भारतीय किसानों के लिए एक बेहतरीन खबर है। जब मिट्टी की सेहत बिगड़ रही है और रासायनिक खादों की कीमतें आसमान छू रही हैं, तब भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), पूसा ने विंड्रो कम्पोस्टिंग नाम की एक सरल तकनीक विकसित की है। इस विधि से किसान खेत के कचरे, गोबर और पत्तियों जैसे सस्ते संसाधनों से उच्च गुणवत्ता वाली जैविक खाद बना सकते हैं। इससे न केवल यूरिया और डीएपी जैसे महंगे उर्वरकों पर खर्च कम होता है, बल्कि फसल की पैदावार भी 20-30 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। IARI के विशेषज्ञों के अनुसार, यह तकनीक मिट्टी को जीवंत बनाती है और पर्यावरण की रक्षा भी करती है। आइए, जानते हैं इस तकनीक से पांच तरह की जैविक खाद कैसे बनाएं।
विंड्रो कम्पोस्टिंग
विंड्रो कम्पोस्टिंग एक आसान और तेज प्रक्रिया है, जिसमें खेत के अवशेषों को लंबे ढेरों में इकट्ठा किया जाता है। ये ढेर 2 से 2.5 मीटर ऊंचे और चौड़े होते हैं, जबकि लंबाई 10 से 100 मीटर तक हो सकती है। सामग्री को जैविक कल्चर के साथ मिलाकर नमी बनाए रखी जाती है। फिर, मशीन या हाथ से ढेर को समय-समय पर पलट दिया जाता है – पहली पलटाई तुरंत, दूसरी 10 दिन बाद, तीसरी 25 दिन बाद, चौथी 40 दिन बाद और आखिरी 55-60 दिन बाद। इससे हवा का संचार होता है और सामग्री तेजी से सड़ती है। सिर्फ 3 से 9 सप्ताह में खाद तैयार हो जाती है। यह तकनीक छोटे किसानों के लिए भी बिल्कुल व्यावहारिक है।
फसल अवशेष खाद
फसल अवशेष खाद बनाना सबसे सरल है। इसमें धान, गेहूं, मक्का, बाजरा या सोयाबीन जैसे फसलों के बचे हुए डंठल और भूसे का इस्तेमाल होता है। इन अवशेषों को छोटे टुकड़ों में काटकर विंड्रो ढेर में डालें, जैविक कल्चर मिलाएं और नमी का ध्यान रखें। नियमित पलटाई से 3 से 9 सप्ताह में गहरी भूरी खाद तैयार हो जाती है। यह खाद मिट्टी में कार्बन बढ़ाती है, जिससे फसलें मजबूत जड़ें पकड़ती हैं। किसान बताते हैं कि इससे रासायनिक खाद की जरूरत 50 प्रतिशत तक कम हो जाती है और पैदावार में इजाफा होता है।
फसल अवशेष और गोबर की खाद
अगर आपके पास गोबर उपलब्ध है, तो फसल अवशेष और गोबर की खाद ट्राई करें। 80 प्रतिशत फसल अवशेषों को श्रेडर से 8-10 सेंटीमीटर के टुकड़ों में काटें और 20 प्रतिशत ताजा गोबर मिलाएं। इस मिश्रण को विंड्रो में रखकर कल्चर डालें और पलटाई का क्रम अपनाएं। गोबर से निकलने वाले सूक्ष्मजीव खाद को और समृद्ध बनाते हैं। 3 से 9 सप्ताह बाद यह खाद मिट्टी को नरम और उपजाऊ बना देती है। इससे फसलें ज्यादा हरी-भरी होती हैं और रोगों से लड़ने की ताकत मिलती है। छोटे पशुपालक किसान इस खाद से खास फायदा उठा सकते हैं।
गौशाला की खाद
गौशाला या पशुशाला से निकलने वाले गोबर और बचे चारे से गौशाला की खाद बनाएं। इन सामग्रियों को अच्छी तरह मिलाकर विंड्रो ढेर बनाएं, कल्चर जोड़ें और नमी बनाए रखें। पलटाई की प्रक्रिया वही रहेगी। यह खाद पोषक तत्वों से भरपूर होती है, जो मिट्टी में लंबे समय तक काम करती रहती है। IARI के अनुसार, इससे नाइट्रोजन और फास्फोरस की प्राकृतिक आपूर्ति होती है। गाय-भैंस पालने वाले किसानों के लिए यह तकनीक अपशिष्ट प्रबंधन का बेहतरीन तरीका है, जो खेती की लागत घटाती है।
समृद्ध खाद
समृद्ध खाद के लिए फसल अवशेष और गोबर के अलावा रॉक फास्फेट जैसे पोषक तत्व मिलाएं। यह फास्फो-कम्पोस्ट के रूप में जाना जाता है। मिश्रण को विंड्रो में डालकर सामान्य प्रक्रिया अपनाएं। 3 से 9 सप्ताह में यह खाद मिट्टी की फास्फोरस कमी को पूरा कर देती है। फसलें तेजी से बढ़ती हैं और उपज में 15-20 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती है। यह उन खेतों के लिए आदर्श है जहां मिट्टी परीक्षण से पोषक तत्वों की कमी निकलती है।
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पत्तियों की खाद
पत्तियों की खाद बाग-बगीचों या सड़कों से इकट्ठी पत्तियों से बनाएं। इन्हें साफ करके विंड्रो में रखें, कल्चर मिलाएं और पलटाई करें। यह हल्की और कार्बन युक्त खाद मिट्टी को हवादार बनाती है। 3 से 9 सप्ताह में तैयार होने वाली यह खाद बगीचे वाली फसलों के लिए बेस्ट है। इससे पानी की धारणा बेहतर होती है और जड़ें मजबूत बनती हैं। शहरी किसान या बागवानी करने वाले इस खाद से खूब लाभ उठा सकते हैं।
खाद बनाने के टिप्स
इन खादों को बनाने के लिए हमेशा साफ सामग्री इस्तेमाल करें और नमी 50-60 प्रतिशत रखें। अगर मशीन न हो, तो हाथ से पलटाई करें। IARI सलाह देता है कि खाद को छायादार जगह पर रखें और कीड़ों से बचाएं। तैयार खाद को 5-10 टन प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डालें। इससे मिट्टी की संरचना मजबूत होती है और फसलें स्वस्थ रहती हैं। इस तकनीक को अपनाकर किसान न केवल पैसे बचा सकते हैं, बल्कि जैविक खेती का असली मजा भी ले सकते हैं।
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