Sweet Baby Corn: आज हम आपको एक ऐसे किसान की कहानी सुनाने जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और नई सोच से न सिर्फ अपनी जिंदगी बदली, बल्कि गाँव के दूसरे किसानों के लिए भी मिसाल कायम की। बात हो रही है बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के लक्ष्मण नगर के उमा शंकर सिंह की, जिन्होंने 10 एकड़ जमीन पर पारंपरिक खेती को छोड़कर केला, हल्दी, स्वीट कॉर्न और बेबी कॉर्न जैसी फसलों से मोटी कमाई शुरू की।
15 अप्रैल 2025 को पटना के कृषि भवन में बिहार कृषि विभाग के सचिव श्री संजय कुमार अग्रवाल ने उमा शंकर जी से मुलाकात की और उनकी इस नई खेती की जमकर तारीफ की। आइए, जानें कैसे आप भी ऐसी खेती शुरू करके अपने परिवार को मज़बूत कर सकते हैं।
उमा शंकर सिंह ने कैसे बदली खेती की तस्वीर?
उमा शंकर जी कोई आम किसान नहीं, बल्कि एक ऐसा नाम हैं, जिन्होंने खेती को नया रंग दिया। पहले वो गाँव में धान-गेहूँ जैसी आम फसलें उगाते थे, लेकिन फिर उन्होंने सोचा कि क्यों न कुछ ऐसा करें, जो ज्यादा कमाई दे। बस, यहीं से शुरू हुआ उनका नया सफर। उन्होंने अपनी 10 एकड़ जमीन पर केला, हल्दी, स्वीट कॉर्न और बेबी कॉर्न की खेती शुरू की।
ये फसलें बाजार में अच्छा दाम लाती हैं, और इनकी माँग भी खूब है। नतीजा? उनकी कमाई पहले से कई गुना बढ़ गई, और आज वो अपने गाँव के दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा बन गए हैं। सचिव श्री संजय अग्रवाल ने कहा कि उमा शंकर जी जैसे किसान बिहार की खेती को नई दिशा दे रहे हैं।
सरकार दे रही है पूरा साथ
कृषि विभाग के सचिव श्री अग्रवाल ने उमा शंकर जी की तारीफ करते हुए ये भी बताया कि सरकार ऐसी नई खेती करने वाले किसानों को पूरा साथ दे रही है। अगर आप भी स्वीट कॉर्न या बेबी कॉर्न जैसी फसलें उगाना चाहते हैं, तो सरकार आपको 75 फीसदी तक अनुदान देगी। यानी, आपको अपनी जेब से बहुत कम पैसा लगाना पड़ेगा। अभी के लिए बेबी कॉर्न के बीज पर 50 फीसदी या 500 रुपये प्रति किलो और स्वीट कॉर्न के बीज पर 50 फीसदी या 1500 रुपये प्रति किलो की छूट मिल रही है।
ये अनुदान इसलिए है, ताकि आप बिना डर के नई फसलें आजमाएँ और अपनी कमाई बढ़ाएँ। इसके अलावा, सरकार आपको खेती की नई तकनीक सिखाने, प्रशिक्षण देने और आपके माल को बाजार तक पहुँचाने में भी मदद करेगी।
नई फसलों से क्यों है फायदा?
आप सोच रहे होंगे कि आखिर स्वीट कॉर्न, बेबी कॉर्न, केला और हल्दी जैसी फसलें क्यों खास हैं? दरअसल, ये फसलें न सिर्फ कम समय में तैयार होती हैं, बल्कि इनका बाजार में दाम भी अच्छा मिलता है। मिसाल के तौर पर, स्वीट कॉर्न और बेबी कॉर्न की डिमांड शहरों में खूब है, और ये होटलों-रेस्तराँ में अच्छे रेट पर बिकते हैं। हल्दी तो हर घर में इस्तेमाल होती है, और केला साल भर बिकता है।
उमा शंकर जी ने इन फसलों को चुनकर साबित कर दिया कि अगर सही फसल और मेहनत हो, तो खेती से भी लाखों की कमाई हो सकती है। सचिव अग्रवाल ने कहा कि ऐसी फसलों से न सिर्फ आपकी जेब भरेगी, बल्कि गाँव की मिट्टी भी स्वस्थ रहेगी।
आप भी शुरू कर सकते हैं ऐसी खेती
अगर आप उमा शंकर जी की तरह खेती में कुछ नया करना चाहते हैं, तो ये मौका छोड़िए मत। सबसे पहले अपने गाँव के कृषि समन्वयक या जिला कृषि कार्यालय से संपर्क करें। वहाँ आपको अनुदान, बीज और खेती की नई तकनीक की पूरी जानकारी मिलेगी। सरकार का मकसद है कि आप नई फसलें उगाएँ, ज्यादा कमाई करें और अपने बच्चों-परिवार को बेहतर जिंदगी दें। सचिव अग्रवाल ने ये भी कहा कि बिहार में खेती को नई ऊँचाइयों तक ले जाना उनकी प्राथमिकता है। इसके लिए वो हर जिले में किसानों को प्रशिक्षण और बाजार की सुविधा दे रहे हैं।
खेती को नई दिशा देगा ये कदम
श्री अग्रवाल का मानना है कि अगर गाँव के किसान पारंपरिक खेती से हटकर नई और महँगी फसलें उगाएँ, तो उनकी जिंदगी बदल सकती है। इससे न सिर्फ आपकी आमदनी बढ़ेगी, बल्कि बिहार की खेती भी मज़बूत होगी। उमा शंकर जी जैसे किसानों की मेहनत और सरकार का साथ मिलकर बिहार के गाँवों को नया रास्ता दिखा रहा है। विभाग का वादा है कि वो आगे भी ऐसी खेती को बढ़ावा देगा और आपको हर कदम पर मदद करेगा।
तो देर किस बात की? अपने गाँव के कृषि कार्यालय से आज ही संपर्क करें, उमा शंकर जी से प्रेरणा लें और नई खेती शुरू करके अपने सपनों को सच करें। ये मौका है गाँव की मिट्टी को सोना बनाने का, और आप इसके हकदार हैं।
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