भारत में इस बार भी तापमान बढ़ने की संभावना जताई जा रही है, जिससे लगातार चौथे वर्ष फसल उत्पादन में गिरावट देखी जा सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, गेहूं और सरसों जैसी प्रमुख फसलें अत्यधिक गर्मी से प्रभावित हो सकती हैं, जिससे कुल कृषि उत्पादन में भारी गिरावट आ सकती है।
भारत के वेदर ब्यूरो के मुताबिक, फरवरी 2025 में देशभर में सामान्य से अधिक तापमान रहने की संभावना है। प्रमुख कृषि राज्यों में तापमान औसत से 5 डिग्री अधिक दर्ज किया जा सकता है। ऐसे में फसलों की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
भारत को बंपर फसल की उम्मीद
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है, लेकिन 2022 से लगातार खराब मौसम और गर्मी के कारण फसल उत्पादन में गिरावट आई है। 2025 में बंपर फसल की उम्मीद थी, लेकिन अत्यधिक तापमान ने इस आशा को खतरे में डाल दिया है।
2022 में भी हुई थी भारी क्षति
साल 2022 में अचानक तापमान बढ़ने के कारण गेहूं की फसल को भारी नुकसान हुआ था। इस वजह से भारत को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना पड़ा था। अगर 2025 में भी तापमान इसी तरह बढ़ता है, तो भारत को गेहूं आयात करने पर मजबूर होना पड़ सकता है।
फसल उत्पादन में गिरावट के कारण भारत सरकार को आयात को सुविधाजनक बनाने के लिए 40% इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती या इसे हटाने पर विचार करना पड़ सकता है। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजारों से गेहूं और अन्य कृषि उत्पादों का आयात करना आसान होगा।
फरवरी में 5 डिग्री अधिक हो सकता है तापमान
भारत के प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य जैसे पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में कुछ दिनों तक अधिकतम तापमान औसत से 5 डिग्री अधिक दर्ज किया जा सकता है। इस वजह से फसलों की पैदावार और गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
गेहूं, सरसों और चने पर सीधा असर
भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, फरवरी के दूसरे पखवाड़े में तापमान तेजी से बढ़ सकता है। सर्दियों की फसलों को ठंडे मौसम की जरूरत होती है, लेकिन अत्यधिक गर्मी के कारण गेहूं, सरसों और चने की उपज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
अत्यधिक गर्मी के कारण मिट्टी में नमी की मात्रा घटेगी, जिससे फसलों की ग्रोथ धीमी हो सकती है। मुंबई स्थित फिलीप कैपिटल इंडिया के कमोडिटी रिसर्च वाइस प्रेसिडेंट अश्विनी बनसोद के अनुसार, “अगर तापमान कई दिनों तक सामान्य से अधिक रहता है, तो यह फसलों पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा।”
गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी का खतरा
फसल उत्पादन में कमी के कारण भारत में गेहूं की कीमतें पहले ही रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी हैं। इस महीने की शुरुआत में गेहूं की कीमतें 33,250 रुपये ($384.05) प्रति मीट्रिक टन तक पहुंच गई थीं। अगर तापमान इसी तरह बढ़ता रहा, तो कीमतों में और उछाल आ सकता है।
मुंबई स्थित एक व्यापारी के अनुसार, सरसों की पैदावार में गिरावट होने पर भारत को खाद्य तेल आयात पर निर्भर रहना पड़ेगा। भारत दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य तेल आयातक देश है और अगर घरेलू उत्पादन में गिरावट आती है, तो यह आयात और महंगाई को और बढ़ा सकता है।