फूड प्रोसेसिंग यूनिट खोलने का सुनहरा मौका, सरकार देगी 3 करोड़ की मदद, जानिए कैसे करें आवेदन

हरियाणा के किसान भाइयों और छोटे उद्यमियों के लिए बड़ी खुशखबरी है! केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (PMFME) हरियाणा में जोर-शोर से लागू हो रही है। इस योजना का मकसद है फूड प्रोसेसिंग के छोटे-छोटे कारोबार को बढ़ावा देना, ताकि किसानों की कमाई बढ़े और गाँवों में रोजगार के नए रास्ते खुलें। हरियाणा सरकार इस योजना को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रचार कर रही है। अगर आप भी अपने खेत की उपज को प्रोसेस करके मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो ये आर्टिकल आपके लिए है। आइए, जानते हैं कि ये योजना क्या है और इससे कैसे फायदा उठा सकते हैं।

क्या है PMFME योजना?

प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना केंद्र सरकार की एक खास स्कीम है, जिसे खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय चलाता है। हरियाणा में इसका लक्ष्य है छोटे फूड प्रोसेसिंग उद्यमों को मजबूत करना। चाहे आप किसान हों, स्वयं सहायता समूह (SHG) चलाते हों, या किसान उत्पादक संगठन (FPO) से जुड़े हों, ये योजना आपके लिए है। इसके तहत आप फूड प्रोसेसिंग यूनिट, जैसे मसाला बनाने, फल-सब्जी प्रोसेसिंग, या अनाज की पैकिंग का काम शुरू कर सकते हैं। सरकार इसमें 35% तक सब्सिडी देती है, जिसकी अधिकतम सीमा 3 करोड़ रुपये है। इससे न सिर्फ लागत कम होगी, बल्कि मुनाफा भी बढ़ेगा।

फूड प्रोसेसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का फायदा

इस योजना के तहत आप सॉर्टिंग-ग्रेडिंग यूनिट, वेयरहाउस, फार्म-गेट कोल्ड स्टोरेज, या दूसरी फूड प्रोसेसिंग सुविधाएं बना सकते हैं। सरकार इनके लिए क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी देती है, यानी आपको बैंक से लोन लेना होगा और उसका 35% हिस्सा सरकार देगी। मान लीजिए, आप एक कोल्ड स्टोरेज बनाना चाहते हैं, जिसकी लागत 2 करोड़ है। इसमें 70 लाख रुपये तक की सब्सिडी मिल सकती है। ये सुविधाएं न सिर्फ आपके लिए, बल्कि आसपास के किसानों और छोटे उद्यमियों के लिए भी खुली होंगी, ताकि वो किराए पर इसका इस्तेमाल कर सकें। इससे आपकी कमाई और बढ़ेगी।

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व्यक्तिगत और समूहों के लिए वित्तीय मदद

अगर आप अकेले फूड प्रोसेसिंग यूनिट शुरू करना चाहते हैं, तो PMFME योजना आपको प्रति यूनिट 10 लाख रुपये तक की सब्सिडी देती है। ये सब्सिडी प्रोजेक्ट की लागत का 35% होगी। अगर आप स्वयं सहायता समूह (SHG) से हैं, तो हर सदस्य को 40,000 रुपये की बीज पूंजी मिलेगी। ये पैसा छोटे उपकरण खरीदने या वर्किंग कैपिटल के लिए काम आएगा। एक SHG को अधिकतम 4 लाख रुपये तक की मदद मिल सकती है। FPO, सहकारी समितियों, या सरकारी एजेंसियों को कॉमन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 3 करोड़ तक की सब्सिडी मिल सकती है। ये मदद आपके बिजनेस को बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाएगी।

ब्रांडिंग और मार्केटिंग में सहायता

अच्छा प्रोडक्ट बनाना ही काफी नहीं, उसे बेचना भी जरूरी है। PMFME योजना में FPO, SHG, और सहकारी समितियों को ब्रांडिंग और मार्केटिंग के लिए 50% तक अनुदान मिलता है। मान लीजिए, आप अपने मसाले या अचार का ब्रांड बनाना चाहते हैं, तो पैकेजिंग, लेबलिंग, और मार्केटिंग के खर्च का आधा हिस्सा सरकार देगी। इससे आपका प्रोडक्ट बाज़ार में अलग पहचान बनाएगा और ज्यादा दाम पर बिकेगा। ये सुविधा खासकर छोटे किसानों और ग्रामीण उद्यमियों के लिए गेम-चेंजर है।

कैसे उठाएं योजना का फायदा

PMFME योजना का फायदा लेने के लिए आपको अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या जिला उद्योग केंद्र से संपर्क करना होगा। वहां से आपको आवेदन फॉर्म और जरूरी जानकारी मिलेगी। आप ऑनलाइन भी pmfme.mofpi.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करने से पहले अपने प्रोजेक्ट की पूरी योजना बनाएं, जैसे कि आप क्या बनाना चाहते हैं, कितना खर्च आएगा, और कितना लोन चाहिए। अगर कोई दिक्कत आए, तो ई-मित्र सेंटर पर भी मदद ले सकते हैं। योजना के लिए कम से कम 18 साल की उम्र और भारत का स्थायी निवासी होना जरूरी है।

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  • Shashikant

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