पॉलीहाउस में खीरे की खेती से हर महीने कितनी कमाई? जानिए एक्सपर्ट की पूरी गणित

Cultivating Cucumber in a Polyhouse: खेती में मेहनत तो हर किसान करता है, लेकिन मौसम की मार और कीटों की समस्या अक्सर फसल को नुकसान पहुँचाती है। ऐसे में पॉली हाउस खेती किसानों के लिए एक वरदान साबित हो रही है। पॉली हाउस एक ऐसा ढांचा है, जो फसलों को बारिश, तेज धूप, और कीटों से बचाता है। इससे न सिर्फ फसल सुरक्षित रहती है, बल्कि पैदावार भी कई गुना बढ़ जाती है। चाहे खीरा हो, टमाटर हो, या फूलों की खेती, पॉली हाउस में सालभर फसल उगाई जा सकती है। सबसे बड़ी बात यह है कि सरकार इसकी लागत का 50 से 70 प्रतिशत तक अनुदान दे रही है, जिससे किसानों का खर्चा काफी कम हो जाता है।

खीरे की खेती से लाखों की कमाई

पॉली हाउस में खीरे की खेती किसानों के लिए मोटा मुनाफा दे रही है। अनुभवी किसानों के अनुसार, 4000 वर्ग मीटर के पॉली हाउस में करीब 7000 खीरे के पौधे लगाए जा सकते हैं। पॉली हाउस में तापमान और नमी को नियंत्रित करने की सुविधा होती है, जिसके कारण पौधे सिर्फ 40 दिन में फल देने लगते हैं। एक पौधा एक सीजन में 60 किलो तक खीरा दे सकता है। इस हिसाब से एक सीजन में 40 से 45 टन खीरे का उत्पादन होता है।

साल में दो बार खीरे की फसल ली जा सकती है पहली फसल फरवरी से मई तक और दूसरी जुलाई से अक्टूबर तक। एक सीजन में फसल लगाने की लागत करीब 2 लाख रुपये आती है, लेकिन मुनाफा 6 से 8 लाख रुपये तक हो सकता है। यह पारंपरिक खेती से कहीं ज्यादा फायदेमंद है।

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कम पानी कम जोखिम ज्यादा फायदा

पॉली हाउस खेती का एक बड़ा फायदा यह है कि इसमें पानी की खपत कम होती है। ड्रिप इरिगेशन जैसी तकनीकों से पानी की हर बूंद का सही इस्तेमाल होता है, जहाँ पानी की कमी एक चुनौती है। साथ ही, पॉली हाउस में कीटों और बीमारियों का खतरा कम होता है, जिससे कीटनाशकों पर खर्च बचता है। इससे फसल की गुणवत्ता बेहतर रहती है, और बाजार में अच्छी कीमत मिलती है। अनुभवी किसानों का कहना है कि पॉली हाउस में खेती करने से न सिर्फ लागत कम होती है, बल्कि फसल की बिक्री से मुनाफा भी दोगुना हो जाता है।

सरकार की सब्सिडी

केंद्र और राज्य सरकारें पॉली हाउस खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ चला रही हैं। इन योजनाओं के तहत किसानों को पॉली हाउस लगाने के लिए 50 से 70 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है। इससे पॉली हाउस की शुरुआती लागत काफी कम हो जाती है। बिहार और उत्तर प्रदेश के किसान अपने नजदीकी कृषि केंद्र या ई-मित्र पर जाकर इन योजनाओं के लिए आवेदन कर सकते हैं। आवेदन की प्रक्रिया आसान है, और कृषि विभाग के अधिकारी इसमें पूरी मदद करते हैं। कई किसानों ने इस योजना का फायदा उठाकर अपनी खेती को नया रूप दिया है और अपनी आय को बढ़ाया है।

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पॉली हाउस क्यों है खास

पॉली हाउस खेती में फसलें मौसम की मार से बची रहती हैं, जिससे किसानों को नुकसान का डर कम होता है। खीरा, टमाटर, मिर्च, और फूलों जैसी फसलों की मांग बाजार में पूरे साल रहती है। पॉली हाउस में उगाई गई सब्जियाँ ताज़ा और कीटनाशक-मुक्त होती हैं, जिससे ग्राहक इन्हें ज्यादा पसंद करते हैं। यह तकनीक पारंपरिक खेती की तुलना में कम मेहनत और कम जोखिम के साथ ज्यादा मुनाफा देती है। बिहार और उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए यह एक सुनहरा मौका है, जिससे वे अपनी खेती को आधुनिक बना सकते हैं और अपनी जिंदगी बेहतर कर सकते हैं।

कैसे शुरू करें पॉली हाउस खेती

पॉली हाउस खेती शुरू करने के लिए सबसे पहले अपने खेत की मिट्टी और पानी की जाँच करवाएँ। इसके बाद नजदीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें और पॉली हाउस योजना की जानकारी लें। सब्सिडी के लिए आवेदन करने से पहले सुनिश्चित करें कि आपके पास खेत, पानी, और बिजली की सुविधा है। कृषि विशेषज्ञों की सलाह लें और खीरे जैसे फसलों के लिए अच्छी क्वालिटी के बीज चुनें। ड्रिप इरिगेशन सिस्टम का इस्तेमाल करें, ताकि पानी की बचत हो और फसल को सही पोषण मिले। सही देखभाल और तकनीक के साथ आपकी मेहनत रंग लाएगी और खेती से मोटा मुनाफा मिलेगा।

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  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

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