PULSES: हमारे देश में दालें हर थाली की शान हैं, लेकिन इनका आयात करना पड़ता है। अब सरकार ने कमर कस ली है कि दालों का घरेलू उत्पादन बढ़ाया जाए और किसानों की मेहनत को सही दाम मिले। इसके लिए खरीद वर्ष 2024-25 में तुअर (अरहर), मसूर और उड़द की 100% राज्य उत्पादन को मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत खरीदने की मंजूरी दे दी गई है।
यानी जितना पैदा होगा, उतना सरकार MSP पर खरीद लेगी। साथ ही, पीएम-आशा योजना को 2025-26 तक बढ़ा दिया गया है, ताकि किसानों की जेब भरे और आयात पर निर्भरता कम हो। हमारे गाँवों के मेहनती किसानों के लिए ये खबर किसी तोहफे से कम नहीं। आइए, इसे विस्तार से समझते हैं।
100% खरीद का ऐलान, चार साल तक राहत
सरकार ने बजट 2025 में बड़ा फैसला लिया है कि अगले चार साल तक तुअर, उड़द और मसूर का 100% राज्य उत्पादन केंद्रीय एजेंसियाँ खरीदेंगी। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 13.22 लाख मीट्रिक टन तुअर, 9.40 लाख मीट्रिक टन मसूर और 1.35 लाख मीट्रिक टन उड़द की खरीद को हरी झंडी दे दी है। खरीफ 2024-25 सीज़न के लिए आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में तुअर की खरीद शुरू हो रही है।
11 मार्च 2025 तक आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना में 1.31 लाख मीट्रिक टन तुअर खरीदा जा चुका है, जिससे 89,219 किसानों को फायदा हुआ। बाकी राज्यों में भी खरीद जल्द शुरू होगी। ये योजना किसानों की आय बढ़ाने का मज़बूत रास्ता है।
NAFED और NCCF से आसान खरीद
तुअर, मसूर और उड़द की खरीद NAFED और NCCF जैसी केंद्रीय एजेंसियाँ कर रही हैं। किसानों को पहले NAFED के ई-समृद्धि पोर्टल या NCCF के संयुक्ति पोर्टल पर रजिस्टर करना होगा। इसके बाद उनकी फसल MSP पर सीधे खरीदी जाएगी। सरकार ने साफ कहा है कि जितना उत्पादन होगा, उतना खरीद लिया जाएगा। कई राज्यों में खरीद शुरू हो चुकी है, और बाकी जगहों पर भी जल्द काम तेज़ होगा। हमारे गाँवों में जहाँ किसानों को फसल बेचने के लिए मंडी के चक्कर काटने पड़ते थे, वहाँ अब सरकार खुद आगे आ रही है। ये कदम न सिर्फ मेहनत का दाम दिलाएगा, बल्कि दालों में आत्मनिर्भरता की राह भी खोलेगा।
पीएम-आशा योजना का फायदा
प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) योजना किसानों के लिए वरदान है। इसके तहत तुअर, उड़द, मसूर के साथ-साथ तिलहन और खोपरा भी MSP पर खरीदा जाता है। खरीद सिर्फ उन किसानों से होगी, जो पहले से पंजीकृत हैं और जिनकी फसल उचित औसत गुणवत्ता (FAQ) पर खरी उतरती है। ये योजना 2025-26 तक चलेगी, यानी अगले डेढ़ साल तक किसानों को पक्की राहत। हमारे गाँवों के किसान भाइयों को अब फसल के दाम की चिंता नहीं करनी पड़ेगी। सरकार का मकसद है कि किसानों को सही कीमत मिले और दालें सस्ते दामों पर लोगों तक पहुँचें, ताकि महँगाई भी काबू में रहे।
आत्मनिर्भरता की ओर कदम
दालों का आयात कम करना और घरेलू उत्पादन बढ़ाना सरकार का बड़ा लक्ष्य है। तुअर, मसूर और उड़द की 100% खरीद से किसानों को खेती के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। जब फसल की पूरी गारंटी होगी, तो मेहनत करने का हौसला भी बढ़ेगा। अभी तक 89,219 किसान इस योजना से जुड़ चुके हैं, और आगे ये संख्या बढ़ेगी। हमारे गाँवों में दालों की खेती अब मुनाफे का सौदा बन रही है। सरकार का ये कदम न सिर्फ किसानों की जेब भरेगा, बल्कि देश को दालों में आत्मनिर्भर भी बनाएगा। तो भाइयों, खेती में जुट जाएँ, रजिस्टर करें और फायदा उठाएँ। मेहनत आपकी, समृद्धि आपकी!
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