गांवों में खेती हमारी रीढ़ है, लेकिन आजकल रासायनिक कीटनाशकों का इतना ज़्यादा इस्तेमाल हो रहा है कि मिट्टी की ताकत कम हो रही है और फसलों में ज़हर घुल रहा है। ऐसे में देसी कीटनाशक एक ऐसा पुराना नुस्खा है, जो न सिर्फ सस्ता और असरदार है, बल्कि प्राकृतिक होने की वजह से मिट्टी और पौधों को नुकसान भी नहीं पहुँचाता। ये कीटनाशक आपके खेत और घर में मौजूद चीजों से बन सकता है, जिससे जेब पर बोझ नहीं पड़ता। अगर आप खेती को सुरक्षित और मुनाफेदार बनाना चाहते हैं, तो देसी कीटनाशक आपके लिए वरदान साबित हो सकता है। आइए जानते हैं कि ये क्यों ज़रूरी है, इसे कैसे बनाएँ और इसके फायदे क्या हैं।
देसी कीटनाशक क्यों ज़रूरी है?
रासायनिक कीटनाशक भले ही कीटों को मार दें, लेकिन ये मिट्टी की उर्वरक शक्ति को छीन लेते हैं। इनके ज़हरीले असर से फसलें खाने लायक नहीं रहतीं और इंसानों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है। दूसरी ओर, देसी कीटनाशक प्राकृतिक चीजों से बनते हैं, जो कीटों को भगाने के साथ-साथ मिट्टी को पोषण देते हैं। ये सस्ते होते हैं और रासायनिक दवाओं की तरह फसल में हानिकारक तत्व नहीं छोड़ते। खेती को जैविक और टिकाऊ बनाने के लिए देसी कीटनाशक आज की सबसे बड़ी ज़रूरत बन गए हैं। ये पुराने जमाने के तरीके हैं, जिन्हें हमारे दादा-परदादा इस्तेमाल करते थे, और अब फिर से इनकी कीमत समझ में आ रही है।
बिना लागत वाला देसी कीटनाशक क्या है?
बिना लागत का मतलब है कि आपको बाहर से कुछ खरीदने की ज़रूरत नहीं। ये कीटनाशक आपके घर या खेत में पहले से मौजूद चीजों से बन जाता है। गोमूत्र, नीम की पत्तियाँ, लहसुन और हरी मिर्च जैसी चीजें हर गांव में आसानी से मिल जाती हैं। इनसे बना कीटनाशक रासायनिक दवाओं से कम नहीं होता और कीटों को खेत से दूर भगाने में माहिर है। ये नुस्खा न सिर्फ जेब बचाता है, बल्कि फसल को सुरक्षित और सेहतमंद भी रखता है।
देसी कीटनाशक की सामग्री और असर
यहाँ देसी कीटनाशक की सामग्री और इसके असर की जानकारी टेबल में दी गई है:
सामग्री | मात्रा | असर |
---|---|---|
गोमूत्र | 5 लीटर | कीटों को भगाता है, पोषण देता है |
नीम की पत्तियाँ | 2 किलो | कीटों को मारता है, कड़वाहट |
लहसुन | 250 ग्राम | तीखी गंध से कीट दूर रहते हैं |
हरी मिर्च | 250 ग्राम | कीटों पर जलन का असर |
पानी | 10 लीटर | घोल को पतला करता है |
देसी कीटनाशक बनाने की आसान विधि
देसी कीटनाशक बनाने के लिए आपको बस कुछ साधारण चीजें चाहिए, जो खेत या घर में आसानी से मिल जाएँगी। 5 लीटर गोमूत्र, 2 किलो नीम की पत्तियाँ, 250 ग्राम लहसुन, 250 ग्राम हरी मिर्च और 10 लीटर पानी लें। एक बड़ा ड्रम या बाल्टी में ये सब तैयार करें। सबसे पहले नीम की पत्तियों को बारीक काट लें। फिर लहसुन और हरी मिर्च को पीसकर पेस्ट बना लें।
अब ड्रम में 10 लीटर पानी डालें और उसमें कटी हुई नीम की पत्तियाँ, लहसुन-मिर्च का पेस्ट और गोमूत्र डालकर अच्छे से मिलाएँ। इस मिश्रण को ढककर 2 दिन तक छांव में रख दें। हर दिन इसे एक बार लकड़ी से चलाएँ, ताकि सब अच्छे से घुल जाए। 2 दिन बाद इसे छान लें और घोल तैयार है। अब इसे स्प्रे मशीन में डालकर फसलों पर छिड़क सकते हैं। ये तरीका इतना आसान है कि कोई भी किसान इसे आज़मा सकता है।
ये कीटनाशक किन कीटों पर काम करता है?
ये देसी कीटनाशक कई तरह के कीटों को खेत से भगाने में कारगर है। सफेद मक्खी, थ्रिप्स, माहू (एफिड्स), तना छेदक, चूसक कीड़े और पत्तियाँ खाने वाले कीड़े इसके असर से बच नहीं पाते। चाहे आपकी फसल सब्जी हो, गेहूँ हो, धान हो या दलहन, ये हर तरह की खेती में इस्तेमाल किया जा सकता है। नीम की कड़वाहट, लहसुन की तीखी गंध और गोमूत्र का प्राकृतिक गुण मिलकर कीटों को दूर रखते हैं। ये कीटनाशक कीटों को मारता भी है और उन्हें भगाता भी है, जिससे फसल को दोहरा फायदा मिलता है।
कब और कैसे छिड़कें?
देसी कीटनाशक का छिड़काव सुबह या शाम के समय करना सबसे अच्छा रहता है। इस वक्त धूप कम होती है, जिससे घोल का असर ज़्यादा देर तक रहता है। सामान्य तौर पर 7 से 10 दिन के अंतर पर छिड़काव करें। अगर कीटों का प्रकोप ज़्यादा हो, तो हर 5 दिन में इसे छिड़कें। स्प्रे मशीन से पूरे खेत में बराबर छिड़काव करें, ताकि हर पौधे तक घोल पहुँच जाए। बारिश के ठीक बाद छिड़काव न करें, वरना घोल बह सकता है। सही समय और तरीके से इस्तेमाल करने पर ये कीटनाशक लंबे वक्त तक फसल की रक्षा करता है।
देसी कीटनाशक के फायदे
देसी कीटनाशक के ढेर सारे फायदे हैं। सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसमें खर्च बिल्कुल नहीं होता। आपके पास पहले से मौजूद चीजों से ये बन जाता है। दूसरा, ये मिट्टी की उर्वरकता को बरकरार रखता है, क्योंकि इसमें कोई ज़हरीला तत्व नहीं होता। तीसरा, फसलों में ज़हर नहीं जाता, जिससे खाना सुरक्षित रहता है। चौथा, ये लंबे समय तक कीटों से सुरक्षा देता है। और सबसे खास, ये जैविक खेती को बढ़ावा देता है, जो आज के समय में बाज़ार में बहुत माँग रखती है। ये सब मिलकर इसे रासायनिक दवाओं से बेहतर बनाते हैं।
किसानों का अनुभव
उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के किसान रमेश यादव अपने तजुर्बे को साझा करते हुए कहते हैं कि जब से उन्होंने नीम और गोमूत्र से देसी कीटनाशक बनाना शुरू किया, तब से रासायनिक दवाएँ लेना बंद कर दिया। उनका कहना है कि इससे फसल की गुणवत्ता बढ़ी है और पैसे की भी बचत हुई है। रमेश जैसे कई किसान अब इस पुराने नुस्खे को अपनाकर अपनी खेती को सस्ता और सुरक्षित बना रहे हैं। ये अनुभव बताता है कि देसी कीटनाशक सच में खेती के लिए गेम-चेंजर हो सकता है।
देसी कीटनाशक खेती को सस्ता, सुरक्षित और टिकाऊ बनाने का शानदार तरीका है। गोमूत्र, नीम, लहसुन और मिर्च से बना ये घोल न सिर्फ कीटों को भगाता है, बल्कि मिट्टी और फसल को भी सेहतमंद रखता है। बिना लागत और आसान विधि की वजह से हर किसान इसे आज़मा सकता है। तो इस बार रासायनिक दवाओं को छोड़कर देसी नुस्खा अपनाएँ और अपनी खेती को नया जीवन दें। किसी सवाल के लिए अपने नज़दीकी कृषि केंद्र से सलाह लें।
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