Organic Pesticide: गाँव के आँगन में या घर की छत पर फल-सब्जियाँ उगाने का शौक कई लोगों को होता है। लेकिन गर्मी हो या बारिश, कीटों का हमला फसल को बर्बाद कर देता है। रासायनिक कीटनाशक इस्तेमाल करना न तो सेहत के लिए ठीक है और न ही मिट्टी के लिए। एक छोटे बागवान के तौर पर अनुभव रहा है कि देसी नुस्खों से बने ऑर्गेनिक कीटनाशक न सिर्फ सस्ते हैं, बल्कि फसल और पर्यावरण को भी सुरक्षित रखते हैं। गाँव में कई लोग इन नुस्खों को अपनाकर अपनी सब्जियों को कीटों से बचा रहे हैं। लहसुन, नीम, और टमाटर की पत्तियों जैसे घरेलू सामान से कीटनाशक बनाना आसान है और मेहनत भी कम लगती है।
लहसुन-मिर्च-अदरक का देसी मिश्रण
लहसुन, हरी मिर्च, और अदरक का मिश्रण गाँवों में बरसों से कीटों से लड़ने का रामबाण नुस्खा रहा है। इसे बनाने के लिए एक मुट्ठी लहसुन, चार-पाँच हरी मिर्च, और थोड़ा-सा अदरक लेकर बारीक पीस लिया जाता है। इस पेस्ट को रातभर ढककर रखा जाता है, फिर अगले दिन 2 लीटर पानी में मिलाकर छान लिया जाता है। इस घोल को बोतल में भरकर पौधों की पत्तियों और तनों पर छिड़का जाता है। ये मिश्रण छोटे कीटों जैसे एफिड्स और थ्रिप्स को भगाने में बहुत कारगर है। गाँव में कई किसान इस नुस्खे को अपनी टमाटर और भिंडी की फसल पर आजमा रहे हैं, और नतीजे शानदार मिल रहे हैं। छिड़काव हर 7-10 दिन में करना चाहिए, ताकि कीट वापस न आएँ।
नीम का तेल कीटों का काल
नीम का तेल गाँवों में कीटनाशक के रूप में बरसों से इस्तेमाल होता आ रहा है। ये हर तरह के कीटों, जैसे माइट्स, एफिड्स, और स्केल कीटों को खत्म करने में मदद करता है। इसे बनाने के लिए एक छोटा चम्मच शुद्ध नीम का तेल 1 लीटर पानी में मिलाया जाता है। इस घोल को अच्छे से हिलाकर स्प्रे बोतल में डाला जाता है। शाम के समय, जब धूप कम हो, इस मिश्रण को पौधों पर छिड़कना चाहिए। अगली सुबह पौधों को साफ पानी से हल्का धो लिया जाता है, ताकि कोई अवशेष न रहे। गाँव में कई लोग नीम के तेल को अपनी मिर्च और बैंगन की फसल पर इस्तेमाल करते हैं, और इससे पौधे हरे-भरे रहते हैं। नीम का तेल बाजार में आसानी से मिल जाता है, और ये सस्ता भी है।
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टमाटर की पत्तियों का जादू
टमाटर की पत्तियाँ भी कीटों से लड़ने का शानदार देसी नुस्खा हैं। इनमें मौजूद टोमेटाइन नाम का तत्व कीटों को भगाने में मदद करता है। इसे बनाने के लिए दो मुट्ठी ताजी टमाटर की पत्तियाँ काटकर एक बर्तन में रातभर पानी में भिगोई जाती हैं। अगले दिन इस पानी को छानकर स्प्रे बोतल में डाला जाता है और पौधों पर छिड़काव किया जाता है। ये नुस्खा खासकर एफिड्स जैसे छोटे कीटों के लिए बहुत असरदार है। गाँव में कई किसान इस तरीके को अपनी गोभी और फूलगोभी की फसल पर आजमाते हैं। ये इतना आसान है कि कोई भी इसे घर पर बना सकता है, और इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है।
डिशवॉश और तेल का कमाल
घर में बर्तन धोने वाला साबुन भी कीटों से लड़ने में काम आ सकता है। एक बड़ा चम्मच शुद्ध डिशवॉश लिक्विड (जिसमें ब्लीच न हो) को 1 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे बोतल में डाला जाता है। इस घोल को पौधों की पत्तियों पर छिड़कने से एफिड्स और कोमल कीट भाग जाते हैं। इसके अलावा, एक कप सरसों या नारियल का तेल लेकर उसमें एक चम्मच डिशवॉश मिलाया जा सकता है। इस मिश्रण को पानी में डालकर पौधों पर छिड़का जाता है। ये तेल आधारित स्प्रे माइट्स और स्केल कीटों को दूर रखता है। गाँव में कई लोग इस नुस्खे को अपनी पालक और मिर्च की फसल पर आजमा रहे हैं। हर 5-7 दिन में छिड़काव करने से फसल सुरक्षित रहती है।
देसी नुस्खों से हरी-भरी फसल
ये ऑर्गेनिक कीटनाशक न सिर्फ सस्ते और आसान हैं, बल्कि मिट्टी, पौधों, और सेहत के लिए पूरी तरह सुरक्षित भी हैं। रासायनिक कीटनाशकों से होने वाला नुकसान इनसे नहीं होता, और पर्यावरण भी हरा-भरा रहता है। गाँव में कई किसान इन देसी नुस्खों को अपनाकर अपनी फसल को कीटों से बचा रहे हैं। अगर आँगन या छत पर फल-सब्जियाँ उगा रहे हैं, तो इन नुस्खों को आजमाकर फसल को स्वस्थ रखा जा सकता है। नजदीकी नर्सरी या कृषि केंद्र से और सलाह ली जा सकती है। इन आसान तरीकों से कीटों को भगाकर आँगन की शान बढ़ाई जा सकती है।
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