Government Farmer Compensation: मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों की मेहनत और उनकी भूमि के मूल्य को सम्मान देते हुए एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में 28 अक्टूबर को हुई मंत्री परिषद की बैठक में सरकार ने खेतों के ऊपर से गुजरने वाली हाईटेंशन लाइन और खेत में बनने वाले ट्रांसमिशन टॉवर के एवज में दी जाने वाली मुआवजा राशि में भारी वृद्धि की है। यह निर्णय प्रदेश के लाखों किसानों के लिए राहत की सौगात है, खासकर उन किसानों के लिए जिनके खेतों से 132 KV या उससे अधिक क्षमता वाली लाइनें गुजरती हैं।
सरकार का यह कदम न सिर्फ किसानों की आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि बिजली आपूर्ति के विकास कार्यों में भी सहयोग बढ़ाएगा। आइए, सरल और सम्मानजनक भाषा में जानें कि इस निर्णय से किसानों को कितना लाभ मिलेगा और यह योजना कैसे कार्यान्वित होगी।
निर्णय की पृष्ठभूमि और महत्व
मध्य प्रदेश में बिजली आपूर्ति को मजबूत करने के लिए हाईटेंशन लाइनें और ट्रांसमिशन टॉवर आवश्यक हैं, लेकिन इनके निर्माण से किसानों की भूमि प्रभावित होती है। पहले मुआवजा राशि कम होने से किसानों में असंतोष रहता था। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मंत्री परिषद ने इस समस्या का संवेदनशील समाधान निकाला। 28 अक्टूबर की बैठक में अति उच्च दाब पारेषण लाइन (132 KV और उससे अधिक) के लिए क्षतिपूर्ति राशि में वृद्धि को मंजूरी दी गई। यह निर्णय किसानों की भूमि के मूल्य को मान्यता देता है और विकास कार्यों में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करता है। सरकार ने स्पष्ट किया कि भूमि का स्वामित्व किसान का ही रहेगा, और वे टॉवर के बीच या लाइन के नीचे फसल उगा सकेंगे। यह कदम किसान हितैषी नीतियों का प्रतीक है।
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टॉवर और ROW के लिए नई मुआवजा दरें
सरकार ने मुआवजा राशि में उल्लेखनीय वृद्धि की है। पहले टॉवर लगाने पर भूमि मूल्य का 85% मुआवजा दिया जाता था, जिसे अब बढ़ाकर 200% कर दिया गया है। इसी तरह, ROW (Right of Way) में आने वाली भूमि के लिए पहले 15% क्षतिपूर्ति दी जाती थी, अब इसे 30% कर दिया गया है। क्षतिपूर्ण क्षेत्रफल में टॉवर के चार पायों के अलावा हर तरफ 1-1 मीटर अतिरिक्त जोड़ा गया है। इससे प्रभावित क्षेत्र का सटीक आकलन होगा और किसानों को पूरा हक मिलेगा। यह वृद्धि किसानों की आर्थिक हानि की भरपाई करेगी और उन्हें विकास में भागीदार बनाएगी।
विभिन्न वोल्टेज लाइनों के लिए क्षतिपूर्ण क्षेत्रफल
सरकार ने विभिन्न क्षमता वाली लाइनों के लिए ROW कॉरिडोर को वैज्ञानिक आधार पर निर्धारित किया है। 132 KV लाइन के नीचे पहले 7 मीटर क्षेत्र क्षतिपूर्ण माना जाता था, अब इसे कॉरिडोर अनुसार 28 मीटर कर दिया गया है। 220 KV लाइन के लिए पहले 14 मीटर था, अब 35 मीटर निर्धारित किया गया है। इसके अलावा, 400 KV लाइन के लिए 52 मीटर क्षतिपूर्ण क्षेत्रफल तय किया गया है। इन क्षेत्रों में किसान फसल उगा सकेंगे, लेकिन सुरक्षा मानकों का पालन करना होगा। मुआवजा भूमि के बाजार मूल्य के आधार पर दिया जाएगा, जो जिला कलेक्टर द्वारा निर्धारित होगा। यह व्यवस्था पारदर्शी और न्यायपूर्ण है।
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किसानों को मिलने वाले लाभ
यह निर्णय प्रदेश के उन किसानों को सीधा लाभ पहुँचाएगा जिनके खेतों से हाईटेंशन लाइनें गुजरती हैं या टॉवर बनते हैं। बढ़ी हुई मुआवजा राशि से किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। भूमि स्वामित्व किसान के पास रहने से वे लाइन के नीचे या टॉवर के बीच फसल ले सकेंगे, जिससे आय का अतिरिक्त स्रोत बनेगा। सरकार का यह कदम बिजली कंपनियों और किसानों के बीच विश्वास बढ़ाएगा, जिससे विकास कार्य तेज होंगे। छोटे और सीमांत किसानों को विशेष राहत मिलेगी, क्योंकि उनकी भूमि अक्सर ऐसे प्रोजेक्ट्स में प्रभावित होती है।
कार्यान्वयन की प्रक्रिया
मुआवजा वितरण ऊर्जा विभाग और राजस्व विभाग के सहयोग से होगा। प्रभावित किसानों की सूची तैयार की जाएगी, और भूमि सर्वेक्षण के बाद राशि बैंक खाते में जमा की जाएगी। किसान शिकायत निवारण के लिए जिला स्तर पर समिति गठित की जाएगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि यह प्रक्रिया पारदर्शी और समयबद्ध हो।
मध्य प्रदेश सरकार का यह फैसला किसानों की मेहनत का सम्मान है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मंत्री परिषद ने 28 अक्टूबर को जो निर्णय लिया, वह विकास और किसान कल्याण का संतुलन स्थापित करता है। बढ़ी हुई मुआवजा राशि से किसान आर्थिक रूप से मजबूत होंगे, और राज्य की बिजली व्यवस्था मजबूत होगी।
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