाफा दोगुना कर सकती है।
बुवाई और देखभाल के गुर
पपीते की बुवाई फरवरी-मार्च, जून-जुलाई, या अक्टूबर-नवंबर में करें। बिहार में मानसून (जून-जुलाई) सबसे लोकप्रिय समय है, क्योंकि बारिश नमी बनाए रखती है। नर्सरी में 6-8 हफ्ते की पौध तैयार करें और फिर गड्ढों में रोपें। प्रत्येक गड्ढे में 1 किलो नीम खली और 200 ग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट डालें। बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें। गर्मी में हर 7-10 दिन और सर्दी में 15 दिन में पानी दें। ड्रिप सिंचाई पानी बचाती है और जड़ों को ताकत देती है। कीटों से बचाव के लिए नीम तेल या क्लोरोपाइरीफोस का छिड़काव करें। बिहार के समस्तीपुर में एक किसान ने ड्रिप सिंचाई और जैविक खाद से 10 महीने में फसल तैयार की। यह देखभाल आपकी फसल को चमकाएगी।
मंडी में दाम
पपीते की फसल 9-12 महीने में तैयार होती है, और एक हेक्टेयर से 30-38 टन पैदावार मिल सकती है। मंडी में प्रति किलो 20-40 रुपये का दाम मिलता है, यानी एक हेक्टेयर से 6-10 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। सब्सिडी के बाद आपका खर्च 15,000 रुपये प्रति हेक्टेयर तक सिमट जाता है, जिससे मुनाफा कई गुना बढ़ता है। बिहार के हाजीपुर में एक किसान ने 0.4 हेक्टेयर में रेड लेडी उगाकर 2 लाख रुपये कमाए। गर्मी और त्योहारों में पपीते की मांग बढ़ने से दाम और चढ़ते हैं। फसल को सुबह काटें और ताजा रखने के लिए ठंडे पानी में डुबोकर मंडी ले जाएँ। यह फसल आपकी मेहनत को सोने में बदलेगी।
खेत से वैश्विक बाजार तक
किसान भाइयों, पपीता बिहार के लिए नया सोना है। बिहार सरकार की 45,000 रुपये की सब्सिडी, सही किस्में, और वैज्ञानिक खेती से आप खाली खेतों को मुनाफे की खान बना सकते हैं। आज ही horticulture.bihar.gov.in पर आवेदन करें और अपने जिले के बागवानी कार्यालय से सलाह लें। जब आपके खेत में रसीले पपीते लहलहाएंगे और मंडी में ग्राहक तारीफ करेंगे, तो मेहनत का असली मज़ा आएगा। बिहार को पपीते का नया हब बनाने में जुट जाएँ।
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