राजस्थान की धरती मेहनतकश किसानों की गाथा कहती है, लेकिन बदलता मौसम और पानी की कमी ने खेती को चुनौतीपूर्ण बना दिया है। कभी बारिश नहीं आती, तो कभी लू और तूफान फसलों को चौपट कर देते हैं। ऐसे में राजस्थान सरकार ने किसानों के लिए एक नया रास्ता दिखाया है संरक्षित खेती। यह ऐसी तकनीक है, जो कम पानी और मेहनत में ज़्यादा कमाई का वादा करती है। आइए, जानें कि संरक्षित खेती क्या है और यह राजस्थान के किसानों के लिए कैसे गेम-चेंजर साबित हो सकती है।
संरक्षित खेती का मतलब क्या है?
संरक्षित खेती यानी खेती को मौसम की मार से बचाकर, नियंत्रित माहौल में फसल उगाना। इसके लिए ग्रीन हाउस, पॉलीहाउस या शेड नेट हाउस जैसी खास संरचनाएँ बनाई जाती हैं। इनके अंदर तापमान, नमी, हवा और धूप को इस तरह से कंट्रोल किया जाता है कि फसलें गर्मी, ठंड या बारिश से बची रहें। चाहे बाहर कितनी भी लू चल रही हो, इन हाउसों के अंदर फसलें लहलहाती रहती हैं। इस तकनीक से न सिर्फ़ फसल की गुणवत्ता बेहतर होती है, बल्कि पैदावार भी बढ़ती है।
सरकार दे रही है मोटी सब्सिडी
राजस्थान सरकार ने संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को ग्रीन हाउस बनाने के लिए अच्छी-खासी सब्सिडी देने का ऐलान किया है। सामान्य वर्ग के किसानों को ग्रीन हाउस की लागत का 50% अनुदान मिलेगा। वहीं, अनुसूचित जाति और जनजाति के किसानों को 70% तक सब्सिडी दी जाएगी। अगर कोई किसान छोटा या सीमांत है या अधिसूचित जनजाति क्षेत्र से है, तो उसे 25% अतिरिक्त अनुदान भी मिल सकता है। यह सब्सिडी ज़्यादा से ज़्यादा चार हज़ार वर्ग मीटर के ग्रीन हाउस के लिए मिलेगी। यानी, कम पैसे में आप अपना ग्रीन हाउस खड़ा कर सकते हैं और खेती का नया तरीका शुरू कर सकते हैं।
कौन ले सकता है इस योजना का फायदा?
इस योजना का लाभ उठाने के लिए कुछ ज़रूरी शर्तें हैं। सबसे पहले, आपके पास खेती करने लायक ज़मीन होनी चाहिए और पानी का कोई भरोसेमंद स्रोत, जैसे कुआँ या नलकूप। इसके अलावा, आपको कुछ कागज़ात जमा करने होंगे। इसमें छह महीने से पुरानी ना हो जमाबंदी की नकल, आधार या जनाधार कार्ड, मिट्टी और पानी की जाँच की रिपोर्ट, और ग्रीन हाउस बनाने वाली किसी मान्यता प्राप्त कंपनी का कोटेशन शामिल है। अगर आप अनुसूचित जाति या जनजाति से हैं, तो जाति प्रमाण पत्र भी देना होगा। अगर ये सब आपके पास है, तो आप इस योजना के लिए तैयार हैं।
आवेदन और निर्माण का तरीका
संरक्षित खेती की इस योजना में आवेदन करना बहुत आसान है। आप अपने नज़दीकी ई-मित्र केंद्र पर जाकर सारे कागज़ात जमा कर सकते हैं। आवेदन के बाद उद्यान विभाग आपकी अर्ज़ी की जाँच करेगा और अगर सब ठीक रहा, तो आपको ग्रीन हाउस बनाने की मंजूरी मिल जाएगी। मंजूरी मिलने के बाद आपको तीस दिन के अंदर या फिर 31 मार्च तक, जो पहले हो, कुछ कागज़ात और अपनी हिस्से की राशि जमा करनी होगी।
ग्रीन हाउस का निर्माण तभी शुरू होगा, जब विभाग से कार्यादेश मिलेगा। निर्माण पूरा होने के बाद विभाग की टीम आएगी और सब कुछ चेक करेगी। अगर सब सही पाया गया, तो अनुदान की राशि सीधे आपके बैंक खाते में आ जाएगी। चाहें तो यह राशि निर्माण करने वाली कंपनी को भी दी जा सकती है।
संरक्षित खेती के फायदे
संरक्षित खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह फसलों को मौसम की हर मुसीबत से बचाती है। चाहे तेज़ गर्मी हो, बारिश हो या तूफान, आपकी फसल सुरक्षित रहती है। इस तकनीक से आप साल के बारहों महीने खेती कर सकते हैं। ग्रीन हाउस में ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर का इस्तेमाल होता है, जिससे पानी की बहुत बचत होती है। यह राजस्थान जैसे सूखे इलाके के लिए वरदान है।
फसल की क्वालिटी इतनी अच्छी होती है कि बाज़ार में इसके अच्छे दाम मिलते हैं। टमाटर, शिमला मिर्च, खीरा, स्ट्रॉबेरी, गुलाब और जर्बेरा जैसे फूलों की खेती इस तकनीक में खूब फलती-फूलती है। इतना ही नहीं, आप औषधीय पौधों की खेती भी कर सकते हैं, जिनकी बाज़ार में अच्छी माँग है।
कब तक कर सकते हैं आवेदन?
यह योजना वर्तमान वित्तीय वर्ष यानी 31 मार्च तक के लिए मान्य है। अगर आप इसका फायदा उठाना चाहते हैं, तो जल्दी से अपने कागज़ात तैयार करें और ई-मित्र केंद्र पर जाकर आवेदन कर दें। मौका हाथ से निकलने न दें, क्योंकि यह आपके खेतों को नया रंग देने का सुनहरा मौका है।
संरक्षित खेती राजस्थान के किसानों के लिए उम्मीद की नई किरण है। कम पानी और मेहनत में ज़्यादा कमाई का यह तरीका न सिर्फ़ आपकी फसल को बचाएगा, बल्कि आपके परिवार की खुशहाली भी बढ़ाएगा। तो देर न करें, इस योजना का फायदा उठाएँ और अपने खेतों को मौसम की मार से मुक्त करें।
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