सिर्फ 25 दिन में तैयार! एक बार बोएँ, 4 बार काटें, हरी मेथी की खेती से दोगुनी आमदनी का राज़

Hari Methi ki Kheti: किसान भाइयों, हरी मेथी, जिसे फेनुग्रीक ग्रीन लीव्स के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय रसोई में स्वाद और सेहत का अनमोल उपहार है। पराठे, दाल, सब्जी और करी में इसकी ताजी पत्तियाँ हर घर में पसंद की जाती हैं। इसके औषधीय गुण, जैसे पाचन सुधार और रक्त शर्करा नियंत्रण, इसे और खास बनाते हैं। बाजार में इसकी मांग मंडियों, होटलों और रेस्तराँ में सालभर रहती है। 25-30 दिन में तैयार होने वाली यह फसल कम लागत और मेहनत में प्रति हेक्टेयर 100-120 क्विंटल उपज देती है, जिससे ₹50,000 तक मुनाफा संभव है। छोटे खेतों से लेकर गमलों तक, इसे आसानी से उगाया जा सकता है। आइए, हरी मेथी की खेती की पूरी जानकारी समझें।

बुवाई का उपयुक्त समय

हरी मेथी की खेती के लिए रबी सीजन (अक्टूबर-फरवरी) सबसे उपयुक्त है, जब तापमान 15-25 डिग्री सेल्सियस रहता है। इस दौरान ठंडा मौसम पत्तियों की बढ़वार को बढ़ावा देता है, और पौधे हरे-भरे रहते हैं। गर्मी में पत्तियाँ पीली पड़ने और स्वाद कड़वा होने का खतरा रहता है। उत्तर भारत में नवंबर का पहला सप्ताह बुवाई के लिए आदर्श है, क्योंकि इससे पौधे तेजी से बढ़ते हैं और 25-30 दिन में पहली कटाई संभव हो जाती है। जल्दी बुवाई (अक्टूबर मध्य) से सर्दियों की शुरुआत में ही बाजार में ताजी मेथी बेची जा सकती है, जो प्रीमियम कीमत दिलाती है।

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मिट्टी और खेत की तैयारी

हरी मेथी के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सर्वश्रेष्ठ है, जिसमें जल निकासी अच्छी हो और pH 6.0-7.0 हो। भारी या जलभराव वाली मिट्टी से जड़ सड़न का खतरा रहता है। खेत की तैयारी के लिए 2 बार गहरी जुताई करें, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। प्रति हेक्टेयर 8-10 टन गोबर की सड़ी खाद या 4 टन वर्मी कम्पोस्ट डालें, जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है। नीम की खली (200 किलो/हेक्टेयर) मिलाने से कीटों से प्रारंभिक सुरक्षा मिलती है। छोटे खेतों या गमलों में 50% मिट्टी, 30% खाद और 20% रेत का मिश्रण उपयोग करें। यह मिश्रण पौधों की जड़ों को मजबूत बनाता है और उपज बढ़ाता है।

बीज और बुवाई का तरीका

हरी मेथी की बुवाई के लिए 25-30 किलो बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त है। सर्टिफाइड बीज (जैसे NSC या निजी स्रोत) चुनें, जो रोगमुक्त और उच्च अंकुरण दर वाले हों। पंक्तियों में 20-25 सेमी दूरी और 2-3 सेमी गहराई पर बीज बोएँ। लाइन में बुवाई से निराई और देखभाल आसान होती है, जबकि छिटकवाँ विधि छोटे खेतों के लिए उपयुक्त है। बीज को 12 घंटे पानी में भिगोने से अंकुरण 7-10 दिन में होता है। बीज उपचार के लिए प्रति किलो बीज में थायरम या कार्बेन्डाजिम (2 ग्राम) मिलाएँ, ताकि फफूंदी से बचाव हो। बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें, ताकि बीज मिट्टी में अच्छे से जम जाए।

सिंचाई प्रबंधन

हरी मेथी को नियमित नमी की जरूरत होती है। बुवाई के 3-4 दिन बाद पहली हल्की सिंचाई करें। इसके बाद हर 8-10 दिन पर मिट्टी की नमी के आधार पर सिंचाई करें। अधिक पानी से जड़ सड़न हो सकती है, इसलिए जल निकासी का ध्यान रखें। ड्रिप सिंचाई छोटे खेतों में पानी और लागत बचाती है। सर्दियों में सुबह सिंचाई करें, ताकि पौधे दिनभर तरोताजा रहें। गमलों में मेथी उगाने वाले किसान मिट्टी को हल्का नम रखें, और रोज़ाना जाँच करें।

खरपतवार पौधों की बढ़वार रोकते हैं, इसलिए बुवाई के 15-20 दिन बाद पहली निराई करें। नियमित रूप से खरपतवार हटाएँ, ताकि पौधों को पोषक तत्व और जगह मिले। हर सिंचाई के बाद हल्की गुड़ाई से मिट्टी ढीली रहती है, जिससे जड़ें मजबूत होती हैं। जैविक खेती के लिए जिवामृत (500 मिली/10 लीटर पानी) हर 15 दिन में डालें। यह पत्तियों को हरा-भरा और स्वस्थ रखता है। छोटे खेतों में खरपतवार नियंत्रण के लिए मल्चिंग (सूखी घास की परत) भी उपयोगी है।

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कीट और रोग नियंत्रण

एफिड्स (चूसक कीट) और फफूंदी रोग मेथी की फसल को नुकसान पहुँचा सकते हैं। एफिड्स के लिए नीम तेल (5 मिली/लीटर पानी) या इमिडाक्लोप्रिड (0.3 मिली/लीटर) का छिड़काव करें। फफूंदी (पाउडरी मिल्ड्यू) के लिए मैनकोजेब (2.5 ग्राम/लीटर पानी) उपयोगी है। जैविक उपाय में दशपर्णी अर्क (200 मिली/10 लीटर पानी) या गोमूत्र (1:10 अनुपात) हर 10 दिन में छिड़कें। छिड़काव शाम को करें, ताकि दवा प्रभावी रहे। नियमित निगरानी से कीट-रोग जल्दी पकड़ में आते हैं, और नुकसान कम होता है।

कटाई और उपज

हरी मेथी 25-30 दिन में पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है, जब पत्तियाँ 15-20 सेमी लंबी हों। एक फसल से 3-4 कटाई संभव है, अगर प्रत्येक कटाई के बाद हल्की सिंचाई और खाद दी जाए। औसत उपज 100-120 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, और उन्नत किस्मों से 150 क्विंटल तक संभव। कटाई सुबह करें, ताकि पत्तियाँ ताजी और रसदार रहें। कटाई के बाद पौधों को हल्का पानी दें, ताकि अगली कटाई जल्दी हो। गमलों में 20-25 दिन में पहली कटाई शुरू हो सकती है।

लोकप्रिय किस्में

  • पूसा कसूरी: सुगंधित, गहरे हरे पत्ते, उच्च बाजार मांग।

  • आर.एम.-21: रोग प्रतिरोधी, अधिक उपज।

  • गुजरात मेथी-2: स्वादिष्ट, प्रीमियम कीमत।

इन किस्मों का चयन मिट्टी और बाजार के आधार पर करें। सर्टिफाइड बीज 90%+ अंकुरण सुनिश्चित करते हैं।

हरी मेथी की खेती में लागत कम (₹20,000-25,000/हेक्टेयर) और आय अधिक (₹70,000-90,000) होती है। बाजार भाव ₹20-40/किलो, और जैविक मेथी ₹50/किलो तक बिकती है। शुद्ध मुनाफा ₹50,000-60,000 प्रति हेक्टेयर। छोटे खेतों (0.5 हेक्टेयर) में ₹25,000+ मुनाफा संभव। मंडियाँ, होटल, रेस्तराँ और स्थानीय दुकानें इसकी मुख्य खपत जगह हैं। राष्ट्रीय बागवानी मिशन से बीज और ड्रिप सिंचाई पर सब्सिडी लें। ताजा मेथी को बंडल बनाकर बेचने से कीमत बढ़ती है।

किसानों के लिए सलाह

  • गमलों या ग्रो बैग्स (12×12 इंच) में 10-15 ग्राम बीज बोएँ, छोटे स्तर पर खेती शुरू करें।

  • जैविक खाद (वर्मी कम्पोस्ट, गोमूत्र) से गुणवत्ता और कीमत बढ़ाएँ।

  • स्थानीय होटलों या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से अनुबंध करें।

  • नियमित निगरानी से कीट-रोगों पर काबू पाएँ।

हरी मेथी की खेती सर्दियों में कम समय और लागत में बंपर मुनाफे का रास्ता है। पूसा कसूरी और आर.एम.-21 जैसी किस्में, वैज्ञानिक देखभाल और 3-4 कटाई से किसान नियमित आय कमा सकते हैं। यह फसल खेत की शोभा और किसानों की जेब दोनों भरती है। किसान भाइयों, इस रबी सीजन हरी मेथी उगाएँ, और मेहनत का दोगुना फल पाएँ।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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