अमरूद के पेड़ पर बंपर फल चाहिए? मार्च में बस करें ये खास काम

Guava Farming Tips : हमारा देश अमरूद की खेती में दुनिया में सबसे आगे है, और ये कोई छोटी बात नहीं है! यहाँ करीब 3.5 लाख हेक्टेयर ज़मीन पर अमरूद के बाग लगे हैं, जिनसे हर साल 53 लाख टन से ज्यादा अमरूद पैदा होता है। ये फल स्वाद में लाजवाब है और सेहत के लिए भी कमाल का है। आप इसे ताज़ा खाएँ, जैम-जेली बनाएँ, या जूस निकालें हर तरह से फायदा। गाँव में छोटे-मोटे बागानों से लेकर बड़े-बड़े खेतों तक, हर जगह अमरूद की खेती हो रही है। लेकिन कई बार पेड़ों में फल कम लगते हैं, तो आज हम आपको कुछ देसी हैक्स बताएँगे, जिनसे आपके अमरूद के पेड़ फलों से लद जाएँगे।

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अमरूद की बहार को समझें

अमरूद का पेड़ साल में तीन बार फूल देता है, जिसे बहार कहते हैं। पहला है अम्बे बहार फरवरी-मार्च में फूल आते हैं और जून-जुलाई में फल। दूसरा है मृग बहार जून-जुलाई में फूल और सर्दियों में फल। तीसरा है हस्त बहार सर्दियों में फूल और बसंत में फल। लेकिन अगर आप तीनों बहार से फल लेने की सोचें, तो फल छोटे-मोटे निकलेंगे और स्वाद भी फीका रहेगा। इसलिए समझदारी ये है कि साल में सिर्फ़ एक या दो बहार से फसल लें। ऐसा करने से फल बड़े, रसीले, और बाज़ार में अच्छे दाम वाले मिलेंगे।

मृग बहार है सबसे बढ़िया

अब सवाल ये है कि कौन सी बहार चुनें? गाँव के जानकार और कृषि वाले कहते हैं कि मृग बहार सबसे पक्की है। इसमें जून-जुलाई में फूल आते हैं और सर्दियों में फल तैयार होते हैं। इस वक्त कीड़े-मकोड़े कम परेशान करते हैं, और फल इतने बढ़िया निकलते हैं कि बाज़ार में अच्छा भाव मिल जाता है। वहीं, अम्बे बहार में गर्मी और फल मक्खी की मार पड़ती है, तो फल की क्वालिटी खराब हो जाती है।

हस्त बहार में फल तो अच्छे होते हैं, लेकिन पैदावार कम रहती है। तो समझदारी ये है कि मृग बहार को चुनें और बाकी दो बहार के फूलों को तोड़ दें। इसे कहते हैं बहार नियंत्रण—एक देसी तरीका, जो आपकी फसल को बंपर बना देगा।

बहार नियंत्रण के आसान तरीके

अब आप सोच रहे होंगे कि बहार को कैसे कंट्रोल करें? इसके लिए कुछ देसी नुस्खे हैं। पहला तरीका है हाथ से फूल तोड़ना। अगर आपका बाग छोटा है, तो ये आसान है, लेकिन बड़े खेत के लिए मेहनत ज्यादा लगेगी। दूसरा तरीका है पानी रोकना। फसल से 1-2 महीने पहले पेड़ों को पानी देना बंद कर दें। इससे पेड़ सुप्त हो जाएँगे, पत्तियाँ झड़ेंगी, और बाद में एक साथ फूल आएँगे। पानी रोकने के बाद पहली बार अच्छे से सिंचाई करें, फिर नियमित पानी देते रहें। तीसरा तरीका है जड़ों की खुदाई।

पेड़ के तने के चारों तरफ़ 40-50 सेंटीमीटर की मिट्टी हटाकर जड़ों को धूप में खुला छोड़ दें। इससे पेड़ फूल-पत्ती गिरा देगा, लेकिन सावधानी रखें, क्यूँकि अमरूद की जड़ें गहरी नहीं होतीं। चौथा तरीका है रसायन का छिड़काव। अप्रैल-मई में 10-15% यूरिया या इथरेल का हल्का छिड़काव करें, इससे फूल गिर जाएँगे और सही बहार की तैयारी होगी।

फायदा ही फायदा

जब आप मृग बहार से फसल लेंगे, तो फल बड़े, मीठे, और चमकदार होंगे। बाज़ार में अच्छा दाम मिलेगा, और पेड़ की ताकत भी बची रहेगी। गाँव में कई किसान भाई ये तरीका आज़मा रहे हैं। मिसाल के लिए, एक एकड़ में मृग बहार से 15-20 टन अमरूद आसानी से निकल सकता है। अगर 30-40 रुपए किलो भी भाव मिले, तो 5-6 लाख की कमाई हो सकती है। लागत निकालकर भी मुनाफा तगड़ा रहेगा। तो इस बार अपने बाग में बहार नियंत्रण करें, और देखें कैसे अमरूद की खेती आपकी जेब भर देती है।

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  • Shashikant

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