केंद्र और राज्य सरकारें बागवानी फसलों के विकास और किसानों की आय बढ़ाने के लिए मिलकर काम कर रही हैं। इसी कड़ी में हिमाचल प्रदेश सरकार ने एकीकृत बागवानी विकास परियोजना के तहत बिलासपुर जिले के लिए 8.5 करोड़ रुपये की वार्षिक योजना को मंजूरी दी है। इस योजना का मुख्य मकसद किसानों को आधुनिक तकनीक, प्रशिक्षण और संसाधन मुहैया कराकर उनकी उपज और आमदनी को दोगुना करना है।
क्या है एकीकृत बागवानी विकास परियोजना?
इस योजना के तहत किसानों को फलों, सब्जियों, फूलों और मसालों की खेती के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है। साथ ही, उन्हें खेती की उन्नत विधियाँ, मौसम की जानकारी और आधुनिक उपकरण भी मुहैया कराए जाते हैं। जिला स्तरीय समिति की बैठक में योजना को मंजूरी देते हुए बागवानी विभाग के उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक ने बताया कि इससे किसानों को वृक्षारोपण, जल प्रबंधन और संरचनात्मक सुविधाएँ मिलेंगी।
किन फसलों पर है फोकस?
इस योजना में किसान आम, अमरूद, केला जैसे फलों के साथ-साथ गेंदा और गुलाब जैसे फूलों की खेती कर सकते हैं। मसालों में हल्दी, प्याज और लहसुन की खेती को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। किसान चाहें तो ग्रीन हाउस या पॉली हाउस बनाकर भी इन फसलों को उगा सकते हैं। इन सुविधाओं के लिए सरकार किसानों को सब्सिडी भी दे रही है।
पहाड़ी इलाकों में बागवानी का विस्तार
हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर जैसे पहाड़ी राज्यों में बागवानी फसलों का रकबा तेजी से बढ़ रहा है। दिसंबर से मार्च तक यहाँ सेब, अखरोट और अन्य फलों के पौधे लगाए जाते हैं। इन इलाकों में खेती की नई तकनीकों और सिंचाई सुविधाओं के चलते किसानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है।
किसानों को कैसे मिलेगा फायदा?
इस योजना से किसानों को प्रशिक्षण, संसाधन और बाजार कनेक्टिविटी का लाभ मिलेगा। किसान खेती की आधुनिक विधियाँ सीखकर अपनी उत्पादकता बढ़ा सकते हैं। सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम, ग्रीन हाउस और बीजों की सहायता से उनकी लागत कम होगी और उपज बढ़ेगी। साथ ही, उपज को बेहतर दाम पर बेचने के लिए बाजार से जोड़ा जाएगा।