किसान करें सिर्फ इस धान के किस्म की खेती सरकार देगी ₹4000 का अनुदान

बिहार के किसानों के लिए एक बड़ी खबर! मर्चा धान की खेती करने वाले किसानों को अब सरकार की ओर से प्रति एकड़ 4000 रुपये का अनुदान मिलने वाला है। साल 2023 में मर्चा धान को GI टैग मिलने के बाद इसकी माँग में जबरदस्त उछाल आया है। इसकी लोकप्रियता को देखते हुए बिहार सरकार ने पश्चिम चंपारण के किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए अनुदान योजना शुरू करने का फैसला किया है। ये योजना ना सिर्फ़ किसानों की आय बढ़ाएगी, बल्कि मर्चा धान को बिहार की शान और बढ़ाएगी।

मर्चा धान का बढ़ता रुतबा

मर्चा धान, जिसे स्थानीय लोग मिर्चा धान भी कहते हैं, पश्चिम चंपारण की खास पहचान है। इसके छोटे, गोल दाने और अनोखी खुशबू इसे चावल और चूड़ा बनाने के लिए खास बनाती है। पकने पर ये फूला-फूला और पॉपकॉर्न जैसी खुशबू वाला हो जाता है, जो खाने वालों का मन मोह लेता है। पश्चिम चंपारण के चनपटिया, मैनाटांड़, नरकटियागंज, लौरिया, रामनगर और गौनाहा प्रखंडों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर हो रही है। जिला कृषि पदाधिकारी प्रवीण कुमार राय के मुताबिक, साल 2025 में 2000 से ज़्यादा किसानों ने 1000 एकड़ से अधिक क्षेत्र में मर्चा धान की बुआई की है। GI टैग मिलने से पहले ये खेती सिर्फ़ 700 एकड़ में होती थी, लेकिन अब माँग बढ़ने से किसानों ने इसका दायरा बढ़ा दिया।

GI टैग ने बदली तस्वीर

साल 2023 में मर्चा धान को जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GI) टैग मिला, जो इसे बिहार का छठा GI टैग वाला कृषि उत्पाद बनाता है। इससे पहले शाही लीची, कतरनी चावल, जर्दालु आम, मिथिला मखाना और मगही पान को ये सम्मान मिल चुका है। GI टैग ने मर्चा धान को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में नई पहचान दी। दिल्ली में हुए वर्ल्ड फूड इंडिया फेस्ट-2023 में मर्चा चूड़े की स्टॉल ने खूब तारीफ बटोरी। विदेशी मेहमानों ने इसे खूब पसंद किया और अपने साथ ले गए। इस टैग की वजह से मर्चा चूड़े का दाम 1300 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 5500 रुपये तक पहुँच गया है, जिससे किसानों को मोटा मुनाफा हो रहा है।

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अनुदान योजना का ऐलान

बिहार सरकार ने मर्चा धान की खेती को और बढ़ावा देने के लिए अनुदान योजना की शुरुआत करने का फैसला किया है। पश्चिम चंपारण के जिला कृषि पदाधिकारी प्रवीण कुमार राय ने बताया कि सरकार को एक प्रस्ताव भेजा गया है, जिसमें मर्चा धान की खेती पर प्रति एकड़ 4000 रुपये अनुदान देने की सिफारिश की गई है। ये अनुदान पश्चिम चंपारण के उन छह प्रखंडों के किसानों को मिलेगा, जहाँ मर्चा धान की खेती हो रही है। इस योजना से ना सिर्फ़ किसानों की लागत कम होगी, बल्कि उनकी आय में भी इजाफा होगा। सरकार का लक्ष्य है कि मर्चा धान की खेती का दायरा और बढ़े, ताकि बिहार का ये खास उत्पाद देश-विदेश में और मशहूर हो।

खेती का बढ़ता दायरा

GI टैग मिलने के बाद मर्चा धान की खेती में तेज़ी आई है। पहले जहाँ ये सिर्फ़ 700 एकड़ में उगाया जाता था, अब 1000 एकड़ से ज़्यादा क्षेत्र में इसकी बुआई हो रही है। चनपटिया, मैनाटांड़, नरकटियागंज, लौरिया, रामनगर और गौनाहा के किसान इस धान को अपनाकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। मर्चा धान की फसल 145-150 दिन में पककर तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 20-25 क्विंटल की पैदावार देती है। इसकी बढ़ती माँग की वजह से चूड़ा मिलों में भी काम बढ़ा है, जिससे गाँवों में रोज़गार के नए मौके बन रहे हैं।

अनुदान पाने का तरीका

मर्चा धान की खेती पर अनुदान पाने के लिए किसानों को बिहार सरकार के कृषि विभाग के पोर्टल esahkari.bih.nic.in पर पंजीकरण कराना होगा। पंजीकरण के बाद अनुदान के लिए आवेदन करना होगा, जिसमें खेत और फसल की जानकारी देनी होगी। स्थानीय कृषि कार्यालय से भी संपर्क किया जा सकता है। ये प्रक्रिया इतनी आसान है कि गाँव का हर किसान इसे बिना किसी परेशानी के कर सकता है। समय पर आवेदन करें, ताकि बुआई के समय अनुदान का पैसा आपके खाते में आ जाए।

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  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

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