Haryana Sunflower Procurement: हरियाणा में रबी सीजन की फसलों की सरकारी खरीद जोरों पर है। गेहूं, चना, और सरसों की खरीद के बाद अब सूरजमुखी की बारी है। हरियाणा खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता विभाग ने रबी विपणन सीजन 2025-26 के लिए सूरजमुखी की खरीद की तारीखें और योजना घोषित कर दी हैं। एक जून से 30 जून तक प्रदेश की 17 मंडियों में सूरजमुखी की खरीद होगी। सरकार ने सूरजमुखी का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 7280 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। यह किसानों के लिए अपनी फसल को अच्छे दाम पर बेचने का सुनहरा मौका है।
सूरजमुखी की खरीद की व्यवस्था
हरियाणा कृषि और किसान कल्याण विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल राज्य में सूरजमुखी का उत्पादन 44,062 मीट्रिक टन होने का अनुमान है। सूरजमुखी की खरीद के लिए दो सरकारी संस्थाएं, हरियाणा राज्य सहकारी आपूर्ति और विपणन संघ लिमिटेड (हैफेड) और हरियाणा वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन, जिम्मेदारी संभालेंगी। खरीद के लिए 17 मंडियों को चिन्हित किया गया है, जिनमें अंबाला शहर, अंबाला कैंट, बराड़ा, मुलाना, शहजादपुर, साहा, नारायणगढ़, करनाल, इस्माइलाबाद, थानेसर, थोल, शाहबाद, लाडवा, बबैन, झांसा, बरवाला (जिला पंचकूला), और जगाधरी शामिल हैं। ये मंडियाँ किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए सुविधाजनक केंद्र प्रदान करेंगी।
भावांतर भरपाई योजना का लाभ
हरियाणा सरकार ने सूरजमुखी की खरीद को और आकर्षक बनाने के लिए भावांतर भरपाई योजना को लागू किया है। अगर मंडी में सूरजमुखी का भाव 7280 रुपये प्रति क्विंटल से कम मिलता है, तो सरकार अंतर की राशि, अधिकतम 1000 से 1500 रुपये प्रति क्विंटल तक, किसानों के खाते में सीधे जमा करेगी। यह राशि डिजिटल माध्यम से ट्रांसफर होगी, जिससे किसानों को बाजार में कम कीमत का नुकसान न उठाना पड़े। सरकार का कहना है कि इस योजना का मकसद किसानों को उनकी फसल का उचित दाम दिलाना और आर्थिक स्थिरता प्रदान करना है।
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कृषि और बागवानी को बढ़ावा
हरियाणा सरकार किसानों के हित में लगातार कदम उठा रही है। हाल ही में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (पीएम-आरकेवीवाई) के तहत 2025-26 के लिए 1267.49 करोड़ रुपये की धनराशि मंजूर की गई है। इस राशि का उपयोग चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (सीसीएसएचएयू), हिसार, महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय, करनाल, केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान (सीएसएसआरआई), करनाल, और भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (आईआईडब्ल्यूबीआर), करनाल जैसे संस्थान करेंगे। ये योजनाएँ कृषि और बागवानी क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देंगी। इन योजनाओं को अंतिम मंजूरी के लिए केंद्रीय कृषि मंत्रालय को भेजा जाएगा।
तिलहन मिशन और अन्य योजनाएँ
रबी सीजन 2025-26 के लिए कृषोन्ति योजना की वार्षिक कार्य योजना को भी मंजूरी मिली है। इसमें राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और पोषण मिशन के लिए 47.97 करोड़ रुपये, खाद्य तेलों-तिलहन पर राष्ट्रीय मिशन के लिए 24.17 करोड़ रुपये, बीज और रोपण सामग्री के लिए 6 करोड़ रुपये, कृषि विस्तार (आत्मा योजना) के लिए 38.15 करोड़ रुपये, और बागवानी के एकीकृत विकास के लिए 177 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इन योजनाओं का लक्ष्य तिलहन और दलहन फसलों को बढ़ावा देना है, ताकि देश इनमें आत्मनिर्भर बन सके। सूरजमुखी जैसी तिलहन फसलों की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए ये कदम अहम हैं।
भूजल प्रबंधन और प्राकृतिक खेती
हरियाणा में भूजल स्तर में गिरावट एक गंभीर समस्या है, खासकर करनाल, कैथल, कुरुक्षेत्र, पानीपत, सोनीपत, और यमुनानगर जैसे जिलों में। पीएम-आरकेवीवाई के तहत ऑन-फार्म जल प्रबंधन को प्राथमिकता दी गई है, ताकि भूजल की कमी से निपटा जा सके। इसके अलावा, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सब्जी-केंद्रित एकीकृत खेती मॉडल, फ्रूट फ्लाई ट्रैप के लिए प्रयोगशाला, और सरसों में मशीनीकरण के लिए अनुसंधान केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। करनाल में एक केंद्रीय मशरूम इकाई भी बनाई जाएगी, जो प्राकृतिक खेती को और मजबूत करेगी।
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