पशुपालकों के लिए क्रांतिकारी आविष्कार, सोलर कुकर से बदल रही है किस्मत, पर्यावरण भी रहेगा साफ़

HAU Ka Solar Cooker: पशुपालक भाइयों, क्या आप लकड़ी और गैस का खर्चा बचाकर अपने पशुओं के लिए पौष्टिक चारा बनाना चाहते हैं? चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU), हिसार ने एक ऐसा सोलर कुकर बनाया है, जो पशुओं के लिए दाल, दलीय चारा, बाटा, और अन्य चारे को सूरज की मुफ्त ऊर्जा से पका सकता है। यह न सिर्फ आपके पैसे बचाएगा, बल्कि पर्यावरण को भी स्वच्छ रखेगा। अब न लकड़ी जलाने की जरूरत, न गैस सिलेंडर की। यह सोलर कुकर पशुपालकों और किसानों के लिए एक वरदान है। आइए जानें कि यह सोलर कुकर कैसे काम करता है, इसे कहाँ से लें, और इससे पशुपालन में कैसे बंपर कमाई हो सकती है।

सोलर कुकर की खासियत

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार ने पशुपालकों की जरूरतों को ध्यान में रखकर यह सोलर कुकर डिज़ाइन किया है। यह सूरज की किरणों को इकट्ठा करके 100-150 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान पैदा करता है, जो दाल, दलीय चारा (जैसे ज्वार, मक्का), और बाटा (पशु आहार मिश्रण) पकाने के लिए काफी है। यह कुकर पर्यावरण के अनुकूल है, क्योंकि इसमें कोई धुआँ या प्रदूषण नहीं होता। यह हल्का, पोर्टेबल, और कम रखरखाव वाला है, जो छोटे और बड़े पशुपालकों के लिए एकदम सही है। HAU ने पहले भी ज्वार की उन्नत किस्म सीएसवी 44F जैसी उपलब्धियाँ हासिल की हैं, और यह सोलर कुकर उनकी नवीनतम खोज है।

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सोलर कुकर कहाँ से लें

इस सोलर कुकर को प्राप्त करने के लिए आप चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के कृषि प्रौद्योगिकी केंद्र या कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से संपर्क कर सकते हैं। HAU की वेबसाइट (hau.ac.in) पर नवाचार अनुभाग में इसके बारे में जानकारी उपलब्ध हो सकती है। इसके अलावा, लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, हिसार भी पशुपालन से जुड़े उपकरणों की जानकारी देता है। स्थानीय कृषि मेलों या प्रदर्शनियों में HAU के स्टॉल पर यह कुकर देखा जा सकता है। कीमत सामान्य सोलर कुकर (5000-10,000 रुपये) की तरह हो सकती है, लेकिन सटीक जानकारी के लिए विश्वविद्यालय से संपर्क करें। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे Indiamart पर भी सोलर कुकर उपलब्ध हैं, लेकिन HAU का डिज़ाइन खास तौर पर पशु चारा पकाने के लिए बनाया गया है।

सोलर कुकर का उपयोग कैसे करें

इस सोलर कुकर का उपयोग बेहद आसान है। इसे धूप में रखें, ताकि सूरज की किरणें इसके रिफ्लेक्टर पर पड़ें। कुकर में एक बड़ा बर्तन होता है, जिसमें आप दाल, ज्वार, मक्का, या बाटा डाल सकते हैं। पानी और चारा डालकर ढक्कन बंद करें और कुकर को धूप की दिशा में एडजस्ट करें। 2-3 घंटे में चारा पककर तैयार हो जाता है। यह कुकर बरसात के मौसम में कम प्रभावी हो सकता है, इसलिए धूप वाले दिन इसका ज्यादा उपयोग करें। पशुओं के लिए चारा पकाने से पाचनशीलता बढ़ती है और दूध उत्पादन में 10-15% की वृद्धि हो सकती है।

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पर्यावरण और लागत में बचत

यह सोलर कुकर पर्यावरण के लिए वरदान है। लकड़ी जलाने से होने वाला धुआँ और गैस का खर्च पूरी तरह खत्म हो जाता है। एक औसत पशुपालक साल में 50-60 किलो लकड़ी या 2-3 गैस सिलेंडर चारा पकाने में खर्च करता है। सोलर कुकर से यह खर्च शून्य हो जाता है। एक बार का निवेश (लगभग 10,000 रुपये) 5-7 साल तक चलता है। इसके अलावा, यह कार्बन उत्सर्जन को कम करता है, जिससे पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलती है। सरकार की सोलर सब्सिडी योजनाओं का लाभ उठाकर लागत और कम की जा सकती है।

पशुपालकों के लिए बंपर कमाई

सोलर कुकर का उपयोग करके पशुपालक अपनी लागत कम कर सकते हैं और दूध उत्पादन बढ़ा सकते हैं। मान लीजिए, एक पशुपालक के पास 10 गायें हैं, जो औसतन 8 लीटर दूध प्रतिदिन देती हैं। पके हुए चारे से दूध में 10-15% की वृद्धि होती है, यानी प्रति गाय 1-1.2 लीटर अतिरिक्त दूध। 50 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से यह 500-600 रुपये प्रतिदिन की अतिरिक्त कमाई है। सालाना यह 1.8-2.2 लाख रुपये की अतिरिक्त आय हो सकती है। लकड़ी और गैस की बचत जोड़ें, तो कुल लाभ 2-2.5 लाख रुपये तक हो सकता है।

हिसार का यह सोलर कुकर पशुपालकों के लिए एक क्रांतिकारी कदम है। यह न सिर्फ लागत बचाता है, बल्कि पशुओं की सेहत और दूध उत्पादन को बढ़ाता है। HAU की इस खोज ने पहले भी ज्वार और गेहूँ की उन्नत किस्में दी हैं, और अब यह सोलर कुकर पशुपालन को नया आयाम दे रहा है। अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें और इस सोलर कुकर को अपनाकर अपने पशुपालन को मुनाफे का धंधा बनाएँ।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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