कृषि क्षेत्र में डिजिटल तकनीक के जरिए किसानों तक सरकारी योजनाओं का लाभ तेजी से पहुंचाने की दिशा में बड़ा कदम उठा है। मंगलवार को नई दिल्ली में केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें ऑनलाइन केंद्रीकृत प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) प्लेटफॉर्म 2.0 और नमो ड्रोन दीदी योजना पर विस्तृत चर्चा हुई। इस पहल का मकसद है कि किसानों को मशीनरी और सब्सिडी का लाभ पारदर्शी और तेज तरीके से मिले, साथ ही महिलाओं को ड्रोन तकनीक के जरिए खेती में आत्मनिर्भर बनाया जाए। यह योजना बागवानी और अन्य फसलों की खेती करने वाले किसानों के लिए खासतौर पर फायदेमंद होगी।
ड्रोन के लिए नए नियम
कार्यशाला में कृषि सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने ड्रोन से खेतों में उर्वरक और कीटनाशक छिड़काव के लिए फसल-विशिष्ट मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) को लॉन्च किया। इन नियमों से देशभर में ड्रोन का इस्तेमाल न सिर्फ वैज्ञानिक होगा, बल्कि हर जगह एकसमान तरीके से काम होगा। यह बागवानी किसानों के लिए बड़ी राहत है, क्योंकि ड्रोन से फसलों में कीटनाशक और पोषक तत्वों का सटीक छिड़काव हो सकेगा, जिससे पैदावार बढ़ेगी और मेहनत कम होगी। कृषि मंत्रालय का कहना है कि ये नियम खेती को आधुनिक बनाने में मील का पत्थर साबित होंगे।
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DBT 2.0: सब्सिडी अब सीधे खाते में
डीबीटी प्लेटफॉर्म 2.0 का नया संस्करण किसानों की बड़ी मुश्किलें हल करने के लिए बनाया गया है। पहले सब्सिडी लेने में देरी, पारदर्शिता की कमी और कागजी कार्रवाई की दिक्कतें थीं। अब इस नए पोर्टल के जरिए कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन (SMAM) के तहत मशीनरी खरीदने की सब्सिडी सीधे किसानों के बैंक खाते में आएगी। कार्यशाला में इस पोर्टल का लाइव प्रदर्शन दिखाया गया, जिसमें राज्यों के अधिकारियों ने इसके फीचर्स और इस्तेमाल के तरीके समझे। बागवानी किसानों के लिए यह खास फायदेमंद है, क्योंकि वे अब ट्रैक्टर, ड्रोन, या अन्य उपकरण खरीदने के लिए सब्सिडी आसानी से पा सकेंगे, बिना लंबी प्रक्रिया के।
नमो ड्रोन दीदी: महिलाओं को नई ताकत
नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत स्वयं सहायता समूहों (SHG) की महिलाओं को ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ये महिलाएं खेतों में उर्वरक, कीटनाशक और नैनो उर्वरकों का छिड़काव करेंगी। कार्यशाला में नया ड्रोन पोर्टल लॉन्च किया गया, जो ड्रोन की मैपिंग, ट्रैकिंग, पायलट प्रशिक्षण और सर्टिफिकेशन को आसान बनाएगा।
इस पोर्टल पर एक डैशबोर्ड के जरिए किसानों, प्रशिक्षकों और अधिकारियों को सारी जानकारी एक जगह मिलेगी। योजना के तहत 2024-25 से 2025-26 तक 15,000 महिला SHG को ड्रोन दिए जाएंगे, जिन्हें 80 फीसदी सब्सिडी (अधिकतम 8 लाख रुपये) और 3 फीसदी ब्याज पर लोन मिलेगा। इससे बागवानी फसलों में छिड़काव का काम तेज और सटीक होगा, और महिलाएं सालाना कम से कम 1 लाख रुपये कमा सकेंगी।
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किसानों को आत्मनिर्भर बनाएगा
कार्यशाला में डॉ. चतुर्वेदी ने कहा कि डिजिटल मंच खेती को पारदर्शी और समावेशी बनाते हैं। छोटे और सीमांत किसानों को अब बराबर का मौका मिलेगा, क्योंकि सब्सिडी और तकनीक सीधे उनके पास पहुंचेगी। नमो ड्रोन दीदी योजना से बागवानी किसानों को सटीक खेती में मदद मिलेगी, जैसे फसलों की निगरानी, मिट्टी का विश्लेषण और पानी का सही इस्तेमाल। साथ ही, महिलाएं ड्रोन सेवाओं से आय अर्जित करेंगी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। राज्यों के अधिकारियों ने अपने अनुभव साझा किए और सुझाव दिए, ताकि ये योजनाएँ और बेहतर हो सकें।
बागवानी किसानों के लिए सुनहरा मौका
यह कार्यशाला खेती में डिजिटल क्रांति का एक बड़ा कदम है। डीबीटी 2.0 से बागवानी किसानों को मशीनरी और उपकरणों की सब्सिडी जल्दी और आसानी से मिलेगी। वहीं, नमो ड्रोन दीदी योजना से महिलाएं खेती में नई भूमिका निभाएंगी, और ड्रोन के जरिए बागवानी फसलों, जैसे आम, लीची, और नकदी फसलों में कीटनाशक और उर्वरक का सटीक छिड़काव होगा। इससे पैदावार बढ़ेगी और लागत कम होगी। केंद्र और राज्य सरकारों के सहयोग से ये योजनाएँ किसानों और ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा बदलाव लाएंगी।
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