किसान भाइयों ध्यान दें, ये भैंस की नस्लें देंगी 25 लीटर तक दूध और मोटा मुनाफा

पशुपालन आज किसानों और पशुपालकों के लिए लाभदायक व्यवसाय बन गया है। विशेष रूप से भैंस पालन से दूध उत्पादन में अच्छी आय हो रही है। देसी भैंसें आमतौर पर 5-8 लीटर दूध देती हैं, लेकिन कुछ उन्नत नस्लें 20-25 लीटर तक दूध दे सकती हैं। इन नस्लों का दूध घना और पौष्टिक होता है, जो डेयरी उत्पादों के लिए आदर्श है। जिला पशु अधिकारी डॉ. अतुल कुमार अवस्थी के अनुसार, अच्छी नस्ल चुनकर पशुपालक प्रतिदिन 1000-1500 रुपये कमा सकते हैं। आइए जानते हैं ऐसी प्रमुख भैंस नस्लों के बारे में।

मुर्रा भैंस: दूध उत्पादन की रानी

मुर्रा भैंस हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश की प्रसिद्ध नस्ल है। यह काली रंग की होती है और दूध में वसा की मात्रा अधिक (6-7%) होती है। एक मुर्रा भैंस प्रतिदिन 20-25 लीटर दूध दे सकती है, जो सालाना 2000-2500 लीटर तक पहुंच जाता है। इसकी कीमत 50,000 से 1 लाख रुपये तक होती है। पशुपालक इस नस्ल से दूध बेचकर अच्छा मुनाफा कमाते हैं। मुर्रा का दूध घी और पनीर बनाने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।

जाफराबादी भैंस: मजबूत कद-काठी वाली

गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र की मूल निवासी जाफराबादी भैंस काले या ग्रे रंग की होती है। इसके माथे पर सफेद निशान पहचान का मुख्य लक्षण है। यह नस्ल मजबूत शरीर वाली होती है और प्रतिदिन 15-25 लीटर दूध दे सकती है। जाफराबादी का दूध वसा युक्त (7%) होता है, जो बाजार में अच्छी कीमत दिलाता है। इसकी कीमत 70,000 से 1.5 लाख रुपये तक है। पालन में कम रखरखाव की जरूरत पड़ती है, जो किसानों के लिए फायदेमंद है।

मेहसाणा भैंस: उच्च उत्पादन वाली

मेहसाणा भैंस गुजरात और महाराष्ट्र की लोकप्रिय नस्ल है, जो अब उत्तर प्रदेश में भी पाली जा रही है। यह ग्रे-काली रंग की होती है और प्रतिदिन 20-30 लीटर दूध देती है। सालाना 1400-1600 लीटर दूध उत्पादन से पशुपालक अच्छी कमाई कर सकते हैं। इसकी कीमत 60,000 से 1.2 लाख रुपये है। मेहसाणा का दूध दही और मिठाई बनाने के लिए उपयुक्त है।

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सुरती भैंस: दक्षिणी भारत की शान

सुरती भैंस गुजरात के सूरत क्षेत्र से आती है। यह छोटी कद-काठी वाली होती है और प्रतिदिन 15-20 लीटर दूध देती है। वसा सामग्री 6-7% होने से इसका दूध महंगा बिकता है। सालाना 1400-1600 लीटर दूध से किसान मोटी कमाई कर सकते हैं। कीमत 40,000 से 80,000 रुपये तक है। सुरती नस्ल का पालन आसान और कम लागत वाला है।

पशुपालन के फायदे और सलाह

इन नस्लों का पालन करने से पशुपालक दूध बेचकर प्रतिमाह 30,000-50,000 रुपये कमा सकते हैं। दूध के अलावा ब्याने से भी आय होती है। डॉ. अवस्थी ने सलाह दी कि अच्छी नस्ल चुनें, संतुलित आहार दें और टीकाकरण करवाएं। सरकारी योजनाओं जैसे पशुधन बीमा से जोखिम कम होता है। भैंस पालन कृषि के साथ अतिरिक्त आय का स्रोत बन सकता है।

मुर्रा, जाफराबादी, मेहसाणा और सुरती जैसी नस्लें भैंस पालन को लाभदायक बनाती हैं। इनसे 20-25 लीटर दूध मिलने से कमाई मोटी हो जाती है। पशुपालक इन नस्लों को अपनाकर समृद्धि हासिल कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए स्थानीय पशु चिकित्सक से संपर्क करें।

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  • Shashikant

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