How To Make Pheromone Trap at Home: आम को फलों का राजा यूं ही नहीं कहा जाता। हमारे देश में आम सिर्फ़ स्वाद का ज़रिया नहीं, बल्कि संस्कृति और कमाई का भी बड़ा हिस्सा है। उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात जैसे राज्यों में आम के बाग़ खूब लहलहाते हैं। लेकिन इन बागों की सबसे बड़ी दुश्मन है फल मक्खी, जो पके हुए आमों को सड़ा देती है और किसान भाइयों की मेहनत पर पानी फेर देती है। अगर सही समय पर सही कदम उठाए जाएँ, तो इस कीट से फसल को बचाना आसान है। आइए, कुछ देसी और पर्यावरण-अनुकूल उपाय जानें, जो आपके आम के बाग़ को सुरक्षित रखेंगे।
फल मक्खी का खतरा और उसका चक्र
फल मक्खी छोटी सी दिखती है, लेकिन नुकसान बहुत बड़ा कर सकती है। यह कीट पकते हुए आमों पर हमला करती है। मादा मक्खी फल की सतह पर अंडे देती है, जिनसे लार्वा निकलते हैं। ये लार्वा फल का गूदा खाते हैं, जिससे आम सड़ने लगता है और कई बार पेड़ से गिर जाता है। इसके बाद लार्वा मिट्टी में चले जाते हैं, वहाँ प्यूपा बनते हैं, और फिर नई मक्खियाँ बनकर बाग़ में वापस आती हैं। यह चक्र तब तक चलता रहता है, जब तक इसे रोका न जाए। अगर सावधानी न बरती जाए, तो फल मक्खी एक से लेकर सौ प्रतिशत तक फसल बर्बाद कर सकती है।
कीटनाशकों से बचें, देसी उपाय अपनाएँ
पहले तो कई किसान फल मक्खी से बचने के लिए कीटनाशकों का छिड़काव करते थे, लेकिन यह तरीका नुकसानदायक हो सकता है। कीटनाशक मिट्टी और पानी को दूषित करते हैं, इंसानों की सेहत को खतरा पहुँचाते हैं, और अच्छे कीटों को भी मार देते हैं। खासकर जब फल पक रहे हों, तब रसायनों का इस्तेमाल और भी खतरनाक हो जाता है। इसलिए अब ज़रूरत है ऐसे उपायों की, जो प्रकृति के साथ चलें और फसल को भी बचाएँ।
फेरोमोन ट्रैप: आसान और कारगर हथियार
फल मक्खी से निपटने का सबसे बढ़िया तरीका है फेरोमोन ट्रैप। यह एक ऐसा जाल है, जो नर मक्खियों को अपनी ओर खींचता है और उन्हें फँसाकर मार देता है। इस जाल में मिथाइल यूजेनॉल नाम का एक खास रसायन होता है, जो नर मक्खियों को लुभाता है। जब नर मक्खियाँ मर जाती हैं, तो मादाएँ अंडे नहीं दे पातीं, और इस तरह नए कीटों का जन्म रुक जाता है। यह तरीका न सिर्फ़ सस्ता है, बल्कि पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं पहुँचाता।
इसके लिए आपको प्रति हेक्टेयर 15 से 20 ट्रैप लगाने होंगे। ट्रैप को पेड़ की निचली टहनियों पर, 4 से 6 फीट की ऊँचाई पर बाँधें। ध्यान रखें कि ट्रैप न तो बहुत घनी छाया में हों और न ही सीधी धूप में। ट्रैपों को आम के पकने से करीब 2 महीने पहले लगाना शुरू करें। हर 6 से 10 हफ्ते में ट्रैप का ल्यूअर यानी रसायन बदलते रहें, ताकि वह असरदार बना रहे।
घर पर बनाएँ अपना फेरोमोन ट्रैप
अगर आप बाज़ार से ट्रैप नहीं खरीदना चाहते, तो इसे घर पर भी बना सकते हैं। इसके लिए 1 लीटर की पुरानी प्लास्टिक बोतल लें। बोतल के ढक्कन में एक छोटा सा छेद करें और ऊपरी हिस्से में दो छेद बनाएँ, ताकि उसे लटकाया जा सके। अब मिथाइल यूजेनॉल से उपचारित एक छोटा प्लाईवुड का टुकड़ा बोतल में डालें। इस बोतल को पेड़ की छायादार टहनी पर लटका दें। यह घरेलू ट्रैप भी उतना ही असरदार है और पैसे भी बचाता है।
खेत की देखभाल से रोकें कीटों को
फेरोमोन ट्रैप के साथ-साथ कुछ और बातों का ध्यान रखना भी ज़रूरी है। अगर कोई फल कीट से संक्रमित होकर गिर जाए, तो उसे इकट्ठा करके 60 सेंटीमीटर गहरे गड्ढे में दबा दें। गर्मी के मौसम में बाग़ की गहरी जुताई करें, ताकि मिट्टी में छिपे प्यूपा नष्ट हो जाएँ। फलों की तुड़ाई सही समय पर करें, ताकि मक्खियों को हमला करने का मौका न मिले। अगर कुछ फल संक्रमित दिखें, तो उन्हें अड़तालीस डिग्री सेल्सियस गर्म पानी में एक घंटे तक डुबोएँ। इससे कीट मर जाएँगे और फल सुरक्षित रहेंगे।
ज़रूरत पड़ने पर ही करें रसायनों का इस्तेमाल
अगर फल मक्खी का प्रकोप बहुत ज़्यादा हो, तो रसायनों का हल्का इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इसे आखिरी रास्ता समझें। फल लगने के 45 दिन बाद डेल्टामेथ्रिन का हल्का छिड़काव हर पंद्रह दिन में तीन बार करें। तुड़ाई से चार हफ्ते पहले डिमेथोएट का छिड़काव करें, लेकिन यह तभी करें जब फसल निर्यात के लिए हो या हालात बहुत खराब हों।
इन सारे देसी और आसान उपायों को अपनाकर आप अपने आम के बाग़ को फल मक्खी से बचा सकते हैं। थोड़ी सी मेहनत और सही तरीके आपके खेतों को लहलहाने में मदद करेंगे, और आपकी कमाई भी बढ़ेगी।
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