SPICED योजना: हल्दी, जिसे भारतीय रसोई का सुनहरा मसाला कहा जाता है, अब वैश्विक बाजार में भारत की शान बढ़ा रही है। सरकार ने हल्दी के निर्यात को नई ऊँचाइयों पर ले जाने के लिए SPICED योजना शुरू की है। इसका पूरा नाम है “सस्टेनेबिलिटी इन स्पाइस सेक्टर थ्रू प्रोग्रेसिव, इनोवेटिव एंड कोलैबोरेटिव इंटरवेंशंस फॉर एक्सपोर्ट डेवलपमेंट”। इस योजना का मकसद है हल्दी की गुणवत्ता को बेहतर करना, नए बाजारों तक पहुँचना और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना। साथ ही, राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड के गठन से किसानों को बेहतर दाम और वैश्विक पहचान मिल रही है। आइए जानें कि यह योजना कैसे काम कर रही है और किसानों को इससे कैसे फायदा होगा।
SPICED योजना
SPICED योजना स्पाइस बोर्ड के जरिए चलाई जा रही है, जिसके तहत हल्दी किसानों और निर्यातकों को कई तरह की मदद दी जा रही है। इस योजना में फूड सेफ्टी और क्वालिटी सर्टिफिकेशन, कटाई के बाद गुणवत्ता सुधार, और ट्रेनिंग सेशन शामिल हैं। ये ट्रेनिंग सेशन किसानों को हल्दी की गुणवत्ता बढ़ाने और वैश्विक मानकों को पूरा करने का तरीका सिखाते हैं। तेलंगाना के एक किसान ने बताया कि SPICED योजना की ट्रेनिंग से उन्हें पता चला कि सही प्रोसेसिंग से उनकी हल्दी की कीमत 20 फीसदी तक बढ़ सकती है। इसके अलावा, यह योजना उद्यमशीलता को बढ़ावा दे रही है, ताकि किसान और छोटे व्यवसायी अपने उत्पादों को सीधे बाजार में बेच सकें।
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गुणवत्ता जांच और वैश्विक बाजार से जुड़ाव
SPICED योजना के तहत निर्यात होने वाली हल्दी की गुणवत्ता जांच के लिए फंडिंग दी जाती है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि हल्दी आयात करने वाले देशों के सख्त मानकों पर खरी उतरे। साथ ही, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रेता-विक्रेता सम्मेलनों का आयोजन किया जा रहा है। इन सम्मेलनों में किसान सीधे वैश्विक खरीदारों से मिलते हैं, जिससे उनकी हल्दी को बेहतर दाम मिलते हैं। महाराष्ट्र के एक निर्यातक ने बताया कि इन सम्मेलनों की वजह से उनकी हल्दी अब बांग्लादेश और यूएई जैसे बड़े बाजारों में आसानी से बिक रही है। यह योजना न केवल मुनाफा बढ़ा रही है, बल्कि किसानों को आत्मनिर्भर भी बना रही है।
राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड: किसानों की नई ताकत
हल्दी के निर्यात को और मजबूत करने के लिए सरकार ने 4 अक्टूबर, 2023 को राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड की स्थापना की। इसका मुख्यालय तेलंगाना के निजामाबाद में है, जो हल्दी उत्पादन का बड़ा केंद्र है। इस बोर्ड का मकसद है नए हल्दी उत्पादों को विकसित करना, इसके औषधीय और वेलनेस फायदों को दुनिया भर में प्रचारित करना, और निर्यात के लिए बुनियादी ढांचे को बेहतर करना। बोर्ड हल्दी के पारंपरिक ज्ञान को सहेजने और इसके स्वास्थ्य लाभों पर शोध को बढ़ावा देने का भी काम कर रहा है। 2030 तक भारत का लक्ष्य है हल्दी निर्यात को 1 बिलियन डॉलर (लगभग 8500 करोड़ रुपये) तक पहुँचाना।
वैश्विक बाजार में भारत की बादशाहत
भारत दुनिया का सबसे बड़ा हल्दी उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक है। 2022-23 में भारत ने 1.70 लाख टन हल्दी और हल्दी उत्पादों का निर्यात किया, जिससे 207.45 मिलियन डॉलर की कमाई हुई। बांग्लादेश, यूएई, अमेरिका, मलेशिया और मोरक्को भारत के सबसे बड़े खरीदार हैं। SPICED योजना और राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड के प्रयासों से यह आंकड़ा और बढ़ने की उम्मीद है। 2023-24 में हल्दी निर्यात 153,145 टन रहा, जिसकी कीमत 207 मिलियन डॉलर थी। नई किस्म जैसे IISR सूर्या, जो पाउडर और मसाला उद्योग के लिए बनाई गई है, ने भी निर्यात में नई जान डाली है।
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