किसान भाइयों, हरियाणा के शुष्क खेत, जो कभी सूखे और कम उपज के कारण किसानों की चिंता थे, अब सऊदी अरब जैसे हरे-भरे नखलिस्तान में बदल रहे हैं। हरियाणा सरकार की दूरदर्शी पहल के तहत ड्राईलैंड क्षेत्रों में खजूर की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकार प्रति एकड़ ₹1.5 लाख तक की सब्सिडी दे रही है, जिससे किसान कम पानी और रेतीली मिट्टी में भी लाखों की कमाई कर रहे हैं। भिवानी, हिसार, सिरसा, रेवाड़ी, और महेंद्रगढ़ जैसे जिलों में खजूर के पेड़ लहरा रहे हैं। यह लेख हरियाणा के किसानों को खजूर की खेती की वैज्ञानिक विधि, सब्सिडी, और मुनाफे की पूरी जानकारी देगा, ताकि आप अपने खेत को “रेत में सोना” उगलने वाला बना सकें।
रेत में सोना: खजूर की खेती का महत्व
खजूर एक पौष्टिक और उच्च मांग वाला फल है, जिसका उपयोग ताजा, सूखा, और औषधीय उत्पादों में होता है। हरियाणा की रेतीली मिट्टी और गर्म जलवायु खजूर की खेती के लिए आदर्श है, जैसा कि सऊदी अरब में होता है। यह फसल कम पानी में उगती है और 5 डिग्री से 55 डिग्री सेल्सियस तक तापमान सहन कर सकती है। एक पेड़ 50-60 साल तक फल देता है, जिसमें प्रति पेड़ 100-200 किलो खजूर मिलता है। बाजार में खजूर की कीमत 100-300 रुपये/किलो है, जिससे किसान प्रति एकड़ 5-10 लाख रुपये कमा सकते हैं। हिसार के किसान बलवंत सिंह कहते हैं, “खजूर की खेती ने मेरे सूखे खेत को हरियाली और मुनाफे का खजाना बना दिया।”
सऊदी अरब का सपना: बरही किस्म और टिशू कल्चर
हरियाणा सरकार ने खजूर की बरही किस्म को चुना है, जो सऊदी अरब में लोकप्रिय है। इसकी मिठास, रस, और लंबी शेल्फ लाइफ इसे बाजार में खास बनाती है। ये पौधे टिशू कल्चर तकनीक से राजस्थान के जोधपुर में अतुल राजस्थान डेट फार्म लिमिटेड की लैब में तैयार किए जा रहे हैं। टिशू कल्चर पौधे रोग-प्रतिरोधी, तेजी से बढ़ने वाले, और उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं। एक मादा पौधे की कीमत 3600-3800 रुपये और नर पौधे की 5500 रुपये है। सरकार प्रति पौधे 1900 रुपये की सब्सिडी देती है। हिसार के बागवानी अधिकारी डॉ. अरुण जाखड़ बताते हैं, “टिशू कल्चर पौधे हरियाणा के ड्राईलैंड में क्रांति ला रहे हैं।”
खेती की शुरुआत: वैज्ञानिक विधि
खजूर की खेती जुलाई से सितंबर के बीच शुरू करें। रेतीली मिट्टी (pH 7-8) में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था करें। एक हेक्टेयर में 156 पौधे (8×8 मीटर दूरी) लगाए जा सकते हैं। गड्ढे (1x1x1 मीटर) खोदकर 10-15 किलो गोबर की खाद और 200 ग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट मिलाएं। पौधे लगाने के बाद ड्रिप सिंचाई शुरू करें। पहले साल 15-20 दिन के अंतराल पर हल्की सिंचाई करें। तीसरे साल से फल शुरू होते हैं, और पांचवें साल में पूरी पैदावार मिलती है। खरपतवार नियंत्रण के लिए मल्चिंग और नीम तेल (5 मिली/लीटर) का छिड़काव करें।
सब्सिडी का खजाना: सरकार का सहारा
हरियाणा सरकार की बागवानी विभाग की योजना के तहत प्रति एकड़ ₹1.5 लाख की सब्सिडी मिलती है, जिसमें पौधे, ड्रिप सिंचाई, और प्रारंभिक रखरखाव शामिल हैं। एक एकड़ में 60-70 पौधे लगते हैं, जिनकी लागत 2-2.5 लाख रुपये आती है। सब्सिडी से किसानों का 60-70% खर्च कम हो जाता है। राष्ट्रीय बागवानी मिशन और हरियाणा बागवानी विभाग प्रशिक्षण शिविर, तकनीकी सहायता, और बाजार लिंकेज भी प्रदान करते हैं। सिरसा के जिला उद्यान अधिकारी डॉ. अब्दुल रज्जाक कहते हैं, “सब्सिडी और प्रशिक्षण से किसान खजूर की खेती को आसानी से अपना रहे हैं।” सब्सिडी के लिए hortharyana.gov.in पर ऑनलाइन आवेदन करें।
मुनाफे की गणना: लाखों की कमाई
खजूर की खेती में प्रति एकड़ शुरुआती लागत 2-2.5 लाख रुपये है, जिसमें पौधे, सिंचाई, और श्रम शामिल हैं। सब्सिडी के बाद किसान का खर्च 50,000-80,000 रुपये रह जाता है। तीसरे साल से प्रति पेड़ 50-100 किलो फल मिलता है, और पांचवें साल से 100-200 किलो। प्रति एकड़ 60 पेड़ों से 6-12 टन खजूर मिलता है, जिसकी कीमत 6-12 लाख रुपये हो सकती है। रखरखाव लागत सालाना 20,000-30,000 रुपये है। भिवानी के किसान सुरेंद्र बताते हैं, “पांच साल बाद मेरे खेत से 8 लाख रुपये की कमाई हुई, जो गेहूं-चावल से कहीं ज्यादा है।”
बाजार की राह: देश-विदेश में मांग
खजूर की मांग भारत और विदेश (सऊदी अरब, यूएई, यूरोप) में बढ़ रही है। इसे ताजा, सूखा, या प्रोसेस्ड (जूस, मिठाई) बेचा जा सकता है। हरियाणा के खजूर पंजाब, दिल्ली, और राजस्थान की मंडियों में बिक रहे हैं। जैविक खजूर को पैकेजिंग करके Amazon और Flipkart पर बेचकर 20-30% अधिक कीमत पाएं। eNAM और स्थानीय मंडियों से भी बिक्री करें। अपने ब्लॉग krishitak.com पर खजूर की खेती की सफलता की कहानियां, स्वास्थ्य लाभ, और जैविक खेती के टिप्स शेयर करें।
हरियाणा का भविष्य: ड्राईलैंड में हरियाली
हरियाणा सरकार की यह पहल ड्राईलैंड क्षेत्रों को हरित नखलिस्तान में बदल रही है। सिरसा, हिसार, और भिवानी जैसे जिले खजूर उत्पादन में अग्रणी बन सकते हैं। यह खेती जलवायु परिवर्तन और पानी की कमी से निपटने में भी मदद करेगी। हरियाणा बागवानी विभाग ने 2025 तक 5000 हेक्टेयर में खजूर की खेती का लक्ष्य रखा है। रेतीली मिट्टी को उत्पादक बनाकर यह योजना किसानों की आर्थिक समृद्धि और पर्यावरण संरक्षण का आधार बनेगी।
किसानों के लिए सुझाव: आज से शुरू करें
खजूर की खेती शुरू करने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाएं। सबसे पहले अपने नजदीकी जिला उद्यान अधिकारी या कृषि विभाग से संपर्क करें। hortharyana.gov.in पर सब्सिडी के लिए आवेदन करें। टिशू कल्चर पौधों की मांग अधिक है, इसलिए जोधपुर लैब से समय रहते बुकिंग कराएं। ड्रिप सिंचाई और जैविक खाद का उपयोग करें। प्रशिक्षण शिविरों में हिस्सा लें और बाजार लिंकेज बनाएं। रेवाड़ी के किसान अनिल कहते हैं, “सरकार की मदद से मैंने 2 एकड़ में खजूर लगाए। अब मेरा परिवार समृद्ध है।”
रेत से समृद्धि की राह
हरियाणा सरकार की खजूर की खेती योजना ड्राईलैंड किसानों के लिए वरदान है। ₹1.5 लाख की सब्सिडी, टिशू कल्चर पौधे, और तकनीकी सहायता से किसान अपने खेतों को सऊदी अरब जैसे नखलिस्तान में बदल सकते हैं। यह खेती न केवल लाखों की कमाई देगी, बल्कि जलवायु परिवर्तन और पानी की कमी से भी लड़ेगी। आज ही अपने जिला उद्यान अधिकारी से संपर्क करें और खजूर की खेती शुरू करें। हरियाणा के खेत रेत में सोना उगलने को तैयार हैं।
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