छत पर उगाएं केसर और कमाएं लाखों! पूरी जानकारी और देखभाल के टिप्स यहां जानें

How to Saffron farming at Home : भाइयों, केसर यानी ‘लाल सोना’ अब सिर्फ जम्मू-कश्मीर का नहीं, आपके घर का भी हो सकता है। ये दुनिया का सबसे महँगा मसाला अपनी खुशबू, रंग और सेहत के गुणों से सबको लुभाता है। अब छत या बालकनी पर गमले में इसे उगा सकते हैं। सोच रहे हैं कि घर बैठे ये कमाल कैसे होगा? तो चलिए, हम आपको देसी तरीके से सारा खेल बताते हैं। थोड़ी मेहनत करिए, और अपने हाथों से केसर तैयार करिए।

सही जगह और मौसम का जुगाड़

केसर को ठंडी-सूखी हवा पसंद है, मगर घर में गमले में इसे काबू कर सकते हैं। छत, बालकनी या कोई खुली जगह चुनिए, जहाँ 6-8 घंटे धूप आए। जुलाई से सितंबर का वक्त कंद लगाने के लिए बेस्ट है। हवा चलती रहे, और धूप भरपूर मिले, बस इतना ध्यान रखिए। गर्मी ज्यादा हो, तो हल्की छाया का इंतजाम कर लीजिए।

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केसर के कंद का इंतजाम

केसर उगाने के लिए ‘सैफ्रॉन कॉर्म्स’ यानी कंद चाहिए। ये ऑनलाइन या कृषि दुकानों से मिल जाएँगे। कंद लेते वक्त देख लीजिए कि वो तंदुरुस्त हों – न फफूंद लगी हो, न कीड़े खाए हों। छोटे-छोटे प्याज जैसे दिखते हैं ये। एक बार अच्छे कंद ले आए, तो आधा काम हो गया।

मिट्टी और गमले की तैयारी

केसर को रेतीली-दोमट मिट्टी चाहिए, जिसमें पानी ठहरे नहीं। मिट्टी बनाने का देसी नुस्खा है – 40% बागवानी मिट्टी, 30% रेत, और 30% गोबर की खाद या कम्पोस्ट मिलाइए। गमला 6-8 इंच गहरा लीजिए, नीचे छेद हों, ताकि पानी निकल जाए। जड़ें सड़ने से बचेंगी, और पौधा फूलेगा-फलेगा। मिट्टी को अच्छे से फेंट लीजिए, कोई ढेला न रहे।

कंद लगाने का तरीका

जुलाई से सितंबर में कंद लगाइए। हर कंद को 2-3 इंच गहरा और आपस में 2-3 इंच दूर रखिए। मिट्टी से हल्के हाथों दबाइए, और थोड़ा पानी डाल दीजिए। ज्यादा जोर मत लगाइए, कंद नाजुक होते हैं। बस इतना करिए, और पौधे निकलने का इंतजार शुरू। धूप और हवा का खेल अब अपना काम करेगा।

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पौधों की देखभाल का नुस्खा

हर तीसरे दिन हल्का पानी डालिए, मगर मिट्टी को दलदल मत बनाइए। पौधे निकल आएँ, तो गमले को धूप में रखिए। ज्यादा पानी से फंगस का डर रहता है, तो हाथ काबू में रखिए। अक्टूबर-नवंबर में फूल खिलने लगते हैं। यही वो वक्त है, जब लाल सोना आपकी आँखों के सामने चमकेगा। कीड़ों से बचाने के लिए नीम का तेल छिड़क सकते हैं।

लाल रेशों की तुड़ाई

फूल खिलते ही सुबह-सुबह तोड़ लीजिए। हर फूल में 2-3 लाल रेशे होते हैं, वही असली केसर है। इन्हें बड़े प्यार से निकालिए, और छाँव में सुखाइए। सूख जाएँ, तो एयरटाइट डिब्बे में रख दीजिए। 1-2 साल तक ये अपनी खुशबू और ताकत बरकरार रखेगा। सूरज की तेज धूप से बचाइए, वरना रंग फीका पड़ सकता है।

कितना केसर बनेगा, कितना फायदा

एक कंद से एक फूल, और एक फूल से 2-3 रेशे मिलते हैं। 100 कंद लगाए, तो 0.5-1 ग्राम केसर बनेगा। कम लगता है, मगर बाजार में 1 ग्राम 300-500 रुपये तक बिकता है। 100 कंद का खर्च 1000-1500 रुपये, और कमाई 5000 तक हो सकती है। घर में इस्तेमाल करिए, या बेचिए – दोनों में फायदा। थोड़ी मेहनत से लाल सोना हाथ में होगा।

छोटे-मोटे टिप्स

कंद अच्छी जगह से लीजिए, सस्ते के चक्कर में खराब मत ले आइए। गमले में पानी ठहरने न पाए। फूल आने पर रोज चेक करिए, ताकि सही वक्त पर तोड़ सकें। सूखे रेशों को कांच के डिब्बे में रखिए। बाजार में बेचना हो, तो छोटे पैकेट बनाइए, दाम बढ़िया मिलेगा। गाँव के बागवानी वाले भाई से सलाह ले लीजिए।

तो भाइयों, घर की छत पर केसर उगाइए। गमला तैयार करिए, कंद लगाइए, और लाल सोने की फसल बटोरिए। मेहनत थोड़ी, मगर मुनाफा बड़ा। अपने हाथों से केसर बनाइए, और खुशबू फैलाइए!

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Author

  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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