Hydroponic Farming: किसानों की कमाई बढ़ाने के लिए आधुनिक खेती की तकनीकों को बढ़ावा दिया जा रहा है, और हाइड्रोपोनिक खेती इनमें सबसे आगे है। ये एक ऐसी विधि है, जिसमें बिना मिट्टी के, कम पानी और कम जगह में सब्जियाँ उगाई जा सकती हैं। मध्य प्रदेश के सागर जिले में इसकी शुरुआत 50 किसानों के साथ की जा रही है।
सागर कृषि उद्यान विभाग के उपसंचालक पी.एस. पडोले बताते हैं कि 350 वर्ग मीटर के सेटअप की लागत पर 50% अनुदान यानी 175 रुपये प्रति वर्ग मीटर की छूट दी जा रही है। इस तकनीक से पैदावार सामान्य खेती की तुलना में चार गुना तक हो सकती है, और बाजार में इन सब्जियों का दाम दो से तीन गुना ज्यादा मिलता है। रासायनिक खाद का इस्तेमाल भी कम होता है, जिससे लागत घटती है और पर्यावरण को फायदा होता है।
हाइड्रोपोनिक खेती क्या है?
हाइड्रोपोनिक खेती में मिट्टी की जगह पानी का इस्तेमाल होता है। पौधों की जड़ों को पोषक तत्वों और ऑक्सीजन से भरे पानी में रखा जाता है, जो उन्हें बढ़ने के लिए जरूरी ताकत देता है। देहरादून के कृषि विशेषज्ञ बृजेश कुमार बताते हैं कि इस विधि में पानी का खर्च 70-80 फीसदी कम होता है, जो पानी की कमी वाले इलाकों के लिए बड़ी राहत है।
पौधे तेजी से बढ़ते हैं, और उनकी गुणवत्ता इतनी बेहतर होती है कि बाजार में ऊँचा दाम मिलता है। पालक, धनिया, टमाटर, खीरा और सलाद जैसी फसलें इस तरीके से आसानी से उगाई जा सकती हैं। सागर जैसे क्षेत्रों में, जहाँ पानी और जगह की कमी है, ये तकनीक छोटे किसानों और छत पर खेती करने वालों के लिए वरदान है।
सागर में हाइड्रोपोनिक खेती की शुरुआत
सागर जिले में हाइड्रोपोनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि उद्यान विभाग ने खास योजना शुरू की है। उपसंचालक पी.एस. पडोले के मुताबिक, जिले के 50 किसानों को इस तकनीक से जोड़ा जा रहा है। 350 वर्ग मीटर के सेटअप की लागत पर सरकार 50% अनुदान दे रही है, यानी प्रति वर्ग मीटर 175 रुपये की छूट। इसका मतलब है कि किसानों को आधी लागत ही चुकानी होगी। ये सेटअप छोटे खेतों, छतों या आँगनों में लगाया जा सकता है।
पाइपों को एक के ऊपर एक, जैसे बहुमंजिला इमारत, लगाया जाता है, जिसमें छोटे-छोटे छेद करके पौधे लगाए जाते हैं। इन पाइपों में पानी और पोषक तत्वों का घोल सर्कुलेट होता रहता है, जो पौधों को पोषण देता है। सागर के किसानों के लिए ये योजना कम खर्च में ज्यादा मुनाफे का रास्ता खोल रही है।
हाइड्रोपोनिक सेटअप कैसे तैयार करें
हाइड्रोपोनिक खेती शुरू करने के लिए वॉटर टैंक, प्लास्टिक पाइप, पॉलीहाउस या शेड और न्यूट्रिएंट फिल्म टेक्नीक (एनएफटी) सिस्टम चाहिए। अगर पॉलीहाउस बनाना महँगा लगे, तो सस्ता शेडनेट भी काम कर सकता है। सेटअप ऐसी जगह बनाएँ, जहाँ सुबह की हल्की धूप और हवा का बहाव हो। 100 वर्ग फुट के छोटे सेटअप की लागत 35,000 से 70,000 रुपये हो सकती है, जिसमें पाइप, टैंक, पानी का पंप और पोषक तत्वों का घोल शामिल है। सागर में 350 वर्ग मीटर के सेटअप पर 50% अनुदान मिलने से किसानों को सिर्फ आधा खर्च करना होगा। ये तकनीक जगह की बचत करती है और साल भर फसल उगाने का मौका देती है।
हाइड्रोपोनिक खेती के फायदे
इस तकनीक से कम जगह में ज्यादा पौधे उगाए जा सकते हैं, और तापमान, नमी व प्रकाश को नियंत्रित करने से फसल की गुणवत्ता बेहतर होती है। सामान्य खेती की तुलना में कीट और रोग कम लगते हैं, जिससे कीटनाशकों का खर्च बचता है। पानी की खपत 90 फीसदी तक कम होती है, जो सागर जैसे इलाकों के लिए बड़ी राहत है। हाइड्रोपोनिक सब्जियाँ, जैसे सलाद और पालक, शहरों के होटलों, रेस्तराँओं और सुपरमार्केट में अच्छे दाम पर बिकती हैं। सेटअप तैयार होने के बाद रखरखाव का खर्च कम रहता है, और पहली फसल के बाद मुनाफा शुरू हो जाता है। सागर के किसानों के लिए ये योजना लागत घटाने और कमाई बढ़ाने का सुनहरा मौका है।
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खेती शुरू करने की प्रैक्टिकल सलाह
हाइड्रोपोनिक खेती शुरू करने से पहले सागर के कृषि उद्यान विभाग से संपर्क करें, जहाँ ट्रेनिंग और सब्सिडी की जानकारी मिलेगी। शुरुआती सेटअप की लागत 350 वर्ग मीटर के लिए ज्यादा हो सकती है, लेकिन 50% अनुदान से बोझ कम हो जाता है। पाइप और टैंक स्थानीय दुकानों से सस्ते में लिए जा सकते हैं। पोषक तत्वों का घोल बाजार में उपलब्ध है, लेकिन इसे सही मात्रा में मिलाना जरूरी है। अगर बिजली की दिक्कत हो, तो सोलर पंप से पानी सर्कुलेट कर सकते हैं। शुरू में पालक या धनिया जैसी आसान फसलें चुनें। हर हफ्ते पौधों की जड़ों की जाँच करें, और अगर जड़ें पीली दिखें, तो विशेषज्ञ से सलाह लें।
मुनाफे का नया रास्ता
हाइड्रोपोनिक खेती सागर के छोटे किसानों और किचन गार्डन करने वालों के लिए कमाल की तकनीक है। 50% अनुदान के साथ शुरुआत करने का ये सही समय है। ये तकनीक न सिर्फ खेती का खर्च कम करती है, बल्कि बाजार में ऊँचे दाम वाली सब्जियाँ उगाने का मौका देती है। शहरों के रेस्तराँ, सुपरमार्केट या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर इन सब्जियों की बिक्री आसानी से हो सकती है। सागर के 50 किसानों के साथ शुरू हुई इस योजना में शामिल होने के लिए अपने नजदीकी कृषि कार्यालय से संपर्क करें। सही सेटअप और थोड़ी मेहनत से ये खेती मुनाफे का धंधा बन सकती है।