Mango Farming Tips: दरभंगा को आम की राजधानी के रूप में जाना जाता है, जहाँ हर साल बगीचों में आम के मंजर की छटा देखने लायक होती है। लेकिन एक कठिन सच्चाई यह है कि 90 से 95 प्रतिशत आम पकने से पहले ही झड़ जाते हैं। केवल 5 से 7 प्रतिशत आम ही पककर बाजार तक पहुँच पाते हैं। यह स्थिति किसानों के लिए बड़ी चुनौती है, क्योंकि मेहनत और लागत के बाद भी अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाता। सही देखभाल और वैज्ञानिक तरीकों से इस नुकसान को काफी हद तक रोका जा सकता है। इस लेख में दरभंगा के किसानों के लिए कुछ सरल और प्रभावी उपाय साझा किए जा रहे हैं, जिनसे आम की फसल को सुरक्षित रखा जा सकता है।
मई से तुड़ाई तक का समय है महत्वपूर्ण
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर के पौधा रोग विशेषज्ञ डॉ. एस. के. सिंह के अनुसार, मई से लेकर तुड़ाई तक का समय आम की फसल की बढ़त, गुणवत्ता और परिपक्वता के लिए सबसे अहम है। इस दौरान सही देखभाल से न केवल फल झड़ने से बचाए जा सकते हैं, बल्कि कीट और रोगों से भी फसल की रक्षा हो सकती है। मई में तेज आंधी, अनियमित बारिश और तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण फल झड़ने का खतरा बढ़ जाता है। इस वजह से शुरुआती दौर में लगने वाले अधिकांश फल, यानी लगभग 95 प्रतिशत, गिर जाते हैं। इस समय विशेष सावधानी बरतने से फसल को काफी हद तक बचाया जा सकता है।
बौर की जाँच और मिट्टी की नमी बनाए रखें
आम की फसल को सुरक्षित रखने के लिए बौर की नियमित जाँच आवश्यक है। यदि बौर से गोंद जैसा पदार्थ निकल रहा हो, तो यह रोग का लक्षण है। ऐसे बौर को तुरंत काटकर नष्ट कर देना चाहिए, ताकि रोग पूरे पेड़ या बगीचे में न फैले। इसके अलावा, मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए नियमित रूप से हल्की सिंचाई करनी चाहिए। इससे फलों की बढ़त अच्छी रहती है और झड़ने की संभावना कम होती है। जिन खेतों में बलुई मिट्टी है या जहाँ ईंट-भट्ठे पास में हैं, वहाँ आम पर काले दाग या फटने की समस्या हो सकती है। इसे रोकने के लिए अप्रैल के अंत या मई के पहले सप्ताह में बोरेक्स का छिड़काव करना चाहिए। चार ग्राम बोरेक्स को एक लीटर पानी में मिलाकर पेड़ों पर छिड़कने से फल सुरक्षित रहते हैं।
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फल मक्खी और कीटों से फसल की सुरक्षा
फल मक्खी और तना छेदक जैसे कीट आम की फसल को भारी नुकसान पहुँचाते हैं। फल मक्खी फल के अंदर घुसकर उसे सड़ा देती है, जिससे बाजार में उसका मूल्य नहीं मिल पाता। इस मक्खी से बचने के लिए मिथाइल यूजीनॉल फेरोमोन ट्रैप का उपयोग करना चाहिए। प्रति हेक्टेयर 15 से 20 ट्रैप लगाने से मक्खियाँ फंस जाती हैं और फल सुरक्षित रहते हैं। तना छेदक और पत्ती खाने वाले कीटों के लिए क्विनालफॉस 25 ईसी का छिड़काव करना लाभकारी है। दो मिलीलीटर दवा को एक लीटर पानी में मिलाकर पेड़ों पर छिड़कने से कीटों का खात्मा होता है और फसल को नुकसान नहीं होता।
तुड़ाई से पहले और बाद की जरूरी सावधानियाँ
तुड़ाई से लगभग 20 दिन पहले थायोफेनेट मिथाइल 70 डब्ल्यू.पी. का छिड़काव करना चाहिए। एक ग्राम दवा को एक लीटर पानी में मिलाकर पेड़ों पर छिड़कने से तुड़ाई के बाद फलों की गुणवत्ता बनी रहती है और वे जल्दी खराब नहीं होते। तुड़ाई हमेशा सुबह या शाम के समय करनी चाहिए, जब धूप तेज न हो। फलों को 8 से 10 सेंटीमीटर लंबे डंठल के साथ सावधानी से काटना चाहिए। इसके लिए सीकेटियर या कटर का उपयोग करें। फलों को सीधे जमीन पर न रखें, बल्कि साफ टोकरी या बर्तन में रखें। इससे फल साफ रहते हैं और बाजार में अच्छा दाम मिलता है। ये छोटी-छोटी सावधानियाँ फसल की गुणवत्ता बनाए रखने में बड़ी भूमिका निभाती हैं।
किसानों के लिए विशेष सुझाव
आम की खेती में मेहनत के साथ सही जानकारी भी जरूरी है। मई से तुड़ाई तक बगीचे पर विशेष ध्यान देना चाहिए। बौर में रोग के लक्षण दिखने पर उन्हें तुरंत हटाएँ। खेत में पानी की कमी न होने दें और कीटों से बचाव के लिए समय-समय पर छिड़काव करें। जिन क्षेत्रों में ईंट-भट्ठे हैं, वहाँ बोरेक्स का छिड़काव अवश्य करें। तुड़ाई के समय सावधानी बरतें, ताकि फलों की गुणवत्ता बनी रहे। नजदीकी कृषि केंद्र से संपर्क करके सही सलाह और दवाएँ प्राप्त करें। दरभंगा के आम की ख्याति को बाजार तक पहुँचाकर मेहनत का पूरा लाभ उठाएँ।
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