चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के सायना नेहवाल कृषि प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण और शिक्षा संस्थान में अगस्त 2025 में किसानों और युवाओं के लिए मुफ्त ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किए जा रहे हैं। संस्थान के सह-निदेशक (प्रशिक्षण) डॉ. अशोक कुमार गोदारा ने बताया कि कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज के मार्गदर्शन में ये प्रशिक्षण बेकरी, मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन और डेयरी फार्मिंग जैसे रोजगारपरक विषयों पर होंगे। यह मौका उन लोगों के लिए है जो खेती के साथ-साथ अतिरिक्त आय के रास्ते तलाश रहे हैं। हिसार के किसान रामकुमार ने कहा कि ऐसी ट्रेनिंग से न सिर्फ नई तकनीक सीखने को मिलेगी, बल्कि खुद का बिजनेस शुरू करने का रास्ता भी खुलेगा।
कब और कौन से कोर्स होंगे
ये प्रशिक्षण अगस्त महीने में अलग-अलग तारीखों पर होंगे। बेकरी की ट्रेनिंग 1 से 4 अगस्त, मशरूम उत्पादन की 6 से 8 अगस्त, डेयरी फार्मिंग की 18 से 22 अगस्त और मधुमक्खी पालन की 25 से 27 अगस्त तक चलेगी। ये कोर्स पूरी तरह मुफ्त हैं और किसी भी उम्र या वर्ग के लोग इसमें हिस्सा ले सकते हैं। प्रशिक्षण सुबह 9 बजे से दोपहर 4 बजे तक होगा। वैज्ञानिकों द्वारा इन कोर्स में नई तकनीकों और सरकार की योजनाओं की जानकारी दी जाएगी, ताकि प्रतिभागी अपने कौशल को बढ़ाकर स्वरोजगार शुरू कर सकें। पूरे कोर्स में हिस्सा लेने वालों को ही प्रमाण-पत्र दिया जाएगा।
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रजिस्ट्रेशन कैसे करें
ट्रेनिंग में हिस्सा लेने के लिए इच्छुक लोग प्रशिक्षण शुरू होने वाले दिन सुबह 9 बजे संस्थान पहुँचकर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। यह प्रक्रिया पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर होगी। रजिस्ट्रेशन के लिए एक फोटो और आधार कार्ड की फोटोकॉपी साथ लानी होगी। प्रशिक्षण स्थल विश्वविद्यालय के गेट नंबर 3, लुदास रोड, हिसार पर है। डॉ. गोदारा ने बताया कि ये कोर्स खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद हैं जो खेती के साथ बेकरी, मशरूम उत्पादन या डेयरी जैसे बिजनेस शुरू करना चाहते हैं। इससे न सिर्फ आय बढ़ेगी, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे।
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स्ट्रॉबेरी की फसल को बचाने की नई खोज
इन प्रशिक्षणों के साथ-साथ विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने स्ट्रॉबेरी की फसल को नुकसान पहुँचाने वाले क्राउन रॉट रोग के एक नए रोग कारक, कोलेटोट्रीकम निम्फेई, की खोज की है। यह भारत में पहली बार इस रोग के कारण की पहचान है। कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज के निर्देश पर वैज्ञानिक इस रोग के प्रबंधन पर काम कर रहे हैं। उनकी इस खोज को ‘फिजियोलॉजिकल एंड मॉलिक्यूलर प्लांट पैथोलॉजी’ जर्नल में पहली शोध रिपोर्ट के रूप में स्वीकार किया गया है। यह खोज स्ट्रॉबेरी किसानों के लिए बड़ी राहत ला सकती है, क्योंकि इस रोग से उनकी फसल को भारी नुकसान होता है।
किसानों के लिए बड़ी राहत
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय लंबे समय से किसानों के लिए नई तकनीकों और बीजों पर शोध कर रहा है। ये मुफ्त ट्रेनिंग प्रोग्राम न सिर्फ किसानों को नई तकनीक सिखाएंगे, बल्कि उन्हें सरकार की योजनाओं से भी जोड़ेंगे। मधुमक्खी पालन और डेयरी फार्मिंग जैसे कोर्स छोटे किसानों के लिए अतिरिक्त आय का जरिया बन सकते हैं। साथ ही, स्ट्रॉबेरी जैसे नकदी फसलों के लिए रोग प्रबंधन की खोज से किसानों को नुकसान से बचाने में मदद मिलेगी।
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