Green chilli Farming: किसान भाई अब पारंपरिक फसलों से हटकर नकदी वाली फसलों की ओर मुड़ रहे हैं, और हरी मिर्च इसमें सबसे आगे है। कम लागत में साल भर चलने वाली ये फसल रबी के मौसम में तो कमाल कर देती है। बाजार में हरी मिर्च की डिमांड कभी कम नहीं होती, जिससे अच्छी कमाई का रास्ता खुल जाता है। अगर उन्नत किस्में चुनें और सही ढंग से खेती करें, तो ठंड के दिनों में भी मोटा मुनाफा हो सकता है। जिला कृषि अधिकारी विजय कुमार के मुताबिक, कई इलाकों में हरी मिर्च की खेती बड़े स्तर पर हो रही है, और सर्दियों में ये किस्में ज्यादा पैदावार के साथ बाजार में ऊंचे दाम दिलाती हैं।
हरी मिर्च की खेती क्यों साबित हो रही है सोने की खान
हरी मिर्च की खेती में खर्चा कम आता है, और फायदा कई गुना। रबी में बोई गई ये फसल ठंडक पसंद करती है, जिससे पौधे मजबूत बढ़ते हैं। बाजार में साल भर मांग बनी रहती है, खासकर ताजा हरी मिर्च की। विशेषज्ञ कहते हैं कि सही किस्म चुनने से न सिर्फ उपज बढ़ती है, बल्कि रोगों से भी बचाव होता है। छोटे किसान भाई भी इसे आसानी से अपना सकते हैं, क्योंकि शुरुआती निवेश जल्दी वसूल हो जाता है। विजय कुमार जैसे अधिकारी बताते हैं कि कम समय में अच्छा प्रॉफिट कमाने के लिए ये फसल बेस्ट ऑप्शन है।
जाहवार मिर्च 148
जाहवार मिर्च 148 वो किस्म है जो किसानों को जल्दी फल देती है और तीखापन कम रखती है। ये उन्नत किस्म प्रति हेक्टेयर 85 से 100 क्विंटल हरी मिर्च और 18 से 23 क्विंटल सूखी मिर्च की पैदावार दे सकती है। छोटे खेतों में इसे लगाना आसान होता है, और बाजार में इसकी अच्छी कीमत मिलती है। रबी सीजन में ये किस्म खासतौर पर फायदेमंद साबित हो रही है, क्योंकि ये जल्दी तैयार हो जाती है।
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पूसा ज्वाला
पूसा ज्वाला मिर्च के पौधे बौने और झाड़ीदार होते हैं, जिनके फल हल्के हरे रंग के आकर्षक लगते हैं। ये किस्म कीटों और मकड़जाल से अच्छी तरह लड़ लेती है, जिससे दवाओं पर खर्च बचता है। प्रति एकड़ औसतन 34 क्विंटल उपज मिलती है, और ये 130 से 150 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। आईसीएआर के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित ये किस्म हर मौसम में चलती है, लेकिन रबी में तो ये चमकती है।
पंजाब लाल
पंजाब लाल किस्म के पौधे छोटे कद के होते हैं, जिनकी पत्तियां गहरे हरे रंग की होती हैं। फलों का साइज मीडियम रहता है, और ये लाल रंग में 120 से 180 दिनों में बदल जाते हैं। प्रति हेक्टेयर 100 से 120 क्विंटल हरी मिर्च की पैदावार आसानी से हो जाती है। ये किस्म उत्तर भारत के मैदानी इलाकों के लिए बिल्कुल फिट है, जहां ठंडक इसे और स्वादिष्ट बनाती है।
काशी अर्ली
काशी अर्ली मिर्च के पौधे 60 से 75 सेंटीमीटर ऊंचे होते हैं, छोटी गांठों वाले, और फल 7 से 8 सेंटीमीटर लंबे, सीधे, 1 सेंटीमीटर मोटे तथा गहरे हरे रंग के। रोपण के 45 दिनों बाद ही पहली तुड़ाई हो जाती है, जो सामान्य संकर किस्मों से 10 दिन पहले है। प्रति हेक्टेयर 200 से 250 क्विंटल हरी मिर्च मिल सकती है। ये किस्म उन किसानों के लिए वरदान है जो जल्दी कमाई चाहते हैं।
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पूसा सदाबहार
पूसा सदाबहार किस्म 60 से 70 दिनों में तैयार हो जाती है, और प्रति हेक्टेयर 40 क्विंटल पैदावार देती है, जो दूसरी किस्मों से कहीं ज्यादा है। ये देश के किसी भी कोने में आसानी से उगाई जा सकती है। रबी सीजन में इसे लगाने से फसल लंबे समय तक चलती रहती है, और बाजार में लगातार बिक्री होती है।
पंत चिल्ली 1
पंत चिल्ली 1 अपनी अनोखी स्वाद और भारी पैदावार के लिए मशहूर है। बुवाई के 60 से 65 दिनों बाद ही तोड़ाई शुरू हो जाती है। प्रति हेक्टेयर करीब 7 टन उपज मिलती है। अक्टूबर में बुआई करके अच्छी फसल ली जा सकती है, जो किसानों को लाखों का फायदा पहुंचाती है।
इन किस्मों से बदलें खेती का चेहरा
हरी मिर्च की ये उन्नत किस्में रबी सीजन को किसानों के लिए कमाई का सुनहरा मौका बना सकती हैं। सही चयन और देखभाल से बंपर उपज के साथ बाजार में ऊंचे दाम मिलेंगे। लोकल कृषि केंद्र से बीज लें और आजमाएं। कृषितक पर ऐसी उपयोगी जानकारियों के लिए जुड़े रहें, ताकि आपकी खेती हमेशा मुनाफे वाली बने।
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